आदि शक्ति के शक्तिपीठ की महिमा है अनंत

1
9991
Photo Source: aajtak

पूर्वकाल में प्रजापति दक्ष ने हरिद्बार में ‘बृहस्पति सर्व’ नामक यज्ञ किया था। उस यज्ञ में ब्रह्मा, विष्णु, इंद्र और अन्य देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया था, लेकिन उन्होंने अपने जमाता भगवान शंकर जी को नहीं बुलाया था। शंकर जी की पत्नी और दक्ष की पुत्री सती पिता द्बारा न बुलाए जाने पर और शंकरजी के रोकने पर भी यज्ञ में भाग लेने गईं। यज्ञ-स्थल पर सती ने अपने पिता दक्ष से शंकर जी को आमंत्रित न करने का कारण पूछा तो पिता ने उग्र होकर भगवान शंकर जी को अपशब्द कहे। आहत सती ने यज्ञ-अग्नि कुंड में कूदकर प्राणाहुति दे दी। भगवान शंकर को जब इसका पता चला तो उन्होंने यज्ञशाला को विध्वन्स कर दिया और सती के पार्थिव शरीर को निकाल कंधे पर उठा लिया और दु:खी हुए इधर-उधर घूमने लगे।

यह भी पढ़ें – वैदिक प्रसंग: भगवती की ब्रह्म रूपता ,सृष्टि की आधारभूत शक्ति

Advertisment

इस प्रकार भगवान शंकर के दुखित व कोधित होकर घूमने स प्रकृति का संतुलन डगमगाने लगा और सम्पूर्ण विश्व में प्रलय की स्थिति बन गई, इस पर भगवान विष्णु ने अपने चक्र से सती 51 टुकड़े किए जो विभिन्न स्थानों पर गिरे। वे 51 स्थान शक्तिपीठ कहलाए। वैसे कुछ मतोें के अनुसार 52 शक्तिपीठ है तो कुछ के अनुसार 1०8 शक्तिपीठ हैं। शक्तिपीठों के दर्शन मात्र से मनुष्य के पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे अतुलनीय सौभाग्य की प्राप्ति होती है। धर्म शास्त्रों में भी शक्तिपीठों के प्रभाव की महिमा बताई है।

