हां!आज भी रिश्तो में थोड़ी जान बाकी है,
थोड़ा सा मान-अभिमान अभी बाकी है,
कुछ-कही अनकही बातें कहना अभी बाकी है,
कुछ समझना ,समझाना अभी बाकी है,
सामने वाले को अपनाने से पहले, खुद को मनाना अभी बाकी है,
कितने गिले-शिकवे, रूठना-मनाना अभी बाकी है,
टूटे हुए फूलों में, आज भी वह महक बाकी है,
तेरे साथ बिताए पलों की आज भी वह कसक बाकी है,
हां!आज भी रिश्तो में थोड़ी जान बाकी है।
तोड़े-मरोड़े संबंधों को सहेजना अभी बाकी है,
टूटे हुए तारों का जुड़ना अभी बाकी है,
स्मृतियों के कुछ अवशेष आज भी अभी बाकी हैं,
तस्वीरों भले ही बदल जाए, यादें अभी बाकी हैं,
हां!आज भी रिश्तो में थोड़ी जान बाकी है।
कहीं दूर दिखती किरण को अपनाना अभी बाकी है,
उम्मीदों पर खरा उतरना अभी बाकी है,
खोई हुई खुशियों का लौटना अभी बाकी है,
दिल पर लगे जख्मों में मरहम लगाना अभी बाकी है,
आने वाली खुशियों को सहेजना अभी बाकी है,
दिलों की टूट गई, जिंदादिली को जगाना अभी बाकी है,
थोड़ा सा मान-अभिमान अभी बाकी है,
हां! आज भी रिश्तो में, थोड़ी जान अभी बाकी है।
डॉ. ऋतु नागर
लोकभवन के सामने मां-बेटी के आत्मदाह के प्रयास का निकला राजनैतिक कनेक्शन!
ये तारीखें गवाह रहीं श्रीराम मंदिर विध्वंस और श्रीराम मंदिर निर्माण के संघर्ष की