…..हमने वो भी देखा, जाने वालों को अपनों के चार कंधों का साथ भी ना मिला

1
389
मानव ही मानव का दुश्मन बन, दानव रूप धर कर आया

मानव ही मानव का दुश्मन बन,
दानव रूप धर कर आया
सब कुछ यथावत् चल रहा था,
अचानक लगा वक्त ठहर सा गया,
यह करोना का कहर, कभी ना भूल पाएंगे हम,
कितने देश, गांव, शहर, लोगों की जड़ें हिला गया,
सर्वत्र सन्नाटा सा पसर गया,
ये कैसा भयानक मंजर आया?
वो बच्चों का कोलाहल,
वह सड़कों की रौनकें सब थम सा गया,
यह महामारी ना जाने कितनों की उम्मीदों पर पानी फेर गयी।
जाने कितनों के घर छूटे,
जाने कितनों के सपने टूटे,
रोजी-रोटी तक ले गया लोगों की,
कितनों ने अपनों को खो दिया ,
इस महामारी ने ह्रदय विदारक दृश्य भी दिखाए,
कहते हैं मनुष्य अकेला आता है, अकेला ही जाएगा,
हमने वो भी देखा, जाने वालों को अपनों के चार कंधों का साथ भी ना मिला।
प्रकृति ने ये कैसा प्रतिशोध लिया हमसे,
हां! सच ही तो है, जो हम देते हैं वापस आता ही है,
जाने कितने हरे-भरे वनों को उजाड़ा हमने,
जाने ये वायरस हमारे जीवन में कहां से आया?
हां! इस करोना ने भाईचारा बढ़ाया,
वो भी सोशल मीडिया पर,
बहुतों ने इस प्रलयकाल में भी अपने हुनर दिखाए,
फिर आया खाना- खजाना का दौर, सोशल मीडिया पर तरह-तरह के पकवान देखने और सीखने को मिले,
किसी की तूलिका चली, तो किसी ने लेखनी के माध्यम से अपनी बात लोगों तक पहुंचाई,
हां! इस महामारी में हमारे चिकित्सक देवदूत बनकर आए,
डट कर कर रहे मुकाबला इस दुष्कर काल का,
है मधुसूदन! जब-जब हम पर संकट आया,
तुम ने सुदर्शन चक्र चलाया,
चला दो वैक्सीन रूपी चक्र अपना,
कर दो दानव रूपी करोना का संहार।

डॉ• ऋतु नागर

Advertisment
सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें। सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here