हमला बढ़ा तो कोरोना पॉजीटिव रोगियों को मोबाइल न देने के फैसले से पलटे डीजी चिकित्सा शिक्षा

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मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। उत्तर प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक डॉ केके गुप्‍ता ने कोरोना मरीजों को मोबाइल फोन की अनुमति ना होने के अपने आदेश को वापस ले लिया है।

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मोबाइल और चार्जर को समय-समय पर विसंक्रमित करने की शर्त के साथ मरीज को अब अपने साथ मोबाइल फोन रखने की अनुमति होगी। बता दें कि डॉ केके गुप्ता ने 2 दिन पूर्व 22 मई को एक आदेश कोविड-19 का इलाज कर रहे संस्‍थानों को भेजा था। जिसमें एल-2 और एल-3 अस्पतालों में भर्ती होने वाले कोरोना मरीजों को अपने साथ मोबाइल फोन रखने की अनुमति नहीं दिए जाने की बात कही थी। मरीज को घरवालों और अन्‍य के साथ बात करने के लिए वार्ड इंचार्ज के पास दो फोन रखने की व्‍यवस्‍था करने को कहा गया था। इस विवादित आदेश के सामने आने के बाद से ही इस पर जबरदस्त प्रतिक्रिया शुरू हो गई थी, कई चिकित्सकों ने भी इस आदेश पर अपनी असहमति जताई थी। डॉ गुप्ता ने यह तर्क दिया था कि मरीजों के पास मोबाइल रहने से संक्रमण फैलने का खतरा है, इस पर कई चिकित्सकों का कहना था कि यदि वार्ड इंचार्ज के पास दो मोबाइल रहेंगे और उनसे बात करने की अनुमति मरीज को मिलती है तो व्‍यवहारिक दृष्टिकोण से यह व्‍यवस्‍था बनाना एक अत्‍यंत कठिन कार्य होगा। इसके साथ ही एक ही मोबाइल जब कई लोगों के पास से गुजरेगा उसमें कई मरीज और स्वास्थ्य कर्मी दोनों ही शामिल होंगे, ऐसी स्थिति में संक्रमण फैलने की संभावना और ज्यादा हो जाएगी। डॉ गुप्ता ने आज 24 मई को अपने उस आदेश की जगह संशोधित आदेश निकाला, जिसमें मरीज को मोबाइल और चार्जर के सैनिटाइजर के बारे में ध्यान रखने के निर्देश देते हुए मरीज को मोबाइल फोन रखने की अनुमति दी गई है। सूत्रों के अनुसार उत्तर प्रदेश के कोरेन्टीन सेंटरों में व्याप्त अनियमितताओं में कोरेन्टीन किये गये लोगों ने कुछ ऐसे वीडियो वायरल कर दिया जिससे सरकार की बहुत फजीहत हुई। विपक्षी दल के नेताओं ने इन खामियों को लेकर सरकार पर कई बार हमला बोला।  सरकार का मोहरा बने महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा डॉ केके गुप्ता ने कोरेन्टीन सेंटरों में मोबाइल पर रोक लगाने का फरमान जारी कर दिया। जब हंगामा बढ़ा तो आदेश वापस कर लिया। संसोधित आदेश संजय गांधी पीजीआई, राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ग्रेटर नोएडा गौतम बुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैफई, इटावा, राजकीय मेडिकल कॉलेज कानपुर, आगरा, प्रयागराज, मेरठ, झांसी, गोरखपुर, अंबेडकर नगर, कन्नौज, जालौन, आजमगढ़, सहारनपुर, बांदा तथा बदायूं, डॉ राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट, लखनऊ, सुपर स्पेशलिटी बाल चिकित्सालय एवं शैक्षणिक संस्थान नोएडा, किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ, स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय, अयोध्या, बस्ती, बहराइच, फिरोजाबाद, शाहजहांपुर के साथ ही निजी क्षेत्र के सभी मेडिकल कॉलेजों को भेजा गया है।

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