राम और परशुराम में भेद नहीं, इन नेताओं की कुत्सित मंशाओं में भेद: योगी

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श्रीराम जन्म भूमि मन्दिर निर्माण से सम्बन्धित 492 वर्षों से चले आ रहे विवाद का पटाक्षेप,एक गौरव का विषय: योगी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज विधान सभा में कहा कि 492 वर्षों के बाद अयोध्या में मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम के भव्य मन्दिर निर्माण की कार्यवाही का देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कर कमलों से शुभारम्भ होना, उत्तर प्रदेशवासियों के लिए एक गौरव का विषय है और इसमें इस सदन की अपनी भूमिका रही है। पूरे सदन के सभी माननीय सदस्यों को, अपनी कैबिनेट के सभी सदस्यों को हृदय से बधाई देते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री  का तथा गृृह मंत्री जी के प्रति हृदय से आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर उन्होंने सदन के सदस्यों तथा प्रदेशवासियों को गणेश चतुर्थी की बधाई भी दी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रीराम जन्म भूमि मन्दिर निर्माण से सम्बन्धित 492 वर्षों से चले आ रहे विवाद का पटाक्षेप, शान्तिपूर्ण तरीके से, लोकतांत्रिक तरीके से सम्पन्न करवा करके भारत ने अपनी लोकतांत्रिक ताकत का एहसास भी कराया है और साथ-साथ अपनी संवैधानिक और न्यायपालिका की ताकत का एहसास भी दुनिया के अन्दर करवाया है। हम सब के लिए यह गौरव का विषय है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सचमुच हम सब सौभाग्यशाली हैं कि 492 वर्षों में अनेक पीढ़ियाॅं गयीं, संघर्ष होता रहा, 76 से अधिक बड़े-बडे़ युद्ध हुए, 04 लाख से अधिक श्रद्धालु वहाॅं पर शहीद हुए और अन्ततः जो लोग पहले बड़ी-बड़ी धमकियां देते थे, जब 09 नवम्बर, 2019 को फैसला आया, उत्तर प्रदेश के लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे शान्तिपूर्ण दिन था, यह मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम की ताकत है। यह वही ताकत है, जिस ताकत को दुनिया ने भी समझा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बहुत सारे लोगों को रामराज्य की अवधारणा अच्छी नहीं लगती। इसीलिए मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम के मन्दिर निर्माण की प्रक्रिया आगे बढ़ने से अपनी भावनाएं और अपने अन्दर की कुण्ठा को वह दबा नहीं पाए। वह बरबस किसी न किसी रूप में निकल रहा है और किस रूप में निकल रहा है, इनके वक्तव्यों को देख करके आश्चर्य होता है। यह वक्तव्य भी किस रूप में सामने आते हैं, यानी जब देश में हर्ष, उमंग और उत्साह का एक नया माहौल है, दुनिया भारत को बधाई दे रही है, प्रधानमंत्री मोदी का अभिनन्दन कर रही है, गृृह मंत्री श्री अमित शाह का अभिनन्दन कर रही है।

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तिथियों का अद्भुत संयोग

मुख्यमंत्री ने कहा कि तिथियों का अद्भुत संयोग है। 09 नवम्बर, 1989 को पूज्य संतों ने अयोध्या में राम मन्दिर के निर्माण का एक संकल्प लिया था। 09 नवम्बर, 2019 को 40 साल के बाद हिन्दू समाज और राम मन्दिर के पक्ष में सर्वसम्मत फैसला आया।
05 अगस्त, 2019 को देश की सत्तालोलुप राजनीति की एक बड़ी गलती का परिमार्जन देश की संसद ने, प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में, गृह मंत्री श्री अमित शाह जी ने कश्मीर की धारा-370 को सदैव के लिए समाप्त कर आतंकवाद के ताबूत में अंतिम कील ठोकने का कार्य किया। 05 अगस्त, 2020 को ठीक 01 वर्ष के बाद 492 वर्षांे का एक ऐतिहासिक कालखण्ड हम सबको देखने को मिला है। हम सौभाग्यशाली हैं कि हमारी पीढ़ी के सामने यह सारे कार्य सम्पन्न हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके बाद बहुत सारे लोगों के वक्तव्य आये। जिन लोगों को राम की वास्तविकता पर विश्वास नहीं था, उन्हें राम की ताकत का एहसास अब हो रहा होगा। अब रोम की भाषा बोलने वाले लोग भी राम-राम चिल्लाने लग गये हैं, भले ही परशुराम के बहाने ही क्यों न हो। राम का नाम तो ऐसा है कि चाहे किसी भी रूप में लें, राम के नाम पर, चाहे परशुराम के नाम पर, चाहे मरा-मरा के नाम पर लें, वह हर एक का उद्धार कर देता है।

