आदि शक्ति दुर्गा के नौ स्वरूपों में से रक्त दन्तिका अवतार की रहस्य गाथा

0
1586

गवती आदि शक्ति दुर्गा के वैसे तो अनन्त रूप है, अनन्त नाम है, अनन्त लीलाएं हैं। जिनका वर्णन कहने-सुनने की सामर्थ्य मानवमात्र की नहीं है, लेकिन देवी के प्रमुख नौ अवतार है। जिनमें महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती, योगमाया, शाकम्भरी, श्री दुर्गा, भ्रामरी व चंडिका या चामुंडा है। इन नौ रूपों में से आइये जानते हैं हम रक्त दन्तिका अवतार के बारे में-

रक्त दन्तिका

Advertisment

पूर्व काल में वैप्रचिति नामक दैत्य अत्यन्त बलशाली होकर अत्याचार करने लगा। उसके अत्याचार से पृथ्वी के समस्त जीव व्याकुल हो गए। ऋषि मुनियों का हवन पूजन आदि शुभ कार्य कर पाना भी दुष्कर हो गया। देवगण उस दैत्य केअत्याचारों से पीडि़त होकर त्राहि-त्राहि करने लगे।

तक देवताओं और पृथ्वी ने मिलकर देवी भगवती की स्तुति की- हे माता! हे जगतजननी! वैप्रचिति अपने बल के अभिमान में चूर होकर आपकी सृष्टि के समस्त प्राणियों पर अत्याचार कर रहा है। हे अधिष्ठात्री देवी उसकेभय से भयभीत प्राणी प्राण रक्षा के लिए आपकी ओर कातर नेत्रों से देख रहे हैं।

यह भी पढ़ें –भगवती दुर्गा की उत्पत्ति की रहस्य कथा और नव दुर्गा के अनुपम स्वरूप

समस्त प्राणियों का अभय प्रदान करने वाली हे दयालु माता! हम सभी को वैप्रचिति के भय से मुक्त करो हम जानते हैं कि आप भय मुक्ति देने में समर्थ हो। हे सर्वशक्ति संपन्न देवी! हे परब्रह्स्वरूपा रक्षा करो! रक्षा करो!

देवताओं और पृथ्वी द्वारा स्तुति किए जाने पर देवी प्रकट हुईं। उस समय उसका रूप दैत्य का संहार करने के उददेश्य से अत्यंत भयानक हो रहा था। क्रोध से उनकी आंखें लाल हो रहीं थीं तब उन्होंने मेघ से समान गर्जना की और दैत्य वैप्रचिति को युद्ध के लिए ललकारा।

यह भी पढ़े- आदि शक्ति दुर्गा के नौ स्वरूपों में से योगमाया अवतार की रहस्य गाथा

बल के मद में चूर वैप्रचिति उनकी ललकारें सुनकर युद्ध करने के लिए उपस्थित हुआ उसके साथ उनके बलशाली दैत्य हाथ में कृपाण ढाल आदि लिए हुए देवी से युद्ध करने लगे।

तब देवी क्रोध में भरकर उन दैत्यों का संहार करने लगी। दैत्यों का भक्षण करते समय उनकेसुंदर दांत लालवर्ण के हो गए। जिस कारण देवी भगवती रक्त दंतिका कहलायी।

सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें। सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here