हाथरस की युवती के साथ हैवानियत की पुष्टि नहीं- प्रशांत कुमार, एडीजी कानून व्यवस्था

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मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। हाथरस की दलित युवती के साथ हुई हैवानियत और मौत से पूरे देश में आक्रोश है। इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन का दौर भी जारी है। यूपी सरकार दमन पूर्वक आंदोलन को कुचल रही है। इस बीच पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट के बाद विधि विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) की रिपोर्ट भी सामने आ गई है। उत्तर प्रदेश के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने बताया कि एफएसएल रिपोर्ट में रेप की पुष्टि नहीं हुई है। मेडिकल रिपोर्ट में भी रेप की पुष्टि नहीं हुई थी।गुरुवार को मीडिया से बात करते हुए एडीजी प्रशांत कुमार ने कहा, ‘पीड़ित युवती का पोस्टमार्टम दिल्ली में हुआ था। परिवारजनों की सहमति के बाद पीड़िता का अंतिम संस्कार कराया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गले की चोट और उसके कारण हुए ट्रॉमा को मौत का कारण बताया गया है। इसी बीच विधि विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट भी प्राप्त हो गई है। इसमें स्पष्ट रूप से बताया गया है कि जो सैंपल इकट्ठे किए गए थे, उसमें किसी तरह का स्पर्म या शुक्राणु नहीं पाया गया है।’ प्रशांत कुमार ने कहा, ‘इससे स्पष्ट होता है कि कुछ लोगों के द्वारा प्रदेश में गलत तरीके से जातीय तनाव पैदा करने के लिए इस तरह की चीजें कराई गईं। पुलिस ने शुरू से इसमें त्वरित कार्रवाई की है। अब हम आगे की विधिक कार्रवाई करेंगे। ऐसे लोगों की पहचान की जाएगी जो प्रदेश में सामाजिक सद्भाव बिगाड़ना चाहते थे और जातीय हिंसा को भड़काना चाहते थे। ’14 सितंबर को गांव चंदपा की युवती अपनी मां के साथ खेत पर गई थी और आरोप के मुताबिक सासनी निवासी एक युवक ने उस पर जानलेवा हमला किया था। युवती ने सीओ सादाबाद को दिए बयान में तीन और युवक के नाम बताए थे, जिसके बाद पुलिस ने केस में गैंग रेप की धारा बढ़ा दी थी। इस मामले में पुलिस चारों आरोपियों को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के ट्रॉमा सेंटर के सीएमओ डॉ एहतेशाम ने बताया कि पीड़िता को गर्दन के पास गहरी चोट थी और रीढ़ की हड्डी टूट चुकी थी, जिसकी वजह से दोनों पैरों ने काम करना बंद कर दिया था। गर्दन के पास की हड्डी टूटने की वजह से वह सांस नहीं के बराबर ले पा रही थी और उसकी गर्दन की नस भी टूट चुकी थी। बताया जा रहा है कि गले और रीढ़ की हड्डी टूटने की वजह से ही युवती की मौत हुई।

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