कोरोना को लेकर योगी सरकार पर माया, प्रियंका और टीपू ने एक साथ तानी तलवारें!

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मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कोरोना के बढ़ते प्रकोप से जनता में दहशत बढ़ गया है। कुछ शर्तों के साथ सोमवार को  यूपी सरकार ने कम असर वाले कोरोना संक्रमित रोगियों को घर में होम कोरेन्टीन करने का आदेश दे दिया है तो सम्पूर्ण विपक्ष भी बयान में पीछे नहीं रह।

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बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा है कि यूपी में कोरोना महामारी जिस प्रकार विकराल रूप धारण कर रही है वह गंभीर चिंता की बात है। मायावती ने ट्वीट कर कहा है कि आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य में गरीब व पिछड़े जिस तरह कोरोना की चपेट में आ रहे हैं वह गंभीर चिंता की बात है। राज्य व केंद्र सरकार को भी इस बारे में विशेष सचेत होने की जरूरत है। यह जुगाड़ से नहीं बल्कि उचित व्यवस्था से नियंत्रित हो सकता है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने अपने हमलों का क्रम जारी रखते हुए कहा है कि यूपी में कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं।

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अब टेप रिकॉर्डर जैसी चलने वाली प्रेस वार्ताओं से यूपी सरकार का काम नहीं चलने वाला। इस स्थिति पर ध्यान देना ही होगा। प्रियंका गांधी ने सोमवार को ट्वीट कर के कहा है कि यूपी के दो प्रमुख नगरों लखनऊ और गोरखपुर के सरकारी अस्पतालों में बेड फुल हो जाने की खबरें हैं। कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं और अस्पतालों की ये स्थिति चिंताजनक है। तीन महीने पहले सरकार के समक्ष उठाई गई चिंताएं आज हकीकत के रूप में सामने आ रही हैं। अब सरकार को ध्यान देना ही होगा। बता दें कि प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं।समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि जब मरीजों की संख्या के मुकाबले अधिगृहीत होटल भी कम पड़ रहे हैं तब भाजपा सरकार को होम क्वारेंटाइन की बात मानने में क्या दिक्कत है? क्या इसलिए सरकार यह बात नहीं मान रही है कि इसकी मांग समाजवादी पार्टी ने उठाई है। यह तो राजनीतिक द्वेष भावना और संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है।उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस का संक्रमण महामारी का रूप ले रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि सितम्बर आते-आते उत्तर प्रदेश में कोरोना मरीजों का रिकार्ड बन जाएगा। भाजपा सरकार इस संकट से निबटने में अक्षम और असहाय दिखने लगी है। मुख्यमंत्री बैठकें तो बहुत करते दिखतें हैं पर नतीजा सिफर ही रहता है।भाजपा की सरकार जबानी जमा खर्च की है। इसने न कुछ किया, ना कुछ करना है, ना ही कुछ करेंगे। पता नहीं मुख्यमंत्री किस अर्थशास्त्र के ज्ञाता हैं कि वे एक माह में कोरोना संकट के बावजूद अर्थव्यवस्था पहले जैसी होने का दावा कर रहे हैं। उनके दावे में दम नहीं है। अधिकारी हेराफेरी में माहिर हैं, वे आंकड़ों में सुधार का दिखावा कर रहे हैं और मुख्यमंत्री दूसरों को गुमराह कर रहे हैं। सरकार के पास बढ़ती बीमारी के रोकथाम और इलाज की न तो कोई प्रभावी तैयारी है और नहीं कोई समुचित व्यवस्था है। जबकि सोमवार को अपरमुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि राज्य में कुल संक्रमितों की संख्या अब 51 हजार को पार कर गई है। इस महामारी की चपेट में आकर मरने वालों की संख्या भी 1200 के करीब जा पहुंची है। उन्होंने कहा कि बीते 24 घंटे में प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण के 1924 नए मामले सामने आए हैं। इसके साथ ही कुल संक्रमितों की संख्या अब 51 हजार 160 हो गई है। इसमें से 30 हजार 831 मरीज इलाज के बाद पूरी तरह स्वस्थ हो चुके हैं और उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है। राज्य में फिलहाल कोरोना के 19 हजार 137 सक्रिय मामले हैं, जिनका अलग-अलग हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है। प्रसाद ने बताया कि राज्य में कोरोना के कारण 1192 लोगों की मौत हुई है।

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