कमल जयंत,लखनऊ।केंद्र सरकार पूरे देश में अश्लीलता परोस रहे ओटीटी प्लेटफार्म पर नियंत्रण का बिल यूं ही नहीं ला रही है, ऑनलाइन कंटेंट पर किसी भी प्रकार की अथारिटी का नियंत्रण न होने से समाज में सांप्रदायिक सौहार्द को ही एक बड़ा खतरा पैदा हो गया है। आने वाले समय में तकरीबन पच्चीस हजार करोड़ के ओटीटी प्लेटफार्म में बड़ा हिस्सा वेब सीरीज का है। हाल में तांडव वेब सीरीज को लेकर जिस तरह से देशभर में जन भावनाओं को आहत किया गया है, वह इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। 70 साल तक देश पर राज करने वाली कांग्रेस पार्टी कमोवेश इस मुद्दे को लेकर मौन धारण किए हुए। बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने इस तरह की सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने वाली वेब सीरीज को लेकर कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुए कहा है कि आपत्तिजनक हिस्से को तत्काल हटाया जाना चाहिए। ऐसा नहीं कि तांडव को लेकर ही देश में पहली बार कोई तांडव हो रहा है, इससे पूर्व भी तमाम विरोध के स्वर मुखर होते रहे हैं। चूकि, सत्ता का प्रभाव व्यवस्था पर पड़ता है और इस देश में 70 सालों तक सो-कॉल्ड सेकुलर का राज रहा। हिंदू विरोधी हर बात इन सो कॉल्ड सेकुलर को रास आती रही , लेकिन अब जब केंद्र की सत्ता पर एनडीए का राज है तो इस तरह के हिंदू विरोधी हथकंडो का विरोध भी तेज हो गया है। दूसरे शब्दों में कहें तो इनको आवाज मिल गई है और सत्ता का बल भी। केंद्र सरकार भी सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने वाले हथकंडो पर अंकुश लगाने की तैयारी कर रही है। इससे सो-कॉल्ड सेकुलर तिलमिलाए हुए हैं और उन्होंने अपनी भड़ास निकालने के लिए हिंदू विरोधी गतिविधियों को तेज कर दिया है, चाहे वह वेब सीरीज के माध्यम से हो या फिर सिनेमा के माध्यम से। सो कॉल्ड सेकुलर आम जनता की नब्ज को पहचान नहीं सके हैं, वह यह तो जान चुके हैं कि देश में हिंदू जाग चुका है और हिंदुत्व की लहर भी है, लेकिन वह इसे अभी स्वीकार करने को तैयार नहीं है, क्योंकि इसमें उनको अपनी हार नजर आती है या फिर राजनीतिक विवशता। हाल में सपा सुप्रीमो का दिया गया तांडव को लेकर बयान भी उनकी राजनीतिक विवशता को जगजाहिर करने वाला है। जिसमें उन्होंने विरोध को ही सियासी रंग देने का प्रयास किया है। देश में लॉकडाउन के बाद वेबसीरीज देखने वालों की संख्या में अप्रत्याशित इजाफा दर्ज हुआ है। उत्तर प्रदेश में बीते कुछ समय से ऐसी तमाम वेबसीरीज की धड़ल्ले से शूटिंग की जा रही है, जिसमें किसी शहर विशेष की छवि या धार्मिक पहलुओं को खुलेआम तोड़मरोडक़र पेश किया जाता है। जिसमें मिर्जापुर वेबसीरीज का नाम भी प्रमुख है। ताजा मामला अमेजन प्राइम वीडियो की नई वेब सीरीज तांडव का है।
सो-कॉल्ड सेकुलर तिलमिलाए और ओटीटी प्लेटफार्म पर भड़ास
इस वेब सीरीज को लेकर विवाद शुरू हो गया है। तांडव का भाजपा समेत तमाम सामाजिक संगठन इस बात को लेकर विरोध कर रहे हैं कि इसमें धार्मिक भावनाओं को आहत किया जा रहा है। इस विरोध के बीच बसपा प्रमुख मायावती ने भी इस सीरीज में धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाली आपत्तिजनक चीजों को हटाने की मांग की है। इसके बाद वेब सीरीज के खिलाफ हो रहे विरोध को बल मिला है। जबकि लाल बिहारी मृतक का कहना है कि तांडव में धार्मिक भावनाओं को आहत करने का मामला है, इसलिए वेब सीरीज का विरोध हो रहा है। जबकि उनके साथ घटी वास्तविक घटना को लेकर बनी फिल्म कागज में न्यायपालिका और विधायिका स्वाहा का हवन करते दिखाया गया है, लेकिन इस पर किसी ने कोई भी विरोध नहीं दर्ज कराया है।
