लखनऊ। पार्टी महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर प्रवासी मजदूरों के लिये एक हजार बसें चलाने की अनुमति मांगी थी, जिस पर राज्य सरकार ने कांग्रेस से बसों के दस्तावेज और चालकों के नाम मांगे थे। कांग्रेस ने बसों की जो सूची सरकार को दी,उसमें सरकार की ओर से कहा गया कि कई नम्बर दो पहिया वाहन और टैक्सी आदि के हैं।
कांग्रेस और भाजपा के बीच इसको लेकर तकरार चल ही रही थी कि मंगलवार को सदर विधायिका अदिति सिंह ने ट्वीट कर कहा कि कांग्रेस को निम्न स्तर की राजनीति नहीं करनी चाहिये बल्कि पंजाब,राजस्थान के प्रवासियों पर ध्यान देना चाहिये। प्रवासी श्रमिकों के बस मामले में खुद की पार्टी को कठघरे में खड़ा करने वाली रायबरेली में सदर की विधायिका अदिति सिंह की विधानसभा सदस्यता समाप्त करने के लिये कांग्रेस एक बार फिर विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखेगी।
पार्टी के सूत्रों ने गुरूवार को बताया कि श्रीमती सिंह के पार्टी विरोधी आचरण से आलाकमान बेहद खफा है। उन्होने पहले भी अनुशासनहीनता का परिचय दिया है। पिछले साल दो अक्टूबर को उन्होने पार्टी व्हिप का उल्लघंन करते हुये विधानसभा के विशेष सत्र में हिस्सा लिया था जिसके लिये उन्हे नोटिस भी दिया जा चुका है। नोटिस का जवाब नहीं मिलने पर पार्टी ने विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित को पत्र लिखकर उनकी सदस्यता खत्म करने का निवेदन किया था हालांकि उस याचिका का फालोअप नहीं हुआ। उन्होने बताया कि पार्टी जल्द ही श्री दीक्षित को इस मामले में कार्यवाही का अनुरोध करेगी।
इधर, कांग्रेस के नेता अदिति सिंह को लेकर खुलकर बयान देने से बच रहे हैं। प्रदेश में कांग्रेस के अधिकार वाले इकलौते और पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में अदिति सिंह और उनके दिवंगत पिता अखिलेश सिंह का खासा प्रभाव है और शायद यही कारण है कि कांग्रेस उनको निष्कासित करने के बजाय विधानसभा की सदस्यता समाप्त करने की जुगत में है।
पिछले साल अदिति सिंह ने पार्टी व्हिप के खिलाफ जाकर दो अक्टूबर को हुए 36 घंटे के विशेष विधानसभा सत्र में हिस्सा लिया था। उन्होंने पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर बयान भी दिए थे। जिस दिन राज्य सरकार ने विशेष सत्र बुलाया था, उस दिन कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने लखनऊ में शांति यात्रा का नेतृत्व किया था। उससे अदिति नदारद रहीं। तब कांग्रेस की ओर से उन्हें पहला नोटिस भेजा गया था, जिसका उन्होंने जवाब नहीं दिया। इसके बाद कांग्रेस ने अदिति सिंह की सदस्यता समाप्त करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को याचिका दी थी जो कि अभी लम्बित है।