यह वही लोग हैं जिन्होंने राम सेतु का विरोध किया था

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह वही लोग हैं जिन्होंने राम सेतु का विरोध किया था, जिन्होंने नागरिकता कानून के नाम पर देश की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया था, इस समाज को बांटने का प्रयास किया था। ऐसे लोग आज फिर से अपनी विभाजनकारी और कुत्सित राजनीति के जरिए समाज को विभाजित करने की ओर अग्रसर हो रहे हैं। यह वही लोग हैं जिन्होंने राम भक्तों पर गोलियां चलायीं थीं। यह वही लोग हैं जो आज जातिवाद का नारा कर रहे हैं, जातीयता का झण्डा लेकर चल रहे हैं। यह वही लोग हैं जब सत्ता में आते हैं तो कन्नौज के भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता नीरज मिश्रा का सिर काटकर ब्रीफकेस में अपने यहां मंगाते हैं और उस शर्मनाक घटना के बाद भी जनता से माफी नहीं मांगते।

वही लोग हैं जो तिलक और तराजू की बात करके समाज को बार-बार गाली देते थे

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह वही लोग हैं जो तिलक और तराजू की बात करके समाज को बार-बार गाली देते थे और, आज  उत्साह और उमंग के इस माहौल में, किस प्रकार नये रूप में जहर घोलने का काम कर रहे हैं। समाज देख रहा है, लेकिन राम का काज चलता रहेगा। इसके लिए पूरे सदन व सदस्यों को हृदय से बधाई।
अयोध्या में राम मन्दिर की कार्यवाही एक अभूतपूर्व घटना है। आने वाले समय के लिए इसे और भी स्मरणीय बनाने हेतु हम नये प्रयास के साथ अयोध्यापुरी के विकास की नयी रूप-रेखा तैयार कर रहे हैं। लेकिन अभी अयोध्या में राम जन्मभूमि पर मन्दिर के लिए प्रधानमंत्री जी द्वारा शुभारम्भ किये गये कार्य के प्रसाद को हर प्रदेश तक और हर जनप्रतिनिधि तक पहुंचाने के अभिनव कार्य को अपने हाथों में लेना है। देश-दुनिया में यह प्रसाद सब तक पहुचना ही चाहिए। उत्तर प्रदेश में सरकार इस दायित्व को निभाएगी कि प्रसाद सब तक पहुंचेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस प्रकार प्रयागराज कुम्भ के अवसर पर मंत्रिपरिषद के मंत्रियो ने देश के अलग-अलग राज्यों में जाकर ब्राण्ड एम्बेसेडर के रूप में प्रयागराज कुम्भ को एक यूनीक इवेन्ट के रूप में प्रस्तुत किया, उसी रूप में अयोध्या की इस घटना को देश और दुनिया के सामने प्रस्तुत करेगे तो उत्तर प्रदेश में ढेर सारी सम्भावनाएं आगे बढ़ेंगी।