ये 51 शक्तिपीठ हैं-

  1. हिगलाज शक्तिपीठ, यहां ब्रह्मरंध्र (कपाल) गिरा था, स्थान- बलूचिस्तान, पाकिस्तान।
  2. शिवहारकराय या करविपुर शक्तिपीठ, यहां आंखें गिरी थीं, स्थान कराची, पाकिस्तान, इसके अलावा नैनादेवी मंदिर, बिलासपुर, हि.प्र. भी बताया जाता है।
  3. सुंगधा शक्तिपीठ, यहां नाक गिरी थी, स्थान- बरिसाल, बांग्लादेश।
  4. महामाया शक्तिपीठ, यहां गाला गिरा था, स्थान- अमरनाथ, पहलगाम, जम्मू और कश्मीर, भारत।
  5. ज्वाला शक्तिपीठ, यहां जीभ गिरी थी, स्थान- ज्वालामुखी, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश, भारत।
  6. त्रिपुरा मालिनी शक्तिपीठ, यहां बायाँ सीना गिरा था, स्थाना- जालंधर, पंजाब, भारत।
  7. अंबा शक्तिपीठ, यहां हृदय गिरा था, स्थान- बनासकांठा, गुजरात, भारत।
  8. गुह्येश्वरी शक्तिपीठ, यहां देवी के दोनों घुटने गिरे थ्ो, स्थान- काठमांडू, नेपाल।
  9. दाक्षायनी शक्तिपीठ, यहां देवी का दांया हाथ गिरा था, स्थान- कैलाश पर्वत, तिब्बत, चीन।
  10. बिराज शक्तिपीठ, यहां देवी की नाभि गिरी थी, स्थान- जाजपुर, भवनेश्वर, ओडिशा, भारत।
  11. गंडकी चंडी शक्तिपीठ, यहां देवी का माथा गिरा था, स्थान- मुक्तिनाथ, नेपाल।
  12. बहुला शक्तिपीठ, यहां देवी का बांया हाथ गिरा था,स्थान- बर्धमान, पश्चिम बंगाल, भारत।
  13. मंगल चंडिका शक्तिपीठ, यहां देवी की दायी कलाई गिरी थी, स्थान- बर्धमान, पश्चिम बंगाल, भारत।
  14. त्रिपुरेश्वरी शक्तिपीठ, यहां देवी का दाहिना पैर गिरा था, स्थान- उदयपुर, त्रिपुरा, भारत।
  15. भवानी या चन्द्रनाथ शक्तिपीठ, यहां देवी की दाहिनी भुजा गिरी थी, स्थान- चिटगांव, बांग्लादेश।
  16. भ्रामरी या त्रिसोता शक्तिपीठ, यहां देवी का बाया पैर गिरा था, स्थान- वोड़ागंज, जलपाईगुड़ी, पश्चिम बंगाल, भारत
  17. कामाख्या शक्तिपीठ, यहां देवी की योनि गिरी थी, स्थान- कामाख्या, आसाम, भारत।
  18. जुगाड़्या शक्तिपीठ, यहां देवी के दाहिने पैर का अंगूठा गिरा था, स्थान- खीरग्राम, बर्द्धमान, पश्चिम बंगाल, भारत।
  19. कालिका शक्तिपीठ, यहां देवी के दाहिने पैर की चार उंगलिया गिरी थींं, स्थान- कोलकाता (कलकत्ता), पश्चिम बंगाल, भारत।
  20. ललिता या अलोपी शक्तिपीठ, यहां देवी के दोनों हाथों की उंगलियां गिरी थीं, स्थान- इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
  21. जयंती शक्तिपीठ, यहां देवी की बाईं जांघ गिरी थी,स्थान- कलजोरे बौरभग गांव, सिलेट जिला, बांग्लादेश।
  22. विमला शक्तिपीठ, यहां देवी का मुकुट गिरा था, मुर्शिदाबाद, पश्चिम बंगाल, भारत।
  23. श्रावणी शक्तिपीठ, यहां देवी की रीढ़ की हड्डी गिरी थी, स्थान- कुमारी कुंदा, चटगांव, बांग्लादेश।
  24. सावित्री या भद्रकाली शक्तिपीठ, यहां देवी की टखने की हड्डी गिरी थी, स्थान- थानेसर, कुरुक्षेत्र, हरियाणा, भारत
  25. गायत्री शक्तिपीठ, यहां देवी का कंगन गिरा था, स्थान- पुष्कर, राजस्थान, भारत।
