नवरात्रि में सिद्धि: शत्रु बुद्धि विनाशक, विपत्ति रक्षा व सौभाग्यवर्धक साधना

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पुण्यात्माओं के घर में देवी स्वयं लक्ष्मी रूप, पापियों के घर में दरिद्रता रूप से, शुद्ध अंत:करण वाले पुरुषों के के हृदय में बुद्धि रूप से, सत्पुरुषों में श्रद्धा रूप और कुलीन मनुष्यों में लज्जा रूप में निवास करती हैं, जो श्रद्धाभाव से उनका पूजन-अर्चन करता है, उस भक्त पर वह कृपा करती हैं, उसके कष्टों को हरती हैं। उसे अर्थ और मोक्ष प्रदान करती हैं। ऐसी जगदम्बा का पूजन अगर नवरात्रि के समय में किया जाए तो भक्त पर वह सहज ही प्रसन्न हो जाती है। उसकी मनोकामनाओं को पूर्ण कर उसे सदगति प्रदान करती हैं। ऐसी जगत जननी माता की अराधाना में ही मानव मात्र का कल्याण है। वह प्रसन्न होने पर भक्त के संकटों को हर कर उसकी बाधाएं दूर करती हैं और धन- धान्य से उसके भंडारे भर देती है। जीव को उत्तम गति प्रदान करती हैं।
पूजन में बरते ये सावधानियां

1. एक व्यक्ति कई प्रयोग कर सकता है, लेकिन एक प्रयोग करने के बाद दूसरा प्रयोग करने से पूर्व हाथ मंंह पैर आदि को धोना आवश्यक है, यदि संभव हो तो स्नान करें।
2. साधना प्रयोग करने से पूर्व प्रत्येक बार (एक साधना प्रयोग पूरा करने के बाद जब दूसरा प्रयोग आरम्भ करें) हाथ मे जल लेकर अपना नाम, पिता का नाम, गोत्र, शहर, देश का नाम आदि उच्चारण करें। तत्पश्चात जल अपने ऊपर छिड़कें।
3. प्रयोग करने से पूर्व आवश्यक सामग्री एकत्रित कर लें।
4. साधना प्रयोग के लिए कंबल अथवा कुशासन का उपयोग करें।
5. साधना काल में पवित्रता एवम ब्रह्मïचर्य का पालन करें।
6. नवरात्रि काल में बाल न कटवायें।

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उक्त सावधानियों का पालन करते हुए साधना करने से सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। कार्यसिद्घि के लिए नवरात्रि में किये जाने वाले ये सिद्घ प्रयोग जो प्राणियों की अभिलाषा पूर्ण कर परम सुख प्रदान करते है।

1-शत्रु बुद्धि विनाशक प्रयोग

यदि आप शत्रु की बुद्घि का विनाश करना चाहते हैं तो हकीक के पत्थर पर शत्रु का नाम सिंदूर या कुमकुम से लिखें और 21 बार मंत्र पढ़कर पत्थर पर फूंक मारें- शत्रु बुद्धि भ्रष्ट  हो जायेगी। 

ऊँ नमो भगवते शत्रुणां बुद्धिस्तम्भनं कुरु कुरु स्वाहा।

प्रयोग करने से पूर्व मंत्र को सिद्ध करना आवश्यक है, अत: विधि पूर्वक नवरात्र में मंत्र सिद्ध करे लें।

2- विपत्ति रक्षा

आकस्मिक मुसीबत से रक्षा के लिए नीचे लिखे मंत्र को सिद्ध करें।
लकड़ी के बाजोट पर स्वच्छ वस्त्र बिछाकर देव्यानुग्रह  यंत्र स्थापित करके धूप दीप आदि से पूजन करें।

केशर का तिलक यंत्र पर लगायें तत्पश्चात मूंगे की माला से मंत्र पाठ करें-

शरणागत दीनार्त परित्राण पत्रयणे।

सर्वस्यातिहरे देवि नारायणि नोस्तुते॥

3- सौभाग्यवर्धक प्रयोग

सियार सिंगी को किसी पात्र में रखकर उसके पास सिंदूर बिछायें फिर तेल का दीपक जलाकर मंत्र पाठ आरम्भ करें।

 जहां अमुक शब्द आता है वहां पति के नाम का उच्चारण करें। मंत्र सिद्घ होने के बाद बिछा हुआ सिंदूर पति के कपड़े में लगायें।आपका पति आपके वश में रहेगा।

ऊँ ह्रीं भोगप्रदा भैरवी मातंगी, अमुकं वशमानाय स्वाहा।

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