वृश्चिक कालचक्र को आठवीं राशि है। यह राशि जल तत्व तमोगुण, स्थिर स्वभाव एवं मंगल ग्रह से प्रभावित होती है। आपको राशि का प्रतीक चिह्न बिच्छु सन्तुलन का परिचायक है। वृश्चिक राशि में उत्पन्न जातक सुन्दर मुख वाला परिश्रमी अपने सामध्ये पर भरोसा करने वाला , धार्मिक प्रवृत्ति वाला होगा। मंगल शुभ हो तो उत्साही, उदार परिश्रमी साहसी, ईमानदार स्पष्टवादी , परोपकारी, व्यवहार कुशल, कर्तव्यनिष्ठ , दृढ़ संकल्प शक्ति वाला होगा। भाई – बहनों या सम्बन्धियों की सहायता कम मिलती है, निजी पुरुषार्थ द्वारा ही निर्वाह योग्य आय के संसाधन जुटा पाते हैं। तनिक विरुद्ध बात हो जाने से शीघ्र उत्तेजित हो जाएंगे, लेकिन सच्चाई या सुपात्रता की दृष्टि से सुयोग्य जन की सहायता करने में अपने स्वार्थ की बलि देने में पीछे नहीं हटेंगे। जातक जिस कार्य को करने का निश्चय कर लेता है, उसे दृढतापूर्वक पालन एवं पूरा करने का प्रयास करता है। आपके दृष्टिकोण में सैक्स रहित प्रेम का कोई मूल्य नहीं है। आप अपनी इच्छाए दूसरों पर लादने का प्रयास करते हैं। जिससे कभी कभी प्रेम में असफल हो जाते हैं। अगर अपने कामुक स्वभाव पर नियन्त्रण रखें तो प्रेम के क्षेत्र सफल सिद्ध हो सकते हैं। आपका वृष , कन्या एवं मकर राशि वालों के संग अच्छा निर्वाह होता है। मिथुन , तुला व कुम्भ राशि वालों के साथ भी मधुर संबंध रहते हैं। मीन व कर्क राशि वालों से सामान्य संबंध बन पड़ता है । आपका मेष , सिंह एवं धनु राशि वालों से विरोध एवं कटुता रहती है। आप उत्साही वाकपटु , स्पष्टवादी व परिश्रमी होते हैं। आपको साझेदारी कतई रास नहीं आएगी और करें भी तो सोच समझकर करें और साझीदारों से सतर्कता पूर्ण व्यवहार रखें। यह जान लें कि आप उन क्षेत्रों में सफल हो सकते हैं जिनमें शक्ति एवं परिश्रम के साथ – साथ अनुसंधान की आवश्यकता भी हो। उतावलापन , उद्विग्नता एवं उत्तेजना से बचकर व्यवसाय में रुचि रखेंगे तो लाभ ही होगा। प्रायः आप जनन रोगों ( गुप्त ) एवं रक्त विकार से परेशान रहते हैं। आप विषय वासना की अधिकता व अनियमित दिनचर्या के कारण ही अस्वस्थ रहते हैं।
कैमिस्ट, इंजीनियर, वकील पुलिस, सेना विभाग, अध्यापन, ज्योतिष, अनुसंधानकता के क्षेत्र में विशेष सफलता प्राप्त करेंगे। वृश्चिक राशि के व्यक्ति गंभीर प्रकृति वाले प्रखर, बुद्धि, आदर्शवादी, धार्मिक विचारों से सम्पन्न उत्साही दृढ़ इच्छाशक्ति वाले लेकिन क्रोधी और चंचल स्वभाव के होते हैं। वृश्चिक जातकों में दूसरों को अपनी ओर आकर्षित करने की असाधारण शक्ति होती है। बचपन में वे प्राय: कोमल होते हैं। वृश्चिक राशि वालों में तर्क करने की उत्तम शक्ति होती है। अपने कार्य व्यवसाय के प्रति उनमें विशेष लगन और कर्तव्य भावना होती है। इन गुणों के कारण वे उत्तम वकील, डॉक्टर और वक्ता बनते हैं। वृश्चिक राशि के बच्चों का लालन पालन में बहुत सावधानी की आवश्यकता होती है। वे दृढ व्यक्तित्व वाले प्राय जिद्दी भी होते हैं।