  26. महालक्ष्मी शक्तिपीठ, यहां देवी की गर्दन गिरी थी, स्थान- जौनपुर, सिलेट, बांग्लादेश।
  27. देवगर्भ या कनकलेश्वरी शक्तिपीठ, यहां देवी की अस्थि गिरी थी, स्थान- बोलपुर, बीरभूम, पश्चिम बंगाल, भारत।
  28. काली शक्तिपीठ, यहां देवी का बायां कूल्हा गिरा था,स्थान- अमरकंटक, शहडोल, मध्य प्रदेश, भारत।
  29. नर्मदा शक्तिपीठ, यहां देवी का दांया कूल्हा गिरा था, स्थान- सोनदेश, अमरकंटक, मध्य प्रदेश, भारत।
  30. शिवानी शक्तिपीठ, यहां देवी का दांया स्तन गिरा था, स्थान- सीतापुर, चित्रकूट, उत्तर प्रदेश, भारत।
  31. उमा शक्तिपीठ, यहां देवी की चूड़ामणि गिरी थी, स्थान- वृन्दावन, मथुरा, उत्तर प्रदेश, भारत।
  32. नारायणी शक्तिपीठ, यहां देवी के ऊपरी जबड़े के दांत गिरे थ्ो, स्थान- कन्याकुमारी, तमिलनाडु, भारत।
  33. अपर्णा शक्तिपीठ, यहां देवी का वाम पैर का नुपुर गिरा था, स्थान- शेरपुर, बागुरा, बांग्लादेश।
  34. सुंदरी या बाला-त्रिपुरसुंदरी शक्तिपीठ, यहां देवी के दाहिने पैर का पायल गिरा था, स्थान- त्रिपुरान्तकम, श्रीशैलम, आंध्र प्रदेश, भारत।
  35. कपालिनी शक्तिपीठ, यहां देवी के बाएं टखने गिरे थ्ो, स्थान- तामलुक, मेदिनीपुर, पश्चिम बंगाल, भारत।
  36. चंद्रभागा शक्तिपीठ, यहां देवी का पेट गिरा था, स्थान- जूनागढ़, गुजरात, भारत।
  37. अवंती शक्तिपीठ, यहां देवी के ऊपरी होंठ गिरे थ्ो, स्थान- उज्जैन, मध्य प्रदेश, भारत।
  38. भ्रामरी शक्तिपीठ, यहां देवी की दोनों ठोड़ी गिरी थीं, स्थान- नासिक, महाराष्ट्र, भारत।
  39. विश्वेश्वरी शक्तिपीठ, यहां देवी का गाल गिरा था, स्थान- राजमुंदरी, आंध्र प्रदेश, भारत।
  40. अम्बिका शक्तिपीठ, यहां देवी के बाएँ पैर की उंगलियां गिरी थीं, स्थान- भरतपुर, राजस्थान, भारत।
  41. कुमारी शक्तिपीठ, यहां देवी के दाएं कंधे गिरे थ्ो, स्थान- कृष्णनगर, हुगली, पश्चिम बंगाल, भारत।
  42. उमा शक्तिपीठ, यहां देवी का बाएं कंधा गिरा था, स्थान- मिथिला, बिहार, भारत।
  43. नल्हाटेश्वरी या कालिका शक्तिपीठ, यहां देवी के गले की नली गिरी थी, स्थान- नलहाटी, बीरभूम, पश्चिम बंगाल, भारत।
  44. चामुंडेश्वरी या दुर्गा शक्तिपीठ, यहां देवी के दोनों कान गिरे थ्ो, स्थान- मैसूर, कर्नाटक, भारत।
  45. महिषमर्दिनी शक्तिपीठ, यहां देवी की भौंहें गिरी थीं, स्थान- वक्रेश्वर, बीरभूम, पश्चिम बंगाल, भारत।
  46. योगेश्वरी शक्तिपीठ, यहां देवी के पैर और हाथ के तलवे गिरे थ्ो, स्थान- खुलना, बांग्लादेश।
  47. फुल्लौरा शक्तिपीठ, यहां देवी के निचले होंठ गिरे थ्ो, स्थान- लाभपुर, बीरभूम, पश्चिम बंगाल, भारत।
  48. नंदिनी शक्तिपीठ, यहां देवी के गर्दन की अस्थि गिरी थी, स्थान- नन्दीपुर ग्राम, साईथिया, बीरभूम, पश्चिम बंगाल, भारत।
  49. इन्द्राक्षी शक्तिपीठ, यहां देवी की पायल गिरी थी, स्थान- जाफना, श्रीलंका।
  50. पंचसागर, अज्ञात निचला दाड़ वाराही महारुद्र व
  51. मणिकर्णिका घाट, काशी, वाराणसी, उत्तर प्रदेश मणिकर्णिका विशालाक्षी एवं मणिकर्णी काल भैरव

