दादा जी के आयुर्वेदिक नुस्खे: कृमि रोग यानी पेट में कीड़ों की दवा

0
1831

1- शौच में सूत के समान कीड़ों यानी कृमि की दवा

गंधक का तिजान आधा पाव, कल्मी शोरा आधा पाव, पानी बराबर मात्रा में लेकर टामचीनी के प्याले में अग्नि पर रखकर खूब पकायें। जब धूंआ उठना बंद हो जाए, तब उतार कर हिमाम दस्ते में कूटकर खरल कर लें। खूब महीन पीसकर शीशी में डाल लें। भोजन के बाद एक या दो रत्ती लेकर दुगनी मिश्री मिलाकर या बताश्ों में डालकर मुंह में रखकर उपर से पानी पी लें। यह खाली पेट न लें। भोजन के बाद लें। पेट में दो बड़ेकीड़े होते है, वही छोटे कीड़े पैदा करते है। इससे वे कीड़े नष्ट हो जाएंगे। बच्चों को आधा रत्ती मां के दूध में दें।

Advertisment

यह भी पढ़ें दादा जी के आयुर्वेदिक नुस्खे: स्त्री रोगों, बांझपन व पुत्र प्राप्ति की अचूक दवायें

2- कृमि रोग यानी पेट में कीड़ों की दवा

वायविडंग, सेंधा नमक, जयाखार, कतीरा, हरड इन सभी को औषधियां समान भाग में लेकर कूट-पीस कर कपड़े से छान लें। इस चूर्ण की मात्रा छह माह सुबह-शाम गाये के मठ्ठे के साथ सेवन करे। कृमि नष्ट हो जाएगी।

3- कृमि यानी पेट के कीड़े की दवा

1- विडंग यानी वाव वडिंग चूर्ण आधा तोला शहर के साथ लेंवे।

2- नीम की पत्ती का रस आधा तोला प्रतिदिन पीयें।

नोट- आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन करते समय खान-पान का थोड़ा ध्यान रखना आवश्यक होता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा का उपयोग करके यदि आप पूर्ण लाभ प्राप्त करना चाहते है तो संयम बरतना बेहद जरूरी होता है। जब तक संयम नहीं बरतेंगे, पूर्ण लाभ नहीं मिल सकता है। जहां तक संभव हो कि किसी जानकार वैद्य से स्वास्थ्य परीक्षण आवश्य करा लें और परामर्श के अनुसार दवाआंे का सेवन करें।

प्रस्तुति

स्वर्गीय पंडित सुदर्शन कुमार नागर

सेवानिवृत्त तहसीलदार/ विशेष मजिस्ट्रेट, हरदोई

नोट:स्वर्गीय पंडित सुदर्शन कुमार नागर के पिता स्वर्गीय पंडित भीमसेन नागर हाफिजाबाद जिला गुजरावाला पाकिस्तान में प्रख्यात वैद्य थे।

यह भी पढ़ें – वैैष्णो देवी दरबार की तीन पिंडियों का रहस्य

यह भी पढ़ें – जानिए, क्या है माता वैष्णवी की तीन पिण्डियों का स्वरूप

सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें। सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here