पुलिस दल संभल भी न सका कि होने लगी तीन ओर से गोलियों की बौंछार!

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मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के विकरू गांव में कुख्यात विकास दुबे और उसके गुर्गों के साथ हुई मुठभेड़ में नए-नए खुलासे हो रहे हैं।

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पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक सीओ देवेंद्र मिश्रा के चेहरे, सीने और पैर पर सटाकर गोली मारी गई।उनका भेजा और गर्दन का हिस्सा उड़ गया था, जबकि उनके पैर और कमर पर धारदार कुल्हाड़ी जैसे हथियार से वार के निशान थे।बताया जा रहा है कि विकास दुबे या उसके किसी गुर्गे ने सीओ देवेंद्र मिश्रा पर पिस्टल से गोली मारी, क्योंंकि गोली शरीर के पार हो गई थी।पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक थाना प्रभारी महेश यादव, मंधना चौकी प्रभारी अनूप सिंह, दारोगा नेबूलाल और सिपाही जितेंद्र पाल के शरीर से ही गोलियां और उनके टुकड़े बरामद हुए हैं। सीओ देवेंद्र मिश्रा, सिपाही राहुल, बबलू और सुल्तान के शरीर से बुलेट नहीं मिली। शवों से बरामद हुए कारतूस व उनके टुकड़ों को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है।माना जा रहा है कि हत्यारों ने रायफल व पिस्टल लूटने के बाद उन हथियारों से भी कई राउंड गोलियां चलाईं, जो पुलिस कर्मियों को लगी थीं। 1981 में हुए एनकाउंटर में 2000 राउंड गोलियां थी।अपनों की दगाबाजी से UP पुलिस के इतने जवान शाहीद हुये थे।पुलिस की तरफ से महज 21 राउंड फायरिंगपुलिस के मुताबिक जब टीम विकास दुबे के घर दबिश देने पहुंची थी उस वक्त करीब 100 बदमाश वहां मौजूद थे।हमले में शामिल सभी बदमाशों ने एक साथ हमला किया था।सभी ने अंधाधुंध फायरिंग की थी। एके-47 समेत कई आटोमेटिक वेपन से फायरिंग की गई।इस हमले के जवाब में पुलिस की तरफ से महज 21 राउंड ही गोलियां चली।तीन थानों की फोर्स, पर्याप्त असलहा व कारतूस होने के बावजूद तीन दिशाओं से हो रही ताबड़तोड़ फायरिंग से किसी को संभलने का मौका तक नहीं मिला। इस मामले में पुलिस ने विकास दुबे समेत 21 नामजद और 80 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। पुलिस ने विकास के मामा प्रेम प्रकाश पांडेय और चचेरे भाई अतुल दुबे को मुठभेड़ में मार गिराया था।बीजेपी नेता संतोष शुक्ला की हत्या के मामले में अतुल दुबे नामजद आरोपी था। 2001 में अतुल व प्रेम प्रकाश के खिलाफ डकैती का मुकदमा भी दर्ज हुआ था।

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