राजनीतिज्ञ अमर सिंह का निधन, अखिलेश यादव को नमाज़वादी भी घोषित किया

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जन्म 27 जनवरी 1956 — मृत्यु 1 अगस्त 2020

लखनऊ। भारतीय राजनीतिज्ञ अमर सिंह की आज सिंगापुर के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। कभी सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के दाहिने हाथ माने जाने वाले अमर सिंह की शायराना अंदाज के कारण उत्‍तर प्रदेश की राजनीति में अलग पहचान थी। नवंबर 1996 में वे राज्यसभा के सदस्य मनोनीत किए गए हैं जबकि 2008 में मनमोहन सरकार द्वारा विश्वास मत हासिल करने की बहस के दौरान भाजपा के तीन सांसदों ने संसद में एक करोड़ रुपए के नोटों की गड्‍डियां दिखाई थीं। सांसदों ने आरोप लगाया कि मनमोहन सरकार ने अमर सिंह के माध्यम से उनके वोट खरीदने की कोशिश की थी। छह सितंबर 2011 को अमर सिंह भाजपा के दो सांसदों के साथ तिहाड़ जेल भेजे गए।
अमर सिंह ने इसके बाद राष्ट्रीय लोकमंच पार्टी की स्थापना की। 2012 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान राष्ट्रीय लोकमंच के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। 2014 में अमर सिंह ने राष्ट्रीय लोकदल से लोकसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन वह भी बुरी तरह हारे। उन्‍होंने राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा भी की थी।

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अमर सिंह  एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं, जो उत्तर प्रदेश से हैं और समाजवादी पार्टी के नेताओं में से एक रहे हैं। वो समाजवादी पार्टी के महासचिव व भारतीय संसद के उपरी सदन राज्य सभा के सदस्य रह चुके हैं। 6 जनवरी 2010 को, इन्होंने समाजवादी पार्टी के सभी पदों से त्यागपत्र दे दिया। इसके बाद पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने उन्हें 2 फ़रवरी 2010 को पार्टी से निष्कासित कर दिया। वर्ष 2011 में इनका कुछ समय न्यायिक हिरासत में भी बीता। अन्ततः इन्होंने राजनीति से सन्यास ले लिया। घोषणा करते हुए इन्होंने कहा- “मैं अपनी पत्नी और अपने परिवार को अधिक समय देना चाहता हूँ। अतः चुनावों की अन्तिम तिथि (13 मई) के बाद, मैं राजनीति से सन्यास ले लुँगा।” वर्ष 2016 में इनकी समाजवादी पार्टी में पुनः वापसी हुई और राज्य सभा के लिए चुने गये। फ़िलहाल ये समाजवादी से अलग होकर नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के समर्थन में आए दिन बयान दे रहे हैं। उन्होंने अखिलेश यादव को नमाज़वादी भी घोषित कर दिया है। लोकतंत्र सेनानी कल्याण समिति के संरक्षक विधानपरिषद सदस्य यशवन्त सिंह ने वरिष्ठ राजनेता सांसद अमर सिंह के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया और कहा कि उनके निधन से देश व दुनियां के पटल से आज़मगढ़ की एक विशेष तरह की महत्वपूर्ण उपस्थिति का अंत हो गया।

अमर सिंह- अमिताभ दोस्ती की एक  मिसाल

अमर सिंह और बॉलीवुड महानायक अमिताभ बच्चन के बीच दोस्ती की एक समय मिसाल दी जाती थी। कहा तो यह भी जाता है कि अमिताभ बच्चन जब कर्ज के मकड़जाल में फंस कर दिवालिया होने की कगार पर थे तो उन्हें अमर सिंह ने ही ऊबारा था। सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के दाहिने हाथ माने जाने वाले अमर सिंह ही अमिताभ बच्चन की पत्नी जया बच्चन को सपा में लाए थे। जया बच्चन चार बार से राज्यसभा में सपा सांसद है।
अमिताभ बच्चन के जीवन के बुरे वक्त में और उन्हें दिवालिया होने से बचाने वाले अमर सिंह की गहरी दोस्ती के बीच दरार उस समय आई जब सपा से निकाले जाने पर उन्होंने जया बच्चन को पार्टी छोड़ने के लिए कहा लेकिन वह नहीं मानी।
सुपरस्टार अमिताभ बच्चन 90 के दशक में अपने जीवन के सबसे बुरे दौर से गुजर थे। फिल्में लगातार फ्लॉप होने से उनकी कंपनी अमिताभ बच्चन कॉरपोरेशन लिमिटेड (एबीसीएल ) भी डूब गई थी। हालत इतने खराब हो गए थे कि उनके बंगले के बिकने और दिवालिया होने की नौबत तक आ गई थी। ऐसे समय में अमर सिंह ने दोस्ती निभाई और अमिताभ बच्चन को कर्ज से ऊबारने में मदद की। दोनों के बीच यह दोस्ती काफी लंबे समय तक चली। जया बच्चन को सपा में अमर सिंह ही लेकर आए। बताया जाता है कि अमिताभ शुरुआत में जया बच्चन के राजनीति में आने के पक्ष में नहीं थे किंतु अमर सिंह ने उन्हें मनाया।
वर्ष 2010 में अमर सिंह को सपा से जब निष्कासित किया गया तो उन्होंने जया बच्चन से भी पार्टी छोड़ने के लिए कहा किंतु वह नहीं मानी और यहीं से उनके और बच्चन परिवार के रिश्तों में दरार आई।
बाद में अमर सिंह ने इस साल फरवरी में वीडियो जारी कर अमिताभ बच्चन से माफी मांगी थी। वीडियो में उन्होंने कहा था, “आज मेरे पिता की पुण्यतिथि है और मुझे अमिताभ बच्चन का संदेश आया है। अपने जीवन के इस पड़ाव पर जब मैं जिंदगी और मौत से जूझ रहा हूं, मुझे अमित जी और उनके परिवार के लिए हद से ज्यादा बोल जाने का पश्चाताप हो रहा है। भगवान उनके परिवार को अच्छा रखे।”

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