मन का स्वभाव है प्रिय में लगना

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मुमुक्षु सेवा मिशन ट्रस्ट की ओर से इन्दिरानगर के शिवाजी पुरम स्थित भागवत आश्रम में चल रहे गीता ज्ञान यज्ञ के चौथा दिन 

लखनऊ। मुमुक्षु सेवा मिशन ट्रस्ट की ओर से इन्दिरानगर के शिवाजी पुरम स्थित भागवत आश्रम में चल रहे गीता ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन शनिवार को संत प्रमोद दास जी महाराज ने कहा कि मन को जो प्रिय लगता है, मन उसमें सहज ही लगता है अर्थात प्रिय में सहज लगता है मन। संत श्री ने कहा लोग पूछते है कि भगवान में मन क्यों नहीं लगता ? मन का स्वभाव है प्रिय में लगना। मन को वहीं प्रिय लगता है जो हमें  सहयोग, मदद, समर्थन करता है, वह प्रिय लगता है। इस दिशा में हम सबका सर्वाधिक हितैशी परमात्मा ही हैं, पैसा बाद ने है। लेकिन जीव परमात्मा की मदद को अनुभव कम और पैसे की मदद का ज्यादा अनुभव करता है। यहीं कारण है लोग पैसे के लिए परमात्मा को छोड़ देते हैं। लेकिन जिनका अनुभव इसके विरुद्ध है वह परमात्मा के लिए सारे संसार का ही त्याग कर देते हैं। इस लिए को प्रिय लगता है जीव उसी के साथ रहना, जीना चाहता है वह चाहे संसार या भगवान अथवा पैसा हो या परमात्मा।
कथा से पूर्व राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के नगर संघ चालक, अवधेश पाण्डे, पार्षद राम कुमार वर्मा ने दीप प्रज्वलित किया। व्यास पूजन आरती में  शारदा नंदन, अनिल चैबे, अनीता, रामदास आदि उपस्थित हुए।
ट्रस्ट के अध्यक्ष, मिथलेश दीक्षित ने बताया यह सतसंग ( दो गज दूरी, मास्क जरूरी ) करोना नियमों के साथ  8 दिसम्बर तक प्रतिदिन सायं 4ः30 बजे से 6 बजे तक होगा।
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