अब कुम्हारों को मिलेगा तकनीकी का साथ  

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पवन कुमार, लखनऊ/ मीरजापुर। एक जमाना था कि कुम्हारों का बहुत महत्व होता था। समय के साथ वह महत्व नहीं रहा, लेकिन उनकी प्रासंगिकता आज भी है। वह अपने हुनर का प्रयोग कर नई-नई वस्तुएं बनाते हैं, लेकिन अब प्रदेश के कुम्हारों के दिन अब बहुरने वाले हैं। अब उन्हें तकनीकी का साथ भी मिल गया है। मिट्टी के बर्तनों, दीपों और मटकों को सुंदर आकृति प्रदान करने वाले कुम्हारों के दिन अब बहुरने वाले हैं। सेवापुरी में खास डीह के चौदह कुम्हारों को इलेक्ट्रानिक चाक दिया गया है। जिसे पाकर वह खुश नजर आए।

कम मेहनत में ज्यादा माल का निर्माण और ठीक-ठाक मुनाफा देने के लिए सरकार ने कुम्हारों को इलेक्ट्रानिक चाक मुहैया कराया है। हाईटेक युग ने अब कुम्हारों के लिए भी राहत के दिन निकाल ही लिए है। खास डीह के दर्जनों परिवार में इलेक्ट्रानिक चाक पर दीपों व मिट्टी के बर्तनों का भंडार हो रहा है। बाजार में चाइनीज सामानों की पकड़ बढ़ने से कुम्हारों के बुरे दिन शुरू हो गए थे। बची-खुची कसर को लॉकडाउन ने पूरा कर दिया। नतीजा यह कि कुम्हारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया। कुम्हारों की मेहनत का फल उन्हें नहीं मिल पा रहा है। वजह साफ थी, मिट्टी के चॉक पर अधिक मेहनत करने पर भी दीपों की संख्या कम ही रह जाती थी। बार-बार चाक घुमाने से शाम तक कुम्हार की हालत पतली होना लाजमी था। इलेक्ट्रानिक चाक कुम्हारों के लिए खुशखबरी लेकर आया है, जिससे कम मेहनत में अधिक मिट्टी के बर्तन बनाए जा सकेंगे। कुम्हारों के लिए इलेक्ट्रानिक चाक खास किस्म का बनाया गया है। यह चाक गोल ही होता है लेकिन इसे बिजली से चलाया जाता है। इसमें एक किलोवाट का इलेक्ट्रिक मोटर लगा है। स्टैंडनुमा बॉडी पर बने चाक की रफ्तार को घटाने व बढ़ाने की भी सुविधा दी गई है। हाथ के चाक की अपेक्षा इस इलेक्ट्रानिक चाक पर तेजी से दीपक, मटकी, सुराई समेत विभिन्न सामान बनाया जा सकता है। हाथ के चाक पर तीन घंटे में जितने दीपक बनते हैं, उतने ही दीपक केवल एक घंटे में इस चाक पर बनाए जा सकते हैं। खास डीह निवासी दशरथ ने बताया कि इलेक्ट्रानिक चाक से कम मेहनत में अधिक मिट्टी के बर्तन और दिए बनाए जा रहे हैं। जिससे अच्छे परिणाम मिलने के आसार दिखने लगे। त्रिलोकी ने बताया कि इलेक्ट्रानिक चाक से कुम्हारों को लाभ मिलेगा लेकिन पूर्णबंदी की वजह से मिट्टी के बर्तन की बिक्री ठप हो गई है। श्याम सुंदर का कहना है कि इलेक्ट्रॉनिक चाक से मिट्टी के बर्तन व अन्य सामान बनाने में मेहनत और समय की बचत हुई है। कुम्हारों को बिजली के बिल में भी छूट देना होगा जिससे उन्हें राहत मिले। गोविंद ने बताया कि पूर्णबंदी का असर अभी दिख रहा है। इलेक्ट्रॉनिक चाक से फायदा है। बिजली की समस्या का निदान मिलने के साथ ही अन्य सहायता भी मुहैया कराने की जरूरत है।

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