वृश्चिक राशि के पुरुष
- आत्मविश्वासी , स्वेच्छाचारी , अवसरवादी मित व्ययी व धन संग्रह करने में चतुर होते हैं।
- प्रायः आप गुप्त रूप से दुष्कर्म करने वाले व दुश्चिन्ताए पालने वाले होते हैं।
- आप धोखा देने वाले को बख्शते नहीं हैं और निज स्वार्थ के लिए दूसरों का नुकसान करने में भी नहीं चूकते हैं ।
- दूसरों के रहस्य जानकर लाभ उठाते हैं। आप तक घमंडी और ईष्यालु होते हैं।
- आपकी सफलता का मूल मन्त्र आपकी बुद्धिमता , चतुरता , कर्मण्यता एवं नी अभूतपूर्व धैर्य ही है।
- आप अधिकतर आलस्य व अनियमितता कारण असफल होते देखे गए हैं।
- आप शंकालु , अल्पभाषी , संकोची व रहस्यमयी होते हैं, जिससे लोग आपके मन की थाह नहीं पा पाते हैं।
- आपमें आत्म – नियन्त्रण की क्षमता विशिष्ट रूप में होती है। मूलतः आप राजनीति और सामाजिक कार्यों में सफल सिद्ध होते हैं।
- आप नेतृत्व में निपुण व साहसिक कार्यों के प्रणेता होते हैं।
- विज्ञान और मनोविज्ञान विषयों में विशेष रुचि रखते हैं। आप अपने द्वारा किए गए आश्चर्यजनक कार्यों से चकित करने में समर्थ होते हैं।
- आप अच्छे – बुरे प्रत्येक व्यक्ति के साथ समझौता पूर्ण व्यवहार रखते हैं। आप लकीर के फकीर और परिवार के पालन पोषण में जुटे रहते हैं।
वृश्चिक राशि की स्त्री
- आपका गहस्थ जीवन सामान्य होता है।
- राजनीति व सामाजिक कार्यों में सफल होती हैं।
- दूसरों के भेद जानने में माहिर एवं एकान्तवास प्रिय होता है। उतावलापन , आलस्य और अनियमितता ही आपकी सफलता के मूल कारण हैं।
- आप हठी , निर्भीक एवं स्वेच्छाचारिणी होती हैं। आप स्वार्थी व धोखा देने वालों को बख्शती नहीं हैं।
- दूसरों को मित्र बनाकर उनके दिल का भेद जानकर लाभ उठाने से नहीं चूकती हैं।
- अपने स्वार्थ के लिए दूसरों के नुकसान तक की परवाह नहीं करती हैं।
- आप दृढ़ निश्चयी हैं। आप धर्म पर अंधविश्वास रखती हैं।
- मन के प्रतिकूल बातों को किसी न किसी बहाने टालने की कोशिश करती हैं।
- आप कल्पनाशील व चतुर होती हैं।
- नौकरी एवं व्यवसाय आदि के लिए चिन्तित रहती हैं।
- आपको किसी के नियन्त्रण में रहना पसन्द नहीं है।
- प्राय : परोपकार तो करती हैं, लेकिन कटु सत्य बोलने के कारण लोग जल्द नाराज हो जाते हैं।
शुभ नग – छह या आठ रत्ति का मूंगा सोने या तांबे की अंगूठी में जड़वाकर मंगल के मन्त्र द्वारा अभिमंत्रित करके अनामिका अंगुली में धारण करना शुभ होता है।
मंगल बीज मन्त्र- ” ॐ क्रां क्रीं क्रौं स : भौमाय नमः, 10,000 जप से लाभ होता है।
शुभ वार – रविवार सोमवार मंगलवार तथा बृहस्पतिवार शुभ दिन है।
शुभ रंग – पीला , लाल और संतरी , हल्का नीला रंग तथा गुलाबी रंग।
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