मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। उत्तर प्रदेश के कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) में अनामिका शुक्ला के नाम पर नियुक्तियों के फर्जीवाड़े का जल्द ही खुलासा हो जाएगा।
मामले की जांच कर रही प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) को कुछ अहम सुराग हाथ लगे हैं। पूरी संभावना है कि एक दो दिनों में ही इस फर्जीवाड़े को अंजाम देने वाले गैंग तक उसके हाथ पहुंच जाएंगे। सूत्रों के अनुसार एसटीएफ को ऐसी पुख्ता सूचनाएं मिली हैं कि केजीबीवी में शिक्षकों की संविदा पर होने वाली नियुक्तियां इस गिरोह का ‘साफ्ट टारगेट’ रही हैं। चूंकि इन नियुक्तियों में मेरिट का अहम रोल होता है, इसलिए इसमें अधिक अंक पाने वाले अभ्यर्थी के अंकपत्रों ने जगह-जगह अपना कमाल दिखाया। अब तक की जांच में प्रदेश के नौ जिलों में केजीबीवी में फर्जी नियुक्तियों का मामला पकड़ में आ चुका है। साथ ही इसमें अनामिका शुक्ला, दीप्ति के अलावा प्रीति यादव नाम के एक अन्य महिला अभ्यर्थी के अंकपत्रों के इस्तेमाल की बात सामने आई है। गिरोह ने अलग-अलग जिलों में अलग-अलग अभ्यर्थियों को अंकपत्र मुहैया कराए हैं। इसके बदले उनसे वर्ष के 11 महीनों में मानदेय के रूप में मिलने वाली धनराशि में हिस्सेदारी तय की गई। विभागीय लापरवाही या मिलीभगत से ये महिला अभ्यर्थी दूसरे के नाम से आराम से नौकरी करती रहीं और अपने बैंक खाते में मानदेय प्राप्त करती रहीं। एसटीएफ को इसमें विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत होने की आशंका भी है। सूत्रों का कहना है कि इस पूरे मामले की एक कड़ी पश्चिमी यूपी में पकड़ में आ गई है। मैनपुरी जिले के करहल ब्लॉक के केजीबीवी में दीप्ति नाम की युवती को अनामिका के नाम से फर्जी नियुक्ति दिलाई गई थी। बाद में यही ‘खेल’ कासगंज जिले में दोहराया गया, जहां सुप्रिया को फर्जी नियुक्ति दिलाई गई। एसटीएफ की टीमें इस समय सभी नौ जिलों में फर्जीवाड़े से जुड़े अभ्यर्थियों से पूछताछ कर उनकी मदद करने वालों की कड़ियां आपस में जोड़ रही हैं।