मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के इनपुट पर ताज नगरी आगरा में चार दिनों तक चली छापेमारी के दौरान प्रतिबंधित ‘ट्रामाडोल’ की करीब एक लाख से ज्यादा टैबलेट बरामद हुई हैं। यह इस्लामिक स्टेट (आईसएस), बोको हरम की पसंदीदा टैबलेट हैं। आतंकी इसका सेवन अफीम के विकल्प के तौर पर करते हैं। पुलिस और खुफिया एजेंसियों यह सोच कर हिल गये हैं कि इस्लामिक स्टेट का कोई सर्विस सेंटर आगरा में तो नहीं काम कर रहा है।
पंजाब में पकड़े गये आगरा गैंग का कनेक्शन कहीं आतंकियों से तो नहीं है। दावा किया जा रहा है कि यह नेटवर्क दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र तक सक्रिय है। ड्रग माफियाओं के आतंकी कनेक्शन की थीम से गृह मंत्रालय भी अलर्ट मोड पर आ गया है।
2008 में मुंबई पर समुद्री रास्ते से आतंकी हमला हुआ था। 10 आतंकियों ने ताज होटल समेत कई स्थानों पर सीरियल ब्लास्ट और गोलीबारी से कइयों की जान ले ली थी। इस हमले के बाद इंटेलिजेंस ने खुलासा किया था कि आतंकी नशीली दवा ट्रामाडोल का इस्तेमाल करते हैं। इसी तरह 2017 में अमृतसर की दो फार्मास्युटिकल कंपनियों ने दुबई के लिए ट्रामाडोल टैबलेट की खेप भेजी थी। यह दुबई की बजाए लीबिया पहुंच गई थी। पंजाब पुलिस और इंटेलिजेंस को जब पता चला तो खलबली मच गई। कुल 24 लाख टैबलेट संगठन के पास पहुंच गई थीं।
जांच में पता चला कि आतंकी संगठन आईएस के सदस्यों की यह पसंदीदा टैबलेट है। वे इसका इस्तेमाल अफीम के विकल्प के रूप में करते हैं। साथ ही यह हड्डियों के जोड़ों की दर्द निवारक दवा भी है। इस तरह एक टैबलेट से दोनों काम हो जाते हैं। नशा होता है और दर्द का भी पता नहीं चलता। सूत्रों की मानें तो आतंकी ट्रामाडोल को ‘फाइटर’ टैबलेट के नाम से संबोधित करते हैं। इसका सेवन बड़े शौक से किया जाता है। लिहाजा तमाम तरीकों से आतंकी संगठन दवाई को मंगाते हैं। बाद में अमृतसर की दोनों दवा कंपनियों के लाइसेंस निरस्त कर दिए गए थे।
यहां ट्रामाडोल की एक टैबलेट की कीमत तीन से चार रुपये के बीच होती है। जबकि आईएस तक पहुंचते- पहुंचते इसकी कीमत 200 रुपये या इससे भी अधिक हो जाती है। जाहिर है कि इन दवाइयों को वहां तक पहुंचाने में तस्करों की भूमिका ही सबसे बड़ी होती है। लिहाजा आगरा के साथ पंजाब गैंग के तस्करों की इसी लिहाज से पड़ताल करना जरूरी माना जा रहा है। ड्रग विभाग पुलिस के साथ इसकी संभावना पर विचार कर रहा है।
आगरा गैंग भी यहां से पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, दिल्ली, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और गोवा में इस टैबलेट की धकाधक सप्लाई करता है।आशंका है कि यहां से तस्कर इन नशीली दवाओं को विदेश भी भेजते थे। ड्रग सप्लाई और आतंकियों का कनेक्शन पता करने के लिए पुलिस व इंटेलिजेंस मिलकर जांच कर रही है। आतंकियों से आगरा गैंग की दवाओं का कनेक्शन का पक्का सुबूत मिलते ही सभी तस्करों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत भी कार्रवाई की जायेगी।
ड्रग विभाग ने 19 दिसंबर से लगातार छापेमारी की। बल्केश्वर, कमलानगर और फव्वारे से भारी मात्रा में नशे में इस्तेमाल की जाने वाली अवैध दवाइयां बरामद हुई हैं। लगभग हर छापे में ट्रामाडोल का भंडार मिला है। पंजाब, हरियाणा में अधिक डिमांड है। पूर्ति करना मुश्किल पड़ता है। लिहाजा आगरा गैंग ने नया फार्मूला तैयार किया। ‘डिक्लोफेन सोलियम’ और ‘ट्रामाडोल एचसीएल’ को मिक्स करके नए कैप्सूल तैयार किए गए। इनकी पैकिंग करके पंजाब भेजा जाता था। इसे नशे की हाई डोज कहा जाता है। छापेमारी के दौरान इसकी लाखों टैबलेट बरामद की गई हैं।चार दिनों तक चली कार्रवाई में कुल सात लोगों की गिरफ्तारी की गई। कुल 17 आरोपी हैं। चार अभी भी फरार हैं।
इस संदर्भ में औषधि निरीक्षक नरेश मोहन ने बताया कि पुरानी रिपोर्टों से मिली जानकारी के अनुसार आतंकी भारी मात्रा में ट्रामाजोल का सेवन करते हैं। हमने तो दवाओं को पकड़कर अपना काम कर दिया है। जांच एजेंसियां चाहें तो इसकी पड़ताल कर सकती हैं। यह उच्च स्तरीय जांच का विषय है। किसी भी आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।