एसआईटी जांच का टाइम 10 दिन और बढ़ा
मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। हाथरस कांड की जांच में रोज नए-नए तथ्य सामने आ रहे हैं। प्रारंभिक जांच में ही पता चल है कि हाथरस की घटना को लेकर प्रदेश में जातीय दंगे भड़काने की योजना बनाई गई थी, जिसके लिए विदेशों तक से फंडिंग की गई। अब तक कुल 100 करोड़ रुपये भेजे जाने की बात सामने आई है, जिसमें 50 करोड़ रुपये अकेले मारीशस से भेजे गए थे। फिलहाल इस संबंध में अधिकारी कुछ भी खुलकर नहीं बोल रहे हैं।दूसरी ओर जांच कर रही एसआईटी को शासन ने और 10 दिनों का समय दे दिया है।
माना जा रहा है कि एसआईटी भी अपनी जांच का दायरा बढ़ा सकती है। प्रदेश व केंद्र की सुरक्षा एजेंसियों के अलावा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी केस दर्ज करने से पहले होने वाली प्रारंभिक जांच जारी रखे हुए है। सूत्रों के अनुसार, ईडी की फंडिंग पर ही नजर है, क्योंकि इसमें मनी लांड्रिंग का मामला जुड़ा हुआ है। वह जल्द ही प्रिवेंशन आफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत केस दर्ज कर विधिवत जांच शुरू करेगी। उसने हाथरस के चंदपा थाने में दर्ज एफआईआार की प्रति समेत अन्य जरूरी तथ्य जुटा लिए हैं।हाथरस मामले में गिरफ्तार पीएफआई से जुड़े सभी चार लोगों के खिलाफ मथुरा के मांट थाने में नए सिरे से राष्ट्रद्रोह, जातीय उन्माद फैलाने के अलावा आईटी एक्ट के गंभीर अपराध की एफआईआर दर्ज कर ली गई है। चारों के कब्जे से छह स्मार्टफोन व एक लैपटॉप के अलावा भड़काऊ साहित्य बरामद हुआ था। यह मुकदमा थाने के ही एक सब इंस्पेक्टर प्रबल प्रताप सिंह ने दर्ज कराया है। इसमें अतीकुर्रहमान निवासी मुजफ्फरनगर, आलम निवासी रामपुर, सिद्दीक निवासी मलप्पुरम (केरल) व मसूद बहराइच को आरोपी बनाया गया है। यह एफआईआर आईपीसी की धारा 153 ए, 295 ए व 124 ए के अलावा गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की धारा 17 व 14 तथा आईटी एक्ट की धारा 65, 72 व 76 के तहत दर्ज किया गया है। यूं काम कर रही है पीएफआईपुलिस का कहना है कि चारों अभियुक्त पीएफआई और उसके सहयोगी संगठन से जुड़े हैं। वे हाथरस की घटना की आड़ में दंगा भड़काने का प्रयास कर रहे थे। उनका संबंध ‘कार्ड डॉट को नामक उस वेबसाइट से भी है, जिसके जरिए चंदा एकत्रित करने का प्रयास किया गया।चंदे की धनराशि जिस माध्यम से प्राप्त की जा रही थी, उसकी कोई वैध प्रक्रिया नहीं अपनाई जा रही थी। इस वेबसाइट के माध्यम से देश में कई प्रकार के राष्ट्र विरोधी दुष्प्रचार किए जा रहे हैं। वे मॉब लिंचिंग की घटना का दुष्प्रचार, मजदूरों के पलायन और कश्मीर में विघटनकारी तत्वों के समर्थन में व्यापक प्रचार-प्रसार में भी इसका इस्तेमाल करते हैं। इस सबके पीछे पीएफआई की सक्रियता के साक्ष्य मिले हैं।पुलिस को यह पता करना है कि यह वेबसाइट किस उद्देश्य से बनाई गई और अब तक इस वेबसाइट के माध्यम से कितनी धनराशि एकत्र की गई है। जो धनराशि एकत्र की गई है, उसका इस्तेमाल कहां किया गया है किन लाभार्थियों के खाते में भेजा गया है? मामले की जांच के लिए शासन द्वारा गठित एसआईटी को और 10 दिनों का समय दे दिया गया है। अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने इसकी पुष्टि की है। सचिव गृह भगवान स्वरूप की अगुवाई में गठिस इस टीम में डीआईजी चन्द्र प्रकाश और एसपी पूनम शामिल हैं।