संसार के शीर्ष 2%वैज्ञानिकों में लखनऊ के विशेषज्ञों का जलवा

0
413
पीजीआई लखनऊ के निदेशक-प्रोफेसर आर के धीमन

मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। विश्‍व के टॉप दो प्रतिशत वैज्ञानिकों की सूची घोषित की गयी है, इसमें भारत के 1500 वैज्ञानिक शामिल हैं। इस सूची में उत्‍तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के वैज्ञानिकों ने भी अपना डंका बजाया है, इनमें सीडीआरआई के 6, आईआईटीआर के 4 तथा संजय गांधी पीजीआई, किंग जॉर्ज चिकित्‍सा विश्‍वविद्यालय और लखनऊ विश्‍वविद्यालय के तीन-तीन वैज्ञानिक शामिल हैं।हालांकि वर्तमान में संजय गांधी पीजीआई के निदेशक प्रो आरके धीमन भी इस प्रतिष्ठित सूची में शामिल हैं लेकिन उनका नाम चंडीगढ़ पीजीआई की सूची में शमिल है, जहां वह इससे पूर्व कार्यरत थे।

manoj shrivastav

विश्‍वस्‍तर पर आयी रैंक के आधार पर बात करें तो संजय गांधी पीजीआई के प्रो आरके घोषाल और केजीएमयू की प्रो शैली अवस्‍थी अपने-अपने संस्‍थानों में पहले नम्‍बर पर हैं। प्रो घोषाल का 490वां तथा प्रो शैली अवस्‍थी का 536वां स्‍थान है। संयुक्त राष्ट्र की स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने दुनिया भर के साइंटिस्ट के शोध कार्यों को चिन्हित कर उनका डाटा बनाकर यह लिस्ट तैयार की है, जिसे अंतर्राष्ट्रीय जरनल में प्रकाशित किया गया है। डॉ जॉन पीए लोनाइडिस के नेतृत्व में तीन वैज्ञानिकों के दल ने 16 अक्टूबर को पब्लिक लाइब्रेरी ऑफ साइंस बायोलॉजी नामक एक जरनल एक अध्ययन प्रकाशित किया। इस अध्ययन में विश्व के एक लाख वैज्ञानिकों और चिकित्सा विज्ञान, इंजीनियरिंग व अन्य मौलिक विज्ञान के क्षेत्र के सर्वोच्च 2% वैज्ञानिकों को सूचीबद्ध किया गया है।

