नयी दिल्ली। भारत और चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगते क्षेत्रों से अपने-अपने सैनिकों को जल्द पीछे हटाने और तनाव कम करने पर सहमति जतायी है जिससे पूर्वी लद्दाख में ‘शांति की पूरी तरह से बहाली’ की जा सके।इस बीच सूत्रों के अनुसार दोनों सेनाओं के कोर कमांडरों के बीच गत 29 जून को हुई बातचीत और शर्तों के अनुरूप दोनों देशों के सैनिकों ने आज गलवान घाटी क्षेत्र से पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू की।
विदेश मंत्रालय ने एक वक्तव्य जारी कर कहा है कि सीमा मुद्दे पर भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधियों – भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने रविवार को भारत-चीन सीमा के पश्चिमी सेक्टर में हाल के घटनाक्रम पर बेबाक और विस्तार से विचारों का आदान-प्रदान किया।
टेलीफोन पर हुई बातचीत के दौरान दोनों पक्षों ने इस बात को माना कि उन्हें दोनों देशों के नेताओं के बीच सीमा पर शांति बनाये रखने के लिए बनी सहमति के अनुरूप आगे बढना होगा क्योंकि द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती के लिए सीमा पर शांति जरूरी है। इस बात का भी उल्लेख किया गया कि उन्हें मतभिन्नता को विवाद नहीं बनने देना है।
वक्तव्य में कहा गया है कि उन्होंने माना कि सीमा पर पूरी तरह शांति बहाली के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगते क्षेत्रों से सैनिकों को पीछे हटाना और सीमा पर तनाव कम करना जरूरी है। ” दोनों पक्षों को सुनिश्चित करना होगा कि सीमा पर तनाव कम करने के लिए चरणबद्ध तरीके से कदम उठाये जायें।
उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि दोनों पक्षों को वास्तविक नियंत्रण रेखा का सख्ती से सम्मान करना होगा और यथास्थिति को बदलने के लिए एकतरफ कदम नहीं उठाये जाने चाहिए। भविष्य में ऐसी कोई घटना नहीं होनी चाहिए जिससे सीमा पर अशांति पैदा हो।
दोनों विशेष प्रतिनिधियों ने इस बात पर भी सहमति जतायी कि दोनों पक्षों के राजनयिक तथा सैन्य अधिकारियों को स्थापित चैनलों के माध्यम से बातचीत जारी रखनी चाहिए। वे इस बात पर भी सहमत हुए कि दोनों विशेष प्रतिनिधि द्विपक्षीय समझौतों तथा प्रोटोकाल के अनुरूप सीमा पर पूरी तरह से शांति बहाली के लिए बातचीत जारी रखेंगे।