…………अब बंद दरवाजे से बाहर आना है
अतीत की स्मृतियां करती है बेचैन,
कभी खुशी कभी गम का एहसास,
कुछ पाने की लालसा, कुछ खोने का डर,
अचानक से मन उठता है सिहर,
दिल के किसी कोने में उठती है कसक,
बंद दरवाज़े से आती आशा की किरण,
नई उम्मीद जगाती है हर पल – हर पल,
इस किरण के साथ, बंद दरवाजे से बाहर आना है,
नए दौर की उमंग में,बहते जाना है,
अपने हौसलों को बुलंद करते जाना है,
रुकना नहीं अब किसी के रोकने से,
उम्मीदों पर खरे उतरते जाना है,
जीवन की सच्चाईयों से मुख मोड़ना नहीं,
हर सच्चाई को अपनाना है,
जीवन की रंगीनियों से भ्रमित होना नहीं,
सादगी को अपनाना है।
अब बंद दरवाजे से बाहर आना है।
डॉ. ऋतु नागर
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