प्रसिद्ध मंदिर : श्री कालिका देवी मिटाती हैं भक्तों के क्लेश, जल्द होती हैं प्रसन्न

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माता कालिका जल्द प्रसन्न होने वाली देवी हैं, सच्चे मन से दर्शन-पूजन करें तो समस्त मनोकामनाओं को पूरा करती हैं। चंडीगढ़ से कुछ दूर शिमला जाने वाले मार्ग पर एक छोटा सा स्टेशन है, जो कालिका जी नाम से दूर-दूर तक विख्यात है। इस मंदिर के नाम से कस्बे का नाम कालिका जी पड़ा। कहते हैं जो भक्त माता के दरबार में दुखी आस्था में पहुंचता है और सच्चे मन से प्रार्थना  करता है। दयालु माता उनकी झोलियां खुशियों से भर देती हैं। सर्व मनोकामना पूर्ण करने वाली भगवती मां की अपार कृपा प्राप्त करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।

एक दंत कथा के अनुसार पूर्व काल में राजा जयसिंह देव ने इस मंदिर का निर्माण कराया और माता कालिका जी की प्रतिमा स्थापित कराई। नवरात्रि के समय भगवती जागरण हो रहा था। राज्य की स्त्रियां माता भगवती के मंदिर में उपस्थित होकर कीर्तन गान कर रही थी। स्वयं राजा जयसिंह देव भी उपस्थित थे। उस आनंद के अवसर पर स्वयं देवी भगवती ने एक सुंदर स्त्री का रूप धारण कर पधारी और अन्य स्त्रियों के साथ बैठकर मधुर स्वर में गाने लगी। भगवती की मधुर ध्वनि और दिव्य सौंदर्य को देखकर राजा जयसिंह अत्यधिक विह्वल हो गए। उनके मन में पाप बुद्धि जागृत हो गई और वह कीर्तन समाप्त होने पर अपने स्थान से उठकर देवी के निकट आए। उस समय देवी ने कहा कि हे राजन! तुमने महान कीर्तन का आयोजन किया, जिस कारण मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हूं, अतः तुम्हारी जो इच्छा हो मांग लो।

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काम के वशीभूत राजा ने देवी को प्रसन्न जानकर प्रणय निवेदन करते हुए कहा कि सुंदरी! तुम मुझसे विवाह कर ले। यह सुनते ही कालिका जी ने क्रोधित होकर राजा को श्राप दे दिया अरे मूर्ख! तू काम के वश में होकर अंधा हो गया है, तेरी बुद्धि भ्रष्ट हो गई है, जो इस तरह के वचनों का उच्चारण करता है। तुझे उचित अनुचित का ज्ञान नहीं है, अतः मैं तुझे श्राप देती हूं, तेरा सर्वनाश हो जाएगा। यह कहकर देवी अंतर्ध्यान हो गई। उसी समय महान गर्जना हुई और देवी की मूर्ति पहाड़ में हंसने लगी, तब उस मंदिर में रहने वाले महात्मा ने देवी की अनेक प्रकार से स्तुति की और साष्टांग दंडवत करते हुए कहा कि हे माता! अब क्षमा करो। तब देवी की मूर्ति उसी अवस्था में रह गई। आज भी देवी का शीश (सिर) मात्र ही दिखाई देता है। देवी के श्राप से राजा जयसिंह देव पर उसके शत्रु राजा ने चढ़ाई कर दी और वह अपने पुत्रों सहित मारा गया। यह सिद्ध पीठ मणि जाती है।

गौरतलब है कि वैसे श्री माता कालिका देवी का शक्तिपीठ स्थान कोलकाता है। 

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