सपा में शामिल होगा पूर्वांचल के पहले माफिया डॉन हरिशंकर तिवारी का कुनबा!
अखिलेश के मास्टर स्ट्रोक से बसपा-भाजपा दोनों के होश फाख्ता!
मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। पूर्व मंत्री राम प्रसाद चौधरी, बसपा विधानमंडल दल के नेता लाल जी वर्मा, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामअचल राजभर, निर्वतमान विधानमंडल दल के नेता शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली के बसपा छोड़ने के बाद अब पूर्वांचल के ब्राह्मण चेहरा माने जाने वाले पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी के बेटे बसपा विधायक विनय शंकर तिवारी का मायावती से मोहभंग हो गया है।शनिवार को विनय शंकर तिवारी ने सपा मुखिया अखिलेश यादव से भेंट किया है। माना जा रहा है कि अन्य नेताओं की तरह वह भी समाजवादी पार्टी में शामिल होंगे। हरिशंकर तिवारी के कुनबे का सपा में शामिल होने के बाद बिना चुनाव हुये पूर्वांचल से बसपा के सफाये के साथ भाजपा के लिये भारी मुसीबत बन सकती है।अब तक के चुनाव में नाराज ब्राह्मण वोटरों को मनाने के लिए बीजेपी कोई रणनीति नहीं बना पाई है।
हरिशंकर तिवारी के बड़े बेटे कुशल तिवारी दो बार संत कबीर नगर से सांसद रहे हैं तो छोटे बेटे विनय शंकर तिवारी चिल्लूपार विधानसभा से बीएसपी विधायक हैं। गणेश शंकर पांडे, हरिशंकर तिवारी के भांजे हैं और बीएसपी सरकार में विधान परिषद के सभापति रहे हैं। चर्चा तो यहां तक है कि विनय तिवारी के साथ तीन अन्य ब्राह्मण चेहरे भी सपा में शामिल हो सकते हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार में शुरू से ही ब्राह्मणों की नाराजगी बड़ा सियासी मुद्दा रही है। जिस ब्राह्मण को बीजेपी का कोर वोटर माना जाता था, अब बीजेपी सरकार में वही ब्राह्मण खुद को अकेला अछूता समझ रहा है। मौजूदा चुनाव में ब्राह्मण वोट बैंक की राजनीति का ही नतीजा था कि बीएसपी ने ब्राह्मणों के सम्मेलन की शुरुआत की तो बीजेपी ने प्रबुद्ध वर्ग और प्रतिनिधि सम्मेलन शुरू किये। सपा ने भी परशुराम सम्मेलन आयोजित किया लेकिन उसका कोई खास असर नहीं रहा।विनय शंकर तिवारी के सपा में आने से नाराज ब्राह्मण वोटरों को एक ठिकाना जरूर देगा।
पूर्वांचल में मजबूत पकड़ रखने वाले पूर्व मंत्री व बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय तिवारी गोरखपुर की चिल्लूपार सीट से बसपा विधायक हैं। विनय शंकर तिवारी बसपा छोड़कर समाजवादी पार्टी में जाते ही मायावती के ब्राह्मण राजनीति के लिए पूर्वांचल में एक बड़ा सियासी झटका होगा। हरिशंकर तिवारी गोरखपुर ही नहीं बल्कि पूर्वांचल के तमाम जिलों में पकड़ रखते हैं। संतकबीरनगर, देवरिया, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, गोण्डा, बस्ती, महराजगंज, कुशीनगर, आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर और वाराणसी में प्रभाव रखते हैं। हरिशंकर तिवारी को पूर्वांचल का पहला बाहुबली नेता कहा जाता है।कहते हैं कि हरिशंकर तिवारी के नक्शे कदम पर चलकर ही मुख्तार अंसारी और ब्रजेश सिंह जैसे बाहुबलियों ने राजनीति में कदम रखा। हरिशंकर तिवारी के नाम से एक समय पूरा पूर्वांचल थर्राता था।