अटल जी राष्ट्र धर्म के प्रेरणा स्त्रोत हैं.. नीलकंठ तिवारी

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भारतरत्न मा०अटल बिहारी वाजपेई जी की जयन्ती पर “राष्ट्रवाद और राष्टधर्म “विषय पर वेबिनार

हमारा संविधान राष्ट्र की धर्म पुस्तक है..डा. अभय जैन

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लखनऊ। उ.प्र.जैन विद्या शोध संस्थान, लखनऊ (संस्कृति विभाग, उ.प्र.) द्वारा भारतरत्न मा०अटल बिहारी वाजपेई जी के 97 वीं जयन्ती पर “राष्ट्रवाद और राष्टधर्म “विषय पर वेबिनार का आयोजन संगीत विभाग के सभा कक्ष में हुआ।
उद्घाटन राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार संस्कृति, पर्यटन, धर्मार्थ,प्रोटोकोल डॉ. नीलकण्ठं तिवारी ने अटल जी के चित्र पर माल्यापर्ण कर किया।
अतिथियों का सम्मान संस्थान के उपाध्यक्ष प्रो.(डॉ.) अभय कुमार जैन एवं निदेशक डॉ. राकेश सिंह ने किया। मंगलाचरण
डॉ. इन्दू जैन ने किया। अपने उदगार व्यक्त करते हुए
डॉ. नीलकण्ठ तिवारी ने कहा कि अटल जी राष्ट्र धर्म के प्रेरणा स्त्रोत हैं। श्री वाजपेई ने राष्ट्र को हमेशा समाज और धर्म से ऊपर रखा।
विषय प्रवर्तन करते हुये संस्थान के उपाध्यक्ष प्रो.(डॉ.) अभय कुमार जैन ने कहा कि हमारा राष्ट्रधर्म हमारी मर्यादा है। हमारा संविधान राष्ट्र की धर्म पुस्तक है। इसका अनुशरण हमें सशक्त बनाता है। डॉ. जैन ने कहा कि व्यक्ति से समाज और समाज से राष्ट्र का निर्माण होता है। राष्ट्र के प्रति हमारा समर्पण ,प्रेम, सेवाभाव ही राष्टवाद और राष्ट्रधर्म है। गोरखपुर से पुष्पदन्त जैन,प्रो. शिवशरण दास,आगरा से डॉ. राजीव जैन,संजय जैन , मैनपुरी से डॉ. शिवानी, कानपुर से डॉ . रंजय प्रताप सिंह ,प्रयागराज से प्रो. योगेन्द्र प्रताप सिंह, वाराणसी से प्रो.फूल चन्द्र प्रेमी,डॉ.रमा जैन, लखनऊ से प्रो. पवन अग्रवाल, डॉ. पत्रिका जैन,प्रो. सुधा जैन और अंजू रघुवन्शी ने अपने विचार व्यक्त किए।

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