‘‘जूनियर व सीनियर ज्यूडीशियरी में आरक्षण तो हायर ज्यूडीशियरी में क्यों नहीं?’’

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भारतीय न्यायिक सेवा आयोग के माध्यम से हो हायर ज्यूडीशियरी के न्यायोधीशों का चयन- लौटन निषाद
लखनऊ 10 दिसम्बर, 2020। जूनियर व सीनियर ज्यूडीशियरी में एस0सी0, एस0टी0, ओ0बी0सी0 के साथ-साथ महिला वर्ग को आरक्षण की व्यवस्था है। हायर ज्यूडीशियरी ;उच्च न्यायालय व उच्चतम न्यायालयद्ध के न्यायाधीशों का किसी प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से चयन नहीं बल्कि कोलेजियम सिस्टम के द्वारा मनोनयन किया जाता है। समाजवादी पार्टी पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लौटन निषाद ने जूनियर व सीनियर ज्यूडीशियरी की भांति हायर ज्यूडीशियरी में आरक्षण कोटा की मांग करते हुए कहा कि जब जूनियर व सीनियर ज्यूडीशियरी में आरक्षण की व्यवस्था है तो हायर ज्यूडीशियरी में क्यों नहीं।
निषाद ने कहा कि हायर ज्यूडीशियरी के न्यायाधीशों का मनोनयन कोलेजियम सिस्टम से करने से तुच्छ जातिवाद, भाई भतीजा वाद व परिवार वाद को बढ़ावा मिलता है। उच्चतम न्यायालय व उच्च न्यायालय में अभी तक 200-250 परिवारों व कुछ ही जातियों का ही दब दबा होता आ रहा है। जिससे न्याय पालिका की निष्पक्षता प्रभावित होती है। उच्च न्याय पालिका के न्यायाधीशों का चयन कोलेजियम सिस्टम की बजाय भारतीय न्यायिक सेवा आयोग की प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से कराया जाना चाहिए, ताकि न्याय पालिका में न्यायाधीशों की चयन प्रक्रिया की निष्पक्षता कायम रहे। उन्होंने कहा कि भारतीय उच्च न्याय पालिका में न्यायाधीशों का मनोनयन कोलेजियम सिस्टम से करना पूरे विश्व में भारत की एक अनोखी परम्परा है।
निषाद ने कहा कि आज किसी भी लोक सेवक/सेवाकर्मी का चयन प्रतियोगी परीक्षा व साक्षात्कार के द्वारा किया जाता है। ऐसे में उच्च न्याय पालिका के न्यायाधीशों का मनोनयन बिना किसी प्रतियोगी परीक्षा के किया जाना संवैधानिक व नैसर्गिक न्याय के प्रतिकूल है। न्याय पालिका को लोक तंत्र का सर्वोच्च स्तम्भ कहा जाता है। लेकिन इसके चयन व मनोनयन की प्रक्रिया प्रतिभा की सर्वोच्चता को नजर अंदाज करके किया जाता है। उन्होंने मांग किया है कि संघ लोक सेवा आयोग व राज्य लोक सेवा आयोग की प्रतियोगी परीक्षा के पैटर्न पर उच्च न्याय पालिका के न्यायाधीशांे का चयन भारतीय न्यायिक सेवा आयोग की प्रतियोगी परीक्षा के द्वारा किया जाय। लोक सेवा आयोग व संघ लोक सेवा आयोग की कठिन प्रतियोगी परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के बाद चयनित आई0ए0एस0, आई0पी0एस0, आई0एफ0एस0, पी0सी0एस0, पी0पी0एस0 आदि लोक सेवकांे को कोलेजियम द्वारा नामित न्यायाधीश कटघरे में खड़ा कर सजा दे देता है। जो आश्चर्य जनक है। उन्होंने उच्च न्याय पालिका के न्यायाधीशों का चयन भारतीय न्यायिक सेवा आयोग के माध्यम से करने की मांग के साथ-साथ जूनियर व सीनियर ज्यूडीशियरी के आरक्षण व्यवस्था के अनुरूप ओ0बी0सी0, एस0सी0, एस0टी0 व महिला वर्ग को आरक्षण कोटा दिये जाने की मांग किया है।

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