मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। सात साल पहले उन्नाव के डौंडियाखेड़ा गांव में 1000 टन सोने के भंडार की भविष्यवाणी करने वाले बाबा शोभन सरकार का कानपुुुर में देहांत हो गया है।
बाबा शोभन सरकार ने बुधवार सुबह 5 बजे अपने आश्रम स्थित आरोग्यधाम अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके देहांत की खबर लगते ही इलाके में शोक की लहर दौड़ गई और लोगों की भीड़ कोरोना संक्रमण का खौफ भूलकर आश्रम की ओर उमड़ पड़ी। फिलहाल मौके पर प्रशासन ने भारी संख्या में पुलिस तैनात कर दिया है लेकिन जैसे-जैसे खबर फैल रही है लोग लॉकडाउन की परवाह किये बगैर हजारों की संख्या में जुटती जा रही है। प्रशासन को भीड़ सम्भलना भारी पड़ रहा है। कानपुर के मंडलायुक्त सुधीर एम बोबड़े लगातार स्थित पर नजर बनाये हुए हैं।शोभन सरकार ने वर्ष 2013 में उन्नाव जिले के डौंडियाखेड़ा गांव में राजा राव रामवख्श के खंडहर हो चुके महल में 1000 टन सोने का भंडार होने का सपना देखने का दावा किया था। बताते हैं कि बाबा के शिष्य तत्कालीन केंद्रीयमंत्री चरणदास महंथ ने यह बात कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को विश्वास में लेकर प्रधानमंत्री मनमोहन पर दबाव बनवा कर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से खुदाई कराई थी।स्तंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों ने महल पर कब्जा कर राजा राव रामबख्श को फांसी दे दी थी। उन्होंने प्रदेश सरकार को जानकारी दी थी इस महल के भूगर्भ में हजारों टन सोना दबा है। इसके बाद एएसआई ने 18 अक्टूबर को राजा राव रामबख्श के खंडहर में खुदाई शुरू कराई जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने एएसआई को 29 अक्टूबर को रिपोर्ट दी कि महल के नीचे सोना, चांदी या अन्य धातु दबी हो सकती है। करीब एक महीने तक चली खुदाई का काम काम 19 नवंबर 2013 को पूरा हुआ। इस काम में प्रदेश सरकार के 2.78 लाख रुपये खर्च हो गए लेकिन सोना का भंडार न मिलने पर खुदाई को रोक दिया गया। खजाने पर दावे को लेकर राजनीति होनेे लगी थी। राजा रामबख्श के वंशज होने का दावेदार बन कर कई उन्नाव में आकर डेरा डाल दिये थे।तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दावा किया था कि इस खजाने पर राज्य सरकार का अधिकार है। भारत सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री चरणदास अगुवाई कर ही रहे थे। लेकिन जब शोभन सरकार के सपने के आधार पर खजाने की खोज में ऐसा कुछ नहीं निकला तो केंद्र व प्रदेश सरकार की खूब किरकिरी भी हुई थी। तत्कालीन विहिप के नेता अशोक सिंघल ने कहा था कि सिर्फ एक साधु के सपने के आधार पर खुदाई करना सही नहीं है। खजाना मिलने से पहले ही इसके कई दावेदार भी सामने आ गए थे। रजा के वंशज ने भी उन्नाव में डेरा जमा दिया था। ग्रामीणों ने भी उस पर दावा किया था जिसके बाद तत्कालीन केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया था कि खजाने पर सिर्फ देशवासियों का हक होगा। उधर तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार ने कहा था कि खजाने से निकली संपत्ति पर राज्य सरकार का हक होगा।कानपुर ही नहीं आसपास के कई जिलों में उनके भक्त फैले हुये हैं। शोभन सरकार का वास्तविक नाम महंत विरक्ता नन्द था। इनका जन्म जन्म कानपुर देहात के शिवली में हुआ था। पिता का नाम पंडित कैलाशनाथ तिवारी था। कहते हैं कि शोभन सरकार को 11 साल की उम्र में वैराग्य प्राप्त हो गया था। शोभन सरकार ने गांव के लोगों के लिए कई तरह के जनहित के काम किए हैं। यही वजह है कि गांव वाले भी उन्हें अब भगवान की तरह मानने लगे हैं। कानपुर को उन्नाव से जोड़ने वाले पुल का श्रेय शोभन सरकार को ही जाता है। वर्ष 2004 में शोभन सरकार ने कानपुर और उन्नाव के बीच एक नया पुल बनाने की मांग की जा रही थी, लेकिन सरकार ने उनकी मांग पर ध्यान नहीं दिया। इसपर शोभन सरकार ने भक्तों के चढ़ावे से पुल बनाने का फैसला किया। हठी शोभन सरकार ने देखते ही देखते कई ट्रक बिल्डिंग मटीरियल खरीद लिया गया। जब यह बात शासन तक पहुंची तो सरकार ने पुल बनवाने की घोषणा की। बाद में शोभन सरकार ने पास ही स्थित प्रसिद्ध देवी स्थल चंद्रिकादेवी का उस राशि से जीर्णोद्धार कराया और वहां एक नया आश्रम भी स्थापित किया।
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