इक्यावन शक्तिपीठ मे नवरात्र आज से, यहाँ सुलभ हैं माता के समस्त रूपों के दर्शन

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लखनऊ।  नन्दना बीकेटी स्थित इक्यावन शक्तिपीठ में शारदीय नवरात्र महोत्सव 17 अक्टूबर से 26 अक्टूबर तक संपन्न होंगे। इस बार कोरोना महामारी के कारण कार्यक्रम में कुछ फेरबदल किए गए हैं।
नवरात्र की शुरुआत कल शनिवार को प्रातः 9:00 बजे आचार्य धनन्जय पाण्डेय द्वारा कलश स्थापना के साथ होगी।
 बाद प्रथम शैलपुत्री की पूजा अर्चना की जाएगी। उसके बाद में मन्दिर में दुर्गा सप्तसती का पाठ होगा। प्रवक्ता अजय अरोड़ा ने बताया कि पूरे नवरात्र तक प्रतिदिन पिण्डी पूजन होगा। शाम को अलग अलग रंगों, फल, फूल व लाइट से मां का श्रंगार होगा।
मंदिर के अध्यक्ष व संस्थापक पंडित रघुराज दीक्षित ने बताया कि इस बार कोरोना संकट के कारण मां के दर्शन व अन्य कार्यक्रम में कुछ फेरबदल किए गए हैं। उन्होंने बताया कि मंदिर परिसर में ज्यादा भीड़ ना लगे इसके लिए गेट पर ही मंदिर के सेवादार पांच पांच लोगों को ही दर्शन देने के लिए अनुमति प्रदान करेंगे साथ ही सेनिटाइजर कराना व मास्क लगाना अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि मंदिर के सभी दलों पर लिफ्ट द्वारा जाने के लिए सिर्फ उन्हें ही मौका दिया जाएगा जो दिव्यांग हो या बुजुर्ग है। बाकी लोगों को जीने के द्वारा दर्शन करने की अनुमति होगी। उन्होंने बताया कि बाहर से प्रसाद चढ़ाने पर रोक है। प्रसाद के मंदिर से प्राप्त कर सकते हैं।
नवरात्र पर 51 शक्तिपीठ तीर्थ की दिव्य और पावन छटा देखते ही बनती है। इस बार यहाँ मनाये जाने वाले नवरात्र महोत्सव को लेकर श्रद्धालुओं में अपूर्व उत्साह है। इस तीर्थ का आकर्षण ऐसा है कि दूर-दूर से श्रद्धालु माता के दर्शन करने सहज ही खिंचे चले आते हैं। नवरात्र के समय यहाँ माता के विविध रूपों के दिव्य दर्शन पाकर श्रद्धालु अभिभूत हो जाते हैं।
इक्यावन शक्तिपीठ तीर्थ: परिचय और दर्शन
     शक्ति और शाक्त चिन्तन, अनुशीलन और आराधन का अद्वितीय स्थल है लखनऊ स्थित 51 शक्तिपीठ तीर्थ। 51 शक्तिपीठों की पावन रज से सुशोभित यह तीर्थ शक्ति साधकों और उपासकों की अगाध आस्था का केन्द्र बन है। शक्ति और भक्ति का समन्वय यहाँ के कण-कण में विद्यमान है। तीर्थ की संकल्पना से लेकर सृजन तक की सम्पूर्ण विषय-वस्तु, शास्त्रोचित, सिद्धान्तपरक, व्यावहारिक और ज्ञान-विज्ञान सम्मत है। परमश्रद्धेय पं. रघुराज दीक्षित ‘मंजु’ और उनकी सहधर्मिणी  श्रीमती पुष्पा दीक्षित का एक पावन विचार और संकल्प विगत 19 वर्षों में साकार होकर शक्ति के दिव्य एवं विलक्षण तीर्थ के रूप में अपनी पहचान स्थापित कर चुका है।
प्रवेशद्वार :
          शक्ति पीठ तीर्थ में प्रवेश करते ही दाहिने तरफ नर्मदेश्वर महादेव विद्यमान हैं। तदुपरान्त गर्भगृह का प्रवेश द्वार है। प्रवेश द्वार पर विघ्नहर्ता गणेश स्थापित हैं। द्वार पर आमने-सामने स्थापित हाथी के मस्तकयुक्त सूँड़ आकर्षित करते हैं। द्वार की पाँच सीढ़ियाँ चढ़कर गर्भगृह में प्रवेश करते ही सम्मुख तपस्विनी माता पार्वती की भव्य मूर्ति के दर्शन होते हैं।
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