Advertisment

संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक है। पीजीआई, लखनऊ के गैस्‍ट्रोएन्‍टरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर राकेश अग्रवाल सूची में सर्वोच्च स्थान पर हैं, जिनके 263 प्रकाशन हैं और विश्व में गैस्‍ट्रोएन्‍टरोलॉजी व हेपेटोलॉजी के क्षेत्र में उनकी 490 रैंक है। डॉक्टर अग्रवाल वर्तमान में JIPMER पुडुचेरी में प्रतिनियुक्ति पर निदेशक के पद पर कार्य कर रहे हैं। हेपेटाइटिस ई जो भारत में बहुत सामान्य है, पर उनका काम विश्व में बहुत प्रशंसित है और हेपेटाइटिस पर वह विश्व स्वास्थ्य संगठन के साइंटिफिक एंड टेक्निकल एडवाइजरी कमिटी के सदस्य हैं तथा इम्‍यूनाइजेशन पर विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की स्‍ट्रैटिजिक एडवाइजरी ग्रुप ऑफ एक्‍सपर्ट्स (SAGE) के भी सदस्य हैं।
संस्थान के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के दूसरे प्रोफेसर डॉक्टर उदय चंद्र घोषाल के 288वां प्रकाशन है और विश्व की सूची में उनका 931वां स्थान है। डॉ घोषाल को आंत संबंधी रोगों के क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल है और वे रोम फाउंडेशन के सह अध्यक्ष भी हैं। रोम फाउंडेशन विशेषज्ञों का समूह है जो आंतों के रोगों के प्रबंधन के लिए गाइडलाइंस बनाता है। डॉ अग्रवाल और डॉ घोषाल विश्व की सूची के 8 भारतीय गैस्ट्रोलॉजिस्ट में से दो श्रेष्ठ गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्‍ट्स हैं।संस्थान के सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के प्रोफेसर डॉ वीके कपूर के 233 प्रकाशन हैं और सर्जरी के क्षेत्र में विश्व में इनकी 968 रैंक है। गॉलब्लैडर कैंसर व बाइल डक्‍ट इंजरी पर डॉ कपूर का कार्य अंतरराष्ट्रीय रूप से मान्यता प्राप्त है। सूची में एसजीपीजीआई के पूर्व विद्यार्थी डॉ नैवेद्य चट्टोपाध्याय का भी नाम है जिन्होंने 1989-1992 में प्रोफेसर गोडबोले के सक्षम मार्गदर्शन में अपना शोध कार्य पूरा किया और आज वह सीडीआरआई में कार्य कर रहे हैं। इनकी एंडॉक्रिनलॉजी और मेटाबॉलिज्म में विश्व की सूची में 201 रैंक है। अस्थि स्वास्थ्य और ऑस्टियोपोरोसिस के क्षेत्र में शोध पर उनका विश्व स्तरीय कार्य है।कर्मभूमि पीजीआई, चंडीगढ़ में रहकर लिवर के क्षेत्र में उत्‍कृष्‍ट कार्य के लिए टॉप वैज्ञानिकों की सूची में जगह बनाने वाले वर्तमान में संजय गांधी पीजीआई के निदेशक प्रो आरके धीमन ने तीनों संकाय सदस्यों की उपलब्धियों पर प्रसन्नता व्यक्त की है और अपनी इच्छा व्यक्त की है कि अन्य विभागों के संकाय सदस्य भी इस सूची में अवश्य ही अपना स्थान प्राप्त करेंगें। अपने पीजीआई चंडीगढ़ में लिवर के क्षेत्र में किये गये अपने उत्कृष्ट कार्य के आधार पर डॉ आरके धीमन भी इस सूची में स्थान रखते हैं। लिवर रोग जैसे लिवर ट्रांसप्‍लांट, लिवर सिरोसिस की जटिलताएं, जनसामान्य में होने वाला क्रॉनिक वायरल हेपेटाइटिस इत्यादि क्षेत्र में उनका योगदान उल्लेखनीय है। गैस्ट्रोएंटरोलॉजी व हेपेटोलॉजी के 320 प्रकाशनों के साथ विश्व सूची में उनका 1154वां स्थान है। उन्हें चिकित्सा के क्षेत्र के सर्वोच्च पुरस्कार डॉ बीसी रॉय अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।

केजीएमयू के प्रो शैली अवस्‍थी, प्रो आरके गर्ग, डॉ नीरज कुमार शा‍मिल

केजीएमयू के विशेषज्ञ, जिन्‍होंने दुनिया के टॉप वैज्ञानिकों की सूची में दर्ज कराया अपना नाम बायें से प्रो शैली अवस्‍थी, प्रो आरके गर्ग और डॉ नीरज कुमार
केजीएमयू के तीन विशेषज्ञ जो इस लिस्ट में शामिल हैं। उनमें विभागाध्यक्ष, बाल विभाग प्रो0 शैली अवस्थी 536वां स्थान दिया गया है। उनका पहला रिसर्च 1987 में पब्लिश हुआ था। इसके साथ ही अधिष्ठाता, रिसर्च सेल, डॉ आर0 के0 गर्ग को इस लिस्ट में 3500वां स्थान प्राप्त हुआ है। उनका पहला रिसर्च 1987 में पब्लिश हुआ था। के0जी0एम0यू0 का गौरव बढ़ाने वाले तीसरे चिकित्सक है न्यूरोलॉजी विभाग के डॉ0 नीरज कुमार, जिन्हें इस लिस्ट में 3891वां स्थान प्राप्त हुआ है। उनकी पहली रिसर्च वर्ष 2003 में पब्लिश हुई थी। इस अवसर पर चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ बिपिन पुरी ने कहा कि सभी साइंटिस्ट ने कठोर परिश्रम से अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर के0जी0एम0यू0 का गौरव बढ़ाने का कार्य किया है जो कि भविष्य में अन्य चिकित्सकों एवं साइंटिस्ट को प्रेरित करने का कार्य करेगा।

सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें। सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here