मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में भेजी गयी दिल के मरीजों के इलाज में इस्तेमाल होने वाला इंजेक्शन डोबुटामिन -50 एमजी जांच में फेल हो गया है। उप्र मेडिकल सप्लाई कॉरपोरेशन के माध्यम से प्रदेश भर के अस्पतालों में इस इंजेक्शन की आपूर्ति की गई थी।
नमूना फेल होने पर कॉरपोरेशन ने सभी सीएमओ, अस्पताल के सीएमएस से दवा के इस्तेमाल पर रोक लगाने को कहा है। इंजेक्शन आपूर्ति करने वाली कंपनी को काली सूची में डाल दिया गया है। प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में दवा खरीद का जिम्मा मेडिकल सप्लाई कॉरपोरेशन पर है। कॉरपोरेशन ने डोबुटामिन -50 एमजी इंजेक्शन की आपूर्ति का ठेका देहरादून की कंपनी मेसर्स हिमालया मेडिटेक प्राइवेट लिमिटेड को दिया। पिछले साल 19 जुलाई को दवा की खरीद आदेश जारी हुआ। बड़ी संख्या में इंजेक्शन की आपूर्ति हुई। कंपनी ने बैच नम्बर एचएलआई 883 एफ और एचएलआई 124 सी की आपूर्ति प्रदेश के औषधि भंडारों में की। इंजेक्शन की गुणवत्ता परखने के लिए वेयर हाउस से दोनों बैच के इंजेक्शन का नमूना लिया गया। एक बैच में लगभग दस हजार इंजेक्शन होते हैं। नमूनों को तीन प्रयोगशालाओं में जांच के लिए भेजा गया। इंजेक्शन के नमूने मानकों पर खरे नहीं उतरे। जांच में इंजेक्शन के फेल होने के बाद कॉरपोरेशन की प्रबंध निदेशक संगीता सिंह ने सख्त कदम उठाते हुये डोबुटामिन इंजेक्शन की आपूर्ति के लिए कंपनी को तीन साल के लिए ब्लैक लिस्ट कर दिया है। अधिकारियों के मुताबिक प्रत्येक बैच में 1000 से 20 हजार तक इंजेक्शन तैयार होते हैं। रिपोर्ट आने तक बड़े पैमाने पर मानकविहीन लाखों रुपये के इंजेक्शन खप गए। कितने मरीजों को इंजेक्शन लगाए गए, इसकी रिपोर्ट तैयार कराई जा रही है। इस संदर्भ में कारपोरेशन की प्रबंध निदेशक का अस्थाई कार्यभार देख रही आईएस संगीता सिंह ने दोका सामना को बताया कि कॉरपोरेशन ने सभी अस्पतालों से दवा वापस मंगाई है। दवा वापसी में शिथिलता बरतने वालो या फिरसे उसका इस्तेमाल कराने वालों पर कड़ी कार्रवाई होगी।मरीजों की सेहत से खिलवाड़ करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।डॉ. डीएस नेगी, महानिदेशक, स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि यह इंजेक्शन दिल के मरीजों को दिया जाता है। इसकी खपत भी काफी है। मानकों के खिलाफ इंजेक्शन से मरीज की जान जोखिम में पड़ सकती है। अब तक इस अधोमानक इंजेक्शन की कितनी आपूर्ति की गयी, कितने लोगों को लग चुकी है इसका विभाग के पास तत्काल कोई रिकार्ड नहीं है। उसकी तेजी सेे जांच शुरू कर दी गयी है।