गंगा- यमुना- सरस्वती के विस्तीर्ण रेती पर माघ मेला: जप,तप और ध्यान

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कोरोना काल में तमाम चुनौतियों के बीच माघ मेला एक नई आशा का किरण लेकर आ रहा है, क्योंकि इस बार माघ मेला के स्नान पर्वों पर गुरु बृहस्पति का दुर्लभ योग बन रहा है। 14 जनवरी को मकर संक्रांति से शुरू हो रहे माघ मेला के छह स्नान पर्व में चार स्नान पर्व गुरुवार को ही पड़ रहे हैं। ग्रहीय गोचर के अनुसार, गुरु बृहस्पति महामारी एवं अनिष्टकारी शक्तिओं को नष्ट करने में सक्षम हैं। स्नान का पहला स्नान पर्व 14 जनवरी दिन गुरुवार को मकर संक्रांति से शुरू होगा। इसमें 28 जनवरी को पौष पूर्णिमा, 11 फरवरी को मौनी अमावस्या और 11 मार्च को महाशिवरात्रि का स्नान पर्व गुरुवार के दिन ही पड़ेगा. इस बीच 16 फरवरी को वसंत पंचमी मंगलवार और माघी पूर्णिमा 27 फरवरी दिन शनिवार को पड़ेगी।

प्रयागराज। कल्पवासी मकर संक्रांति से शुरू होने वाले मेले में संगम की रेती पर महीने भर जप,तप और ध्यान करेंगे। कोविड के चलते इस बार मेले का क्षेत्रफल घटाकर 538.34 हेक्टेयर कर दिया गया है। मेला क्षेत्र को चार सेक्टरों में विभाजित किया गया है।
जिलाधिकारी भानुचंद्र गोस्वामी ने कई बार मेला समीक्षा बैठक कर निर्देशित कर चुके हैं कि पारदर्शिता के साथ कार्यों को समय से पूरा किया जाए। गत बुधवार एडीएम (सिटी) अशोक कन्नौजिया ने भी मेला समीक्षा बैठक कर संबधित विभाग के अधिकारियों को शीघ्र पूरा करने का निर्देश दे चुके हैं। स्नान घाट, पीडब्ल्यूडी ,जलकल समेत कई विभागों के कार्य अभी अधूरे हैं। माघ मेला क्षेत्र में बिजली विभाग की ओर से 12 हजार स्ट्रीट लाइटें लगाने का लक्ष्य मिला हुआ है। 11 हजार 800 स्ट्रीट लाइटे लगाने का काम पूरा किये जाने की बात कही जा रही है जबकि झूंसी तरफ बहुत से खंभे बिना तार के खड़े दिखलाई पड़ रहे हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि कोरोना को लेकर जिला प्रशासन मेला आयोजन को लेकर ऊहापोह में था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद मेला बसाने की तैयारी शुरू की गयी जिस कारण सारा काम पिछड़ गया है। उन्होने विश्वास है कि स्नान से पहले सारा काम पूरा हो जाएगा। मेला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि माघ मेला कल्पवासियों और साधु-संतो का होता है। हमारा भरसक प्रयास होता है कि उन्हें किसी प्रकार से पहले सुविधा मुहैया करायें लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण को लेकर चौकसी बरती जा रही है।
गंगा में प्रतिदिन स्नान करने वाले दारागंगज निवासी रामेश्वर पाण्डेय ने बताया कि दशाश्वमेघ घाट तथा शास्त्री पुल के नीचे का जल देखने से ही हकीकत बयां हो जाती है। जगह जगह पानी कम होने के कारण टापू सा नजर आ रहा है। माघ मेला का पहला पौष पूर्णिमा स्नान 14 जनवरी को है। यह स्नान अव्यवस्थाओं और आधी-अधूरी तैयारियों के बीच ही होगा। मेला क्षेत्र में अभी पूरा काम नहीं हो सका है। एक सप्ताह से कम समय रह गया है लेकिन बावजूद इसके झूंसी का पूरे क्षेत्र में अभी केवल बिजली के खंभे खड़े खड़े होने के साथ कहीं कहीं आधे अधूरे तंबुओं का शिविर खड़ा है। मेला क्षेत्र में मूलभूत सुविधायें अभी पूरी तरह से व्यवस्थित नहीं है। शौचाालयों की व्यवस्था भी आधी अधूरी है।

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प्रयागवाल महासभा के महामंत्री राजेन्द्र पालीवाल ने बताया कि प्रयागवाल ही कल्पवासियों को बसाता है। मेला में करीब पांच लाख कल्पवासी एक माह तक कल्पवास करते हैं। माघ मास के पहले मकर संक्रांति स्नान के लिए मात्र पांच दिन शेष बचे हैं लेकिन अभी मेला व्यवस्थित रूप से बस नहीं सका।

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