अहसास जो भूलता नहीं
जन्म दिवस अब न जाने क्यों?
न जाने क्यों, दुखमय- सा लगता है?
वो खुशी से चहक कर आशीष लेना याद है मुझे।
वो स्नेह व प्यार भी याद है मुझे।
पर! अब जीवन अनाथ सा लगता है।
याद आती है इस कठिन डगर में,
बेटा जी, अब कोई कहता नहीं।
बेगाना मन याद करता है तो,
तस्वीर में छिपी मुस्काहट से,
यादों का तराना आता है।
भ्रम के बादल मंडराते हैं,
मन पुलकित-सा हो जाता है।
फिर नयन अश्रु बह जाते हैं।
फिर वही! पापा आप बहुत याद आते हैं,
सचमुच बहुत याद आते हैं।।
जन्म दिवस अब न जाने क्यों?
न जाने क्यों, दुखमय- सा लगता है?
डॉ. मीना शर्मा
Advertisment
सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें।
सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।