ऊॅँ का जप करें और रहे सदैव निरोगी 

0
1697
म शब्द में अ, उ और म शब्द हंै। ओम शब्द में अ… शब्द का आशय होता है उत्पन्न होना, उ… शब्द का आशय होता है उठना, विकास होना या फिर उड़ना और म… शब्द का आशय होता है कि मौन हो जाना यानी ब्रह्मलीन हो जाना। ऊँ शब्द का महिमा हिन्दू धर्म शास्त्रों में विस्तार से कही गई है, ईश्वर का निराकार स्वरूप ओमकार है।
ऊॅँ शब्द के नियमित उच्चारण मात्र से मनुष्य को आरोग्य की प्राप्ति होती है। अब तो अंतरिक्ष मंडल में भी ओंकार शब्द के उद्घोषित होने की बात कही जा रही है।
आत्मिक, मानसिक व शारीरिक उत्थान के लिए ओंकार का उच्चारण श्रेष्ठ बताया गया है। मनुष्य को स्वस्थ्य रहने के लिए प्रात:काल उठकर नित्यक्रिया कर पवित्र होकर ओंकार ध्वनि का उच्चारण करना चाहिए।
इसका उच्चारण पद्मासन, अर्धपद्मासन, सुखासन, वज्रासन की मुद्रा में बैठकर कर सकते हैं। इसका उच्चारण पांच, सात, दस, इक्कीस बार अपने समयानुसार कर सकते हैं। ओंकार को जोर से भी बोल सकते हैं अथवा इसे धीरे-धीरे बोल सकते हैं। ओंकार के जप माला से भी कर सकते हैं।
ओंकार के जप से होने वाले शारीरिक फायदे
– आंेकार के उच्चारण करने से गले में कंपन पैदा होती है जिसका थायरायड ग्रंथि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
– यादि आपको घबराहत की शिकायत रहती है तो निश्चित तौर पर ओंकार का उच्चारण आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। यदि आपको घबराहट या अधीरता होती है तो इसके उच्चारण से उत्तम कुछ भी नहीं है।
– ओंकार के जप से शरीर के विष्ौले तत्व भी दूर होते है, तनाव कम होता है, यानी तनाव के कारण पैदा होने वाले द्रव्यों पर नियंत्रण करता है।
– ओंकार के उच्चारण से मनुष्य के हृदय में रक्त के प्रवाह को संतुलित रहता है।
– ओंकार के उच्चारण से पाचन शक्ति बढ़ती है।
– ओंकार के उच्चारण से शरीर में फिर से युवावस्था वाली स्फूर्ति का संचार होता है।
– थकान से बचाने के लिए इससे उत्तम उपाय कुछ और नहीं होता है।
– ओंकार के उच्चारण मात्र से नींद न आने की समस्या इससे कुछ ही समय में दूर हो जाती है। रात को सोते समय नींद आने तक मन में इसका मन में जप करने से निश्चित नींद आएगी।
– ओंकार का जप यदि कुछ विशेष प्राणायाम के साथ किया जाए तो फेफड़ों में मजबूती आती है।
-ओंकार शब्द का उच्चारण करने से कंपन पैदा होता है। इन कंपन से रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है और इसकी क्षमता बढ़ जाती है।
– ओंकार का उच्चारण करने से पूरा शरीर तनाव-रहित हो जाता है।

यह भी पढ़ें – काशी विश्वनाथ की महिमा, यहां जीव के अंतकाल में भगवान शंकर तारक मंत्र का उपदेश करते हैं

यह भी पढ़ें –अकाल मृत्यु से मुक्ति दिलाता है महामृत्युंजय मंत्र

Advertisment

यह भी पढ़ें –संताप मिटते है रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग के दर्शन-पूजन से

यह भी पढ़ें – शिवलिंग की आधी परिक्रमा ही क्यों करनी चाहिए ? जाने, शास्त्र मत

यह भी पढ़े- इस मंत्र के जप से प्रसन्न होते हैं बृहस्पति देव, जानिए बृहस्पति देव की महिमा

यह भी पढ़े- बृहस्पति की शांति के अचूक टोटके व उपाय

 

 

सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें। सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here