सरकार का सवा सौ करोड़ पार करने की धोखाधड़ी में दो गिरफ्तार

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मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। यूपी राज्य मार्ग प्राधिकरण के 125 करोड़ के बैंक ड्राफ्ट को अवैध रूप से प्राप्त कर विभाग और बैंक के कर्मचारियों की मिलीभगत से कूटरचित दस्तावेज के जरिए रुपये हड़पने का प्रयास करने वाले गिरोह का एसटीएफ ने पर्दाफाश किया है। नई दिल्ली स्थित पंजाब नेशनल बैंक के धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन विभाग ने महानगर कोतवाली में इस संबंध में एफआइआर दर्ज कराई थी। एसटीएफ ने महानगर में फातिमा अस्पताल के पास से  दो आरोपितों को गिरफ्तार किया है।

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सीओ दीपक कुमार सिंह के अनुुुसार गिरफ्तार आरोपितों में जीटीबी एनक्लेव दिल्ली निवासी अमरनाथ गुप्ता और सिठौली कला, सराय गुदौली गोसाईगंज निवासी प्रभास चंद्र श्रीवास्तव शामिल हैं। बैंक की ओर से प्राधिकरण के नाम से फर्जी खाता खोलकर सवा सौ करोड़ रुपये का बैंक ड्राफ्ट हासिल कर ठगी की कोशिश करने की शिकायत की गई थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए शासन ने एसटीएफ को जांच सौंपी थी। इसके बाद सीओ दीपक कुमार सिंह ने छानबीन शुरू की। पड़ताल में सामने आया कि एक गिरोह सरकारी संस्थाओं के खातों में उपलब्ध धनराशियों का एफडीआर बनवाकर अधिक ब्याज दर दिलाने का लालच देकर फर्जीवाड़ा कर रहा है।

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गिरोह फर्जीवाड़े से हासिल रकम आपस में बांटने का लालच भी देता था। इससे बैंक कर्मी तथा संबंधित विभाग के कर्मचारी झांसे में आ जाते थे और विभिन्न बैंकों में जमा धनराशि के एफडीआर की जानकारी साझा कर देते थे। इसके बाद गिरोह में शामिल बैंक कर्मी संबंधित संस्था का फर्जी अथॉरिटी लेटर तैयार कर दूसरे शाखा में खाता खुलवाते थे।

आरोपित बैंक से हासिल एफडीआर को उस फर्जी खाते में जमा करा लेते थे। आरोपितों ने इसी तरह 26 मई 2020 को प्राधिकरण की मेच्योर हुई 1,25,25,54,647 रुपये की धनराशि को हजरतगंज स्थित बैंक से दोबारा 185 दिन का एफडीआर बनवाने के लिए फर्जी पत्र भेजा।

इसके बाद पीएनबी के शाखा प्रबंधक अजय कुमार दीक्षित को झांसा देकर आरोपितों ने बैंक ड्राफ्ट मूल रूप में प्राप्त कर लिया। प्रभास ने सवा सौ करोड़ से अधिक की धनराशि को हड़पने के लिए अमरनाथ गुप्ता से संपर्क किया और उसे बैंक ड्राफ्ट दे दिया। अमरनाथ ने खुद को प्राधिकरण का वित्त नियंत्रक अनिल गोयल बताया और फर्जी दस्तावेज तैयार किए। इसके बाद आरोपियों ने बैंक में ड्राफ्ट लगाकर पूरी धनराशि देने का प्रार्थना पत्र दिया। बड़ी रकम बैंक से निकाले जाने की जानकारी जब प्रबंधन को हुई तो उन्होंने धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन से इसकी जांच करने को कहा। जांच में फर्जीवाड़ा सामने आया जिसके बाद बैंक प्रबंधन की ओर से महानगर कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी।

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