……………रुकना नहीं अब किसी के रोकने से,

1
529
अब बंद दरवाजे से बाहर आना है

…………अब बंद दरवाजे से बाहर आना है

अतीत की स्मृतियां करती है बेचैन,
कभी खुशी कभी गम का एहसास,
कुछ पाने की लालसा, कुछ खोने का डर,
अचानक से मन उठता है सिहर,
दिल के किसी कोने में उठती है कसक,
बंद दरवाज़े से आती आशा की किरण,
नई उम्मीद जगाती है हर पल – हर पल,
इस किरण के साथ, बंद दरवाजे से बाहर आना है,
नए दौर की उमंग में,बहते जाना है,
अपने हौसलों को बुलंद करते जाना है,
रुकना नहीं अब किसी के रोकने से,
उम्मीदों पर खरे उतरते जाना है,
जीवन की सच्चाईयों से मुख मोड़ना नहीं,
हर सच्चाई को अपनाना है,
जीवन की रंगीनियों से भ्रमित होना नहीं,
सादगी को अपनाना है।
अब बंद दरवाजे से बाहर आना है।

Advertisment

डॉ. ऋतु नागर

https://www.sanatanjan.com/%e0%a4%ae%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a4%b5-%e0%a4%b9%e0%a5%8b%e0%a4%95%e0%a4%b0-%e0%a4%aa%e0%a4%b6%e0%a5%81%e0%a4%a4%e0%a4%be-%e0%a4%95%e0%a4%b0%e0%a4%a4%e0%a5%87-%e0%a4%b9%e0%a5%8b-%e0%a4%aa/

सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें। सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here