वही देवी भागवत के अनुसार 1०8 शक्तिपीठ हैं- 

1- नैमिषारण्य क्षेत्र में देवी लिग्धारिणी, 2- वाराणसी में देवी विशालाक्षी, 3- प्रयाग में देवी ललिता, 4- गंधमादन पर्वत पर देवी कामुकी, 5- दक्षिण मानसरोवर में देवी कुमुदा, 6- उत्तर मानसरोवर में, सर्व कामना पूर्ण करने वाली देवी विश्वकामा, 7- गोमान्त पर देवी गोमती, 8- मंदराचल पर देवी कामचारिणी, 9- चैत्ररथ में देवी मदोत्कता, 1०- हस्तिनापुर में देवी जयंती, 11- कन्याकुब्ज में देवी गौरी, 12- मलयाचल पर देवी रम्भा, 13- एकाम्र पीठ पर देवी कीर्तिमती, 14-विश्वपीठ पर देवी विश्वेश्वरी।, 15- पुष्कर में देवी पुरुहूता, 16- केदार स्थल पर देवी सन्मार्गदायनी, 17- हिमात्वपीठ पर देवी मंदा, 18- गोकर्ण में देवी भद्र कर्णिका, 19- स्थानेश्वर में देवी भवानी, 2०- बिल्वक में देवी बिल्वपत्रिका, 21- श्रीशैलम में देवी माधवी,22- भाद्रेश्वर में देवी भद्र, 23- वरह्पर्वत पर देवी जया, 24-कमलालय में देवी कमला, 25- रुद्रकोटि में देवी रुद्राणी, 26- कालंजर में देवी काली, 27-शालग्राम में देवी महादेवी, 28- शिवलिग में देवी जलप्रिया, 29- महालिग में देवी कपिला, 3०- माकोट में देवी मुकुटेश्वरी, 31- मायापुरी में देवी कुमारी, 32- संतानपीठ में देवी ललिताम्बिका, 33- गया में देवी मंगला, 34- पुरुषोतम क्षेत्र में देवी विमला, 35- सहस्त्राक्ष में देवी उत्पलाक्षी, 36- हिरण्याक्ष में देवी महोत्पला, 37- विपाशा में देवी अमोघाक्षी, 38- पुुंड्रवर्धन में देवी पाडला, 39- सुपर्श्व में देवी नारायणी, 4०- चित्रकूट में देवी रुद्रसुन्दारी, 41- विपुल क्षेत्र में देवी विपुला, 42- मलयाचल में देवी कल्याणी।43- सह्याद्र पर्वत पर देवी एकवीर, 44- हरिश्चंद्र में चन्द्रिका, 45- रामतीर्थ में देवी रमण,46- यमुना में देवी मृगावती,47- कोटितीर्थ में देवी कोटवी, 48- माधव वन में देवी सुगंधा, 49- गोदावरी में देवी त्रिसंध्या, 5०- गंगाद्बार में देवी रतिप्रिया, 51- शिवकुंड में देवी सुभानंदा, 52- देविका तट पर देवी नंदिनी, 53- द्बारका में देवी रुकमनी, 54- वृन्दावन में देवी राधा, 55- मथुरा में देवी देवकी, 56- पाताल में देवी परमेश्वरी, 57-चित्रकूट में देवी सीता, 58- विन्ध्याचल पर देवी विध्यवासिनी, 59- करवीर क्षेत्र में देवी महालक्ष्मी, 6०-विनायक क्षेत्र में देवी उमा, 61- वैद्यनाथ धाम में देवी आरोग्य, 62-महाकाल में देवी माहेश्वरी, 63- उष्ण तीर्थ में देवी अभ्या, 64- विन्ध्य पर्वत पर देवी नितम्बा, 65- माण्डवय क्षेत्र में देवी मांडवी, 66- माहेश्वरी पुर में देवी स्वाहा, 67- छगलंड में देवी प्रचंडा, 68-अमरकंटक में देवी चंडिका, 69- सोमेश्वर में देवी वरारोह, 7०- प्रभास क्षेत्र में देवी पुष्करावती, 71-सरस्वती तीर्थ में देव माता, 72- समुद्र तट पर देवी पारावारा, 73- महालय में देवी महाभागा, 74-पयोष्णी में देवी पिन्गलेश्वरी, 75- कृतसौच क्षेत्र में देवी सिहिका, 76- कार्तिक क्षेत्र में देवी अतिशंकारी, 77-उत्पलावर्तक में देवी लोला, 78- सोनभद्र नदी के संगम पर देवी सुभद्रा, 79-सिद्ध वन में माता लक्ष्मी, 8०-भारताश्रम तीर्थ में देवी अनंगा, 81- जालंधर पर्वत पर देवी विश्वमुखी, 82- किष्किन्धा पर्वत पर देवी तारा, 83- देवदारु वन में देवी पुष्टि, 84-कश्मीर में देवी मेधा, 85-हिमाद्री पर्वत पर देवी भीमा, 86- विश्वेश्वर क्षेत्र में देवी तुष्टि, 87-कपालमोचन तीर्थ पर देवी सुद्धि, 88- कामावरोहन तीर्थ पर देवी माता, 89- शंखोद्धार तीर्थ में देवी धारा, 9०- पिडारक तीर्थ पर धृति, 91-चंद्रभागा नदी के तट पर देवी कला।92- अच्छोद क्षेत्र में देवी शिवधारिणी,93-वेण नदी के तट पर देवी अमृता, 94- बद्रीवन में देवी उर्वशी, 95- उत्तर कुरु प्रदेश में देवी औषधि, 96- कुशद्बीप में देवी कुशोदका, 97- हेमकूट पर्वत पर देवी मन्मथा, 98- कुमुदवन में सत्यवादिनी, 99-अस्वथ तीर्थ में देवी वन्दनीया, 1००- वैश्वनालय क्षेत्र में देवी निधि, 1०1-वेदवदन तीर्थ में देवी गायत्री, 1०2-भगवान शिव के सानिध्य में देवी पार्वती, 1०3- देवलोक में देवी इन्द्राणी,1०4-ब्रह्मा के मुख में देवी सरस्वती, 1०5- सूर्य के बिम्ब में देवी प्रभा, 1०6- मातृकाओ में देवी वैष्णवी,1०7- सतियो में देवी अरुंधती, 1०8- अप्सराओ में देवी तिलोतम्मा, 1०9-शारीर धारिओ के शारीर में या चित में ब्रह्मकला।

