भगवान की सुहृदयता में विश्वास होते ही जीवन बदल जायेगा । अशान्ति सदा के लिये शान्त हो जाएगी। स्वार्थपरता निष्कामसेवा में बदल जायगी । असहिष्णुता सहिष्णुता , धीरता उदारता और वदान्यता बन जाएगी । गर्व – अभिमान विनय – विनम्रताके रूपमें , असद्भावना सद्भावनाके रूपमें , दोषदर्शन और तीव्र निन्दा गुणदर्शन और प्रशंसाके रूपमें तथा द्वेष प्रेमके रूपमें परिणत हो जायेगा । जगत में सर्वत्र समझ निजजन , आत्मीयजन और अपने बन्धु – ही – बन्धु दिखायी देंगे ।
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