क्यों मंगल सूचक माना जाता है कलश

1
858
क्यों मंगल सूचक माना जाता है कलश
कलश का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। हर धार्मिक कार्य में कलश की स्थापना का विधान है। गृहस्थ जीवन में धार्मिक कृत्य करने हो, या फिर कोई धार्मिक अनुष्ठान, कहने का मतलब यह है कि किसी भी धार्मिक कार्य में कलश की स्थापना का विधान है।
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार कलश में ब्रह्मा विष्णु व महेश सृष्टि की इन तीन सर्वश्रेष्ठ शक्तियों का और मातृका अर्थात माताओं का निवास बताया गया है।सीता जी की उत्पत्ति के विषय में प्रमाण मिलता है कि राजा जनक के राज्य में सूखा पड़ गया था, जिसके उपचार के लिए देवर्षि नारद ने उन्हें सोने का हल चलाने को कहा था। हल चलाते समय हल का फाल भूमि में गड़े हुए कलश से टकराया था, जिससे तेज ध्वनि हुई और फूटे हुए कलश के अंदर से बाल रूप सीता उत्पन्न हुई थी। जिन्हें जगत माता कहा जाता है। समुद्र मंथन के समय प्राप्त अमृत भी कलश में ही था।प्राचीन मंदिरों या तस्वीरों में भगवती लक्ष्मी को दो हाथियों द्वारा कलश जल से स्नान कराते हुए आप देख सकते हैं। हिंदू धर्म में कलश को परम पवित्र माना गया है। देवी की पूजा के लिए कलश स्थापना होती है, जिसका अर्थ यह होता है कि कलश रूप में स्वयं देवी मूर्तिमान होकर विराजते हैं। कोई भी शुभ कार्य जैसे गृह प्रवेश, गृह निर्माण, विवाह पूजा, अनुष्ठान आदि में कलश की स्थापना की जाती है। कलर्स को लोग लाल वस्त्र ,नारियल, आम के पत्तों, कुश आदि से अलंकृत करते हैं। कहीं-कहीं गाय के गोबर से भी टीकत हैं। गाय के गोबर में टीबी के जीवाणुओं को मारने की क्षमता होती है, यह वैज्ञानिक परीक्षणों में भी सिद्ध हो चुका है।
सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें। सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here