41 वीं पुण्यतिथि पर याद किए गए गोरखपुर, लखनऊ यूनिवर्सिटी छात्रसंघ के अध्यक्ष और कौड़ीराम के विधायक
लखनऊ। लोकतन्त्र सेनानी कल्याण समिति के संरक्षक विधानपरिषद सदस्य श्री यशवन्त सिंह ने रविवार को चन्द्रशेखर चबूतरा पर गोरखपुर और लखनऊ यूनिवर्सिटी छात्रसंघ के अध्यक्ष, 1977 में कौड़ीराम से विधायक तथा 1974 के छात्र युवा आंदोलन में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के भी प्रिय रहे अद्वितीय छात्रनेता श्री रविन्द्र सिंह के जीवन पर विस्तृत प्रकाश डाला और कहा कि उनके निधन से दलविहीन सम्पूर्ण क्रांति की वह राजनीति मर गई जिसका स्वप्न खुद लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने देखा था।
शहीद रविन्द्र सिंह की 41 वीं पुण्यतिथि पर आयोजित प्रार्थना सभा में विधानपरिषद सदस्य श्री यशवन्त सिंह ने कहा कि श्री रविन्द्र सिंह देश के अकेले छात्रनेता थे, जो चार पांच घण्टे तक लगातार धारा प्रवाह प्रभावी भाषण करते थे। सभा छात्रों की हो या किसानों की या मजदूरों की, जो उनकी सभा में आ जाता था, उनके भाषण के समापन के बाद ही अपनी जगह से टसमस होता था। अपने ओजस्वी भाषण से लोगों को प्रभावित करने की जादुई क्षमता से वह देश को छोड़िए, क्यूबा के अंर्तराष्ट्रीय युवा सम्मेलन में भी छाए रहे। उस सम्मेलन में शामिल लोग आज भी उसकी तारीफ करते नहीं अघाते हैं।
विधानपरिषद सदस्य यशवन्त सिंह ने कहा कि श्री रविन्द्र सिंह के संघर्षों का इतिहास आदर्श छात्र राजनीति की ऐसी नर्सरी है जो आज भी छात्र राजनीति में आदर्श जीने की प्रेरणा देती है, जिससे निकले पौधे आज भी समाज में फलदार और सायेदार दरख़्त की तरह छाए हुए हैं। उन्होंने कहा कि आज भी जिन लोगों के मन में राजनीति के माध्यम से समाज के लिए कुछ करने की इच्छा है, देश के लिए कुछ करने की इच्छा है, उन्हें श्री रविन्द्र सिंह के संघर्ष मय निर्भय जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए।
प्रार्थना सभा की अध्यक्षता लोकतन्त्र सेनानी कल्याण समिति के संयोजक
श्री धीरेन्द्र नाथ श्रीवास्तव ने की।इस अवसर पर सर्वश्री समर बहादुर सिंह, उदय शंकर चौरसिया, संजय गुप्ता, अतुल चौबे, चंचल चौबे, बृजेश कनोजिया, अमित प्रजापति आदि ने भी श्री रविन्द्र सिंह के प्रति भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रार्थना सभा में दो मिनट का मौन रखकर ईश्वर से प्रार्थना की गई कि वह श्री रविन्द्र सिंह की आत्मा को शांति और उनके चाहने वालों को यह दुःसह दुख सहने की शक्ति प्रदान करे।
सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें।
सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।