इससे पहले भी मिर्जापुर वेब सीरीज का अपना दल सांसद अनुप्रिया पटेल समेत तमाम सामाजिक संगठनों ने विरोध किया था। इनका कहना था कि इस सीरीज के माध्यम से मिर्जापुर जिले की छवि खराब करने की कोशिश की गई है। जबकि एक अन्य वेब सीरीज में अहिल्या बाई होल्कर के नाम से महिला हास्टल का नाम रखे जाने पर गड़ेरिया समाज ने विरोध दर्ज कराया था और उनका कहना था कि यह माता अहिल्या बाई होल्कर को अपमानित करने के लिए किया गया है। इस मामले में पाल समाज की तरफ से कृष्ण कन्हैया पाल एडवोकेट ने हाईकोर्ट की लखनऊ खंड पीठ में भी याचिका दायर कर रखी है। फिल्म पदमावत को लेकर हुआ हंगामा तो सभी की जानकारी में है। करणी सेना के विरोध के चलते फिल्म निर्माता को फिल्म का नाम पदमावती से बदलकर पदमावत करना पड़ा था।
आजमगढ़ निवासी लालबिहारी मृतक के जीवन पर आधारित फिल्म कागज में एक जगह न्यायपालिका स्वाहा, विधायिका स्वाहा कहा गया है, लालबिहारी का कहना है कि वह न्यायपालिका और विधायिका का पूरा सम्मान करते हैं, मैंने अपने जीवन में कभी भी इन शब्दों को न्यायपालिका और विधायिका के खिलाफ इस्तेमाल नहीं किया। लाल बिहारी मृतक के अधिवक्ता कृष्ण कन्हैया पाल ने बताया कि वे इस मामले में आजमगढ़ जिले के मुबारकपुर थाने में फिल्म के निर्माता-निर्देशक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का प्रयास कर रहे हैं, वहां तहरीर भी दी गई है, यदि जल्दी ही मुकदमा न लिखा गया तो इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर की जाएगी। उनका कहना है कि तांडव में ब्राह्मïणवाद से आजादी, मनुवाद से आजादी के नारे लगाए गए हैं। इसमें देश के टुकड़े करने की बात नहीं कही गई है। अब इसका खुलकर विरोध न करके सीरीज में भगवान शिव को लेकर दिखाए गए दृश्य को लेकर तांडव वेब सीरीज का विरोध कर रहे हैं।
मायावती ने वेब सीरीज तांडव को लेकर मचे बवाल के बाद ट्वीट किया है। मायावती ने कहा कि तांडव वेब सीरीज में धार्मिक व जातीय आदि भावना को आहत करने वाले कुछ दृश्यों को लेकर विरोध दर्ज हो रहे हैं। जिसके सम्बंध में जो भी आपत्तिजनक है उन्हेंं हटा दिया जाना उचित होगा। जिससे कि इसको लेकर देश में कहीं भी शान्ति, सौहार्द व आपसी भाईचारे का वातावरण खराब न हो।
निम्न स्तर की भाषा का इस्तेमाल भी किया गया
वेब सीरीज के पहले एपिसोड में 17 वें मिनट पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का काम किया गया है। इसके अलावा निम्न स्तर की भाषा का इस्तेमाल भी किया गया है, जिससे लोगों में आक्रोश है।
वेब सीरीज में राजनीतिक वर्चस्व को पाने के लिए अत्यंत निम्न स्तर से फिल्म का चित्रण किया गया है। इस मामले में समुदाय विशेष की धाॢमक भावनाओं को भडक़ाने का प्रयास हुआ है। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने वेब सीरीज के निर्माता निर्देशक, लेखक व प्रोड्यूसर समेत अन्य के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की है।
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