राम मात्र लघु नाम हमारा। परसु सहित बड़ा नाम तोहारा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राम और परशुराम में तात्विक रूप से कोई भेद नहीं है, दोनों विष्णु अवतार हैं। तात्विक रूप से शास्त्रों ने कोई भेद नहीं माना है। लोक भाषा में संत तुलसीदास जी ने बहुत अच्छे ढंग से इसकी विवेचना की है, बहुत अच्छे ढंग से इसको प्रस्तुत किया। जब धनुष भंग के समय भगवान परशुराम पधारते हैं तो मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के मुंह से उन्होंने कह दिया:
राम मात्र लघु नाम हमारा। परसु सहित बड़ा नाम तोहारा।
देव एकु गुनु धनुष हमारें। नव गुन परम पुनीत तुम्हारें।
सब प्रकार हम तुम्ह सन हारे। छमहु बिप्र अपराध हमारें।।
भगवान राम की मर्यादा है कि भगवान परशुराम के प्रति किस प्रकार के सम्मानजनक शब्दों का प्रयोग करते हुए कहते हैं कि ‘हे देव! हमारे तो एक ही गुण धनुष है लेकिन आपमें तो परम पवित्र-शम, दम, तप, शौच, क्षमा, सरलता, ज्ञान, विज्ञान और आस्तिकता यह सभी नौ गुण आपमें हैं। हम तो सब प्रकार से आपसे हारे हैं, क्योंकि आप विप्र हैं। हमारे अपराधों को क्षमा कीजिए।’ यह भगवान राम ही कह सकते हैं।
भगवान परशुराम ने फिर यही बात कही है:
राम रमापति कर धनु लेहू। खैंचहु मिटै मोर संदेहू।
अर्थात भगवान परशुराम कहते हैं कि भगवान विष्णु का वह धनुष, आखिर यह संदेह मिटे कैसे, हे राम, क्या मैं जो देख रहा हूं वह सच है। यह धनुष लीजिए, इसका संधान कीजिए।
वह धनुष स्वतः ही राम के पास पहुंचता है। इसके बाद पुनः भगवान परशुराम के मुंह से निकल पड़ता है:
जय रघुबंस बनज बन भानू। गहन, दनुज कुल दहन कृसानू।
जय सुर बिप्र धेनु हितकारी। जय मद मोह कोह भ्रम हारी।।
कहि जय जय जय रघुकुलकेतू। भृगुपति गए बनहि तप हेतू।

कुत्सित मंशाओं को व्यक्त करने के बजाए देश की खुशी के साथ यह लोग भी उमंग और उत्साह के साथ आये होते

मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर इन्होंने राम और परशुराम के महत्व को समझा होता तो अपनी जातिवादी, विभाजनकारी कुत्सित मंशाओं को व्यक्त करने के बजाए देश की खुशी के साथ यह लोग भी उमंग और उत्साह के साथ आये होते तो भारत की ताकत कई गुना बढ़ी होती। लेकिन दुर्भाग्य है इन लोगों का जो देश की खुशी के साथ खुश नहीं हो सकते। देश और राष्ट्र मंगल की खुशी के साथ वही लोग खुश हो सकते हैं जिनमें मर्यादा होती है, जिनमें धैर्य होता है। लोकतंत्र में मर्यादा और धैर्य अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं। लोकतंत्र बिना लोकलाज के नहीं चलता। यह लोक लाज बहुत महत्वपूर्ण होती है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि व्यक्ति कुछ समय के लिए झूठ का सहारा लेकर समाज के चेहरे पर तो धूल झोंक सकता है, लेकिन विधाता से कभी बच नहीं सकता। यह गलती वह लोग कर रहे हैं जो 492 वर्षों की गलती के परिमार्जन के फलस्वरूप अयोध्या में जो अवसर आया है उस अवसर पर भी जिन लोगों ने राजनीति करके और उस अवसर को धूमिल करने का प्रयास किया है। उन लोगों को समाज जवाब देगा, समय के अनुरूप जवाब देगा और अवश्य जवाब देगा।
मुख्यमंत्री ज ने कहा कि प्रधानमंत्री और सूचना प्रसारण मंत्री, भारत सरकार ने रामायण और महाभारत धारावाहिकों का फिर से प्रसारण करवाकर लोगों में एक नयी ऊर्जा का संचार किया। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि यह लोगों की मांग है, यही भारत की भावना है। यदि विपक्ष ने इस भावना को समझने का प्रयास किया होता तो राम के प्रति इस प्रकार की अनर्गल टिप्पणी यह लोग नहीं करते। जो राम का हुआ उसके सारे काम अपने-आप सिद्ध होते हैं और यह भारत की परम्परा भी। जिसने राम का नाम लिया वह सबके लिए पूज्य हो गया। बजरंग बली हनुमान हों या फिर महर्षि वाल्मीकि, सबके लिए पूज्य हो गये, त्रिकालदर्शी हो गये। प्रत्येक देश, प्रत्येक काल परिस्थिति में, हर प्रकार की मानवता के लिए पूज्य हो गये। लेकिन जिसने राम के साथ द्रोह किया उसे मारीच की तरह दुर्गति को ही प्राप्त होना पड़ा है, यह हमें नहीं भूलना चाहिए।

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