गर्मी में लू लग जाए, बुखार हो जाए तो यह अचूक आयुर्वेदिक उपाय देंगे आपको सेहत लाभ

0
1008

गर्मी के मौसम में लू लगना एक आम समस्या है। कोशिश करनी चाहिए कि लू न लगे। हाथ- मुंह ढक कर धूप में निकले। पानी का सेवन करें, ताकि शरीर में पानी की मात्रा कम न हो।

Advertisment

धूप से आते ही पानी का सेवन न करें, घर से भोजन करके ही बाहर जाए यानी खाली पेट न घर से निकलें इत्यादि। इन सब सतर्कताओं के बावजूद आपको लू लग जाती है तो हम आपको कुछ प्रभावी घरेलू नुस्खे बताने जा रहे हैं, जोकि आयुर्वेद की दृष्टि से उत्तम माने जाते हैं। इन नुस्खों का प्रयोग कर आप लू से हुए बुखार को ठीक कर सकते हैं। लू के प्रभाव को कम किया जा सकता है। कहने-सुनने में यह उपाय बेहद सामान्य प्रतीत होते हों, लेकिन यह हैं, बहुत ही प्रभावी। इसका प्रयोग कर आप लू के कुप्रभाव से मुक्त हो सकते है।कद्दू के बीज ६ माशे मिश्री की चासनी के साथ खिलायें, इससे लाभ होगा। पहला उपाय- शतावर , ढाक का गोंद , धाय के फूल – तीनों को गुलाब घरेलू चिकित्सा के फूलों के रस में घोटकर गोली बना लें और एक गोली पान के साथ दें, लाभ होगा। दूसरा उपाय- छोटी इलाइची , धनियाँ , चंदन , खस , पोस्त के बीज , गुलाब के फूल इन्हें मिला १॥ तोला लें । छह छटाँक पानी में औटावें जब आध पाव रह जावे तो मिश्री मिलाकर पीयें, लाभ होगा। तीसरा उपाय- कासनी , धनियाँ , बनफसा , मकोय , मुलहठी , सोंफ , काली मिर्च , दाख बराबर लेकर कूट – छान लें। इसमें से २ तोला लेकर एक पाव पानी में पकावें जब आधा रह जाये तो छानकर ठंडा कर और मिश्री मिलाकर पीना चाहिए। चौथा उपाय- धनियाँ ३ माशे काहू के बीज ३ माशे छटांक भर पानी में पीसकर छान लें , इसमें ४ तोले अर्क गुलाब , २ तोला शरबत चंदन मिलाकर पिलाये, लाभ होगा । पाचवां उपाय- आँवले का मुरब्बा चाँदी का बर्क लपेटकर खिलाना चाहिए । इन नुस्खों का प्रयोग कर आप लू से हुए बुखार को ठीक कर सकते हैं।

हीट स्ट्रोक या तेज लू के महत्वपूर्ण लक्षण

(1) बदन इतना गर्म होने के बावजूद पसीना एकदम बंद हो जाए. त्वचा सूख जाए।

(2) तेज बुखार- मुंह या रेक्टल तापमान 40 डिग्री सेल्सियस यानी 104-105 डिग्री फैरिनहाइट या इससे ज्यादा होना।

(3) विचित्र मानसिक लक्षण दिखें (मरीज बेहोश हो जाए, गफलत में हो या आंय-बांय बोल रहा हो)।

इस मरीज की हालत बड़ी तेजी से बिगड़ती है। अगर एक घंटे में उसके बढ़े हुये तापमान को नीचे नहीं लाया जाए तो मरीज के बचने की उम्मीद बहुत कम हो जाती है। फिर मरीज मल्टी आर्गन फेल्योर में जाकर शायद ही वापस लौट पाये।

सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें। सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here