भृगु नागर

यह भी पढ़े- भगवती दुर्गा के 51 शक्तिपीठ, जो देते हैं भक्ति-मुक्ति, ऐसे पहुचें दर्शन को

यह भी पढ़ें – वैैष्णो देवी दरबार की तीन पिंडियों का रहस्य

यह भी पढ़ें – जानिए, क्या है माता वैष्णवी की तीन पिण्डियों का स्वरूप

यह भी पढ़ें – जाने नवरात्रि की महिमा, सभी मनोरथ सिद्ध करती हैं भगवती दुर्गा

यह भी पढ़ें – भगवती दुर्गा के 1०8 नामों का क्या आप जानते हैं अर्थ

यह भी पढ़ें –नवदुर्गा के स्वरूप साधक के मन में करते हैं चेतना का संचार

यह भी पढ़ें –शुक्रवार व्रत कथाएं : सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं शुक्रवार के व्रत से

यह भी पढ़ें –पवित्र मन से करना चाहिए दुर्गा शप्तशती का पाठ

यह भी पढ़े- माता वैष्णो देवी की रहस्य गाथा और राम, स्तुति मंत्र

यह भी पढ़ें –आदि शक्ति दुर्गा के नौ स्वरूपों में से महाकाली अवतार की रहस्य गाथा और माया का प्रभाव

यह भी पढ़ें – वैदिक प्रसंग: भगवती की ब्रह्म रूपता ,सृष्टि की आधारभूत शक्ति

यह भी पढ़े- इस मंत्र के जप से प्रसन्न होते हैं बृहस्पति देव, जानिए बृहस्पति देव की महिमा

 

सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें। सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here