हर किसी की चाहत होती है, कि उसकी मनोकामना पूरी हो, इसके लिए वह यथा संभव प्रयास भी करता है। असफल होता है तो भाग्य को दोष देता है, लेकिन आज हम आपको ऐसे प्रभावी मन्त्र बताने जा रहे हैं , जिनका प्रयोग कर आप अपने कार्य सिद्ध कर सकते हैं। कुछ मन्त्र विवाह की बाधा को दूर करने वाले हैं तो कुछ कार्य सिद्धि में में अत्यंत प्रभावी माने जाते हैं। कार्य सिद्धि का तात्पर्य मनोकामना से है। जिस कन्या के विवाह में बार – बार विघ्न – बाधाएँ आती हो ।
उसको गुरु पुष्य , रवि पुष्य , अक्षया तीज , श्रावण मास में दीपावली बसन्त अथवा नवरात्रों में निम्नलिखित मन्त्र का आरम्भ करके यथेष्ठ संख्या में 51 हजार अथवा सवा लाख की संख्या में नियमित रूप में शिव पार्वती अथवा माता के मन्दिर में धूप दीप जलाकर पीले एवं लाल पुष्प चढ़ाकर सुनिश्चित समय में नियमित रूप से संकल्पपूर्वक और विधिवत जप करना चाहिए। इससे देवी की कृपा से अवश्य कामना सिद्धि होती है
( 1 ) ॐ हीं गौर्यै नमः
हे गौरि शंकरार्धागि यथा त्वं शंकर प्रिया । तथा मां कुरु कल्याणि कान्तकान्तां सुदुर्लभाम् ॥
भावार्थ- हे गौरी , शङ्कर की अर्धाङ्गिनी । जिस प्रकार तुम शङ्कर की प्रिया हो , उसी प्रकार हे कल्याणी । मुझ कन्या को दुर्लभ वर प्रदान करो।
( 3) ॐ कात्यायनि महामाये महायोगिनी अधीश्वरी । नन्दगोपसुते देवि । पतिं मे कुरु ते नमः ।।
भावार्थ- हे कात्यायनि महामाया , महायोगिनियों की अधीश्वरि । मुझे भगवान कृष्ण सदृश पति प्रदान करो । तुम्हें नमस्कार है ।
( 3 ) ॐ देवेन्द्राणि नमस्तुभ्यं देवेन्द्रप्रियभामिनी । विवाहं भाग्यमारोग्यं शीघ्रं लाभं च देहि मे।।
भावार्थ- ॐ देवेन्द्राणि । देव इन्द्र की प्रिय पत्नी । तुम्हें नमस्कार है । मुझे विवाह भाग्य आरोग्य और शीघ्र लाभ प्रदान करें । इस मन्त्र का भी प्रतिदिन कम से कम 108 बार लगातार अभीष्ट सिद्धि तक करते रहें । जप करने से पहले प्रतिष्ठित तुलसी पादप की पूजा करके 12 परिक्रमाएँ करें , तदनन्तर दाएँ हाथ से दुग्ध और बाएँ हाथ से जल द्वारा श्रीसूर्यनारायण को 12 बार समन्त्र अर्घ्य दें । तदनन्तर जप करें । इस प्रकार प्रतिदिन अर्घ्यदान और जप करने से और प्रयास करते रहने से शीघ्र कार्य सिद्धि होगी।