भगवती दुर्गा सृष्टि की आधारभूत शक्ति हैं। वह शक्ति स्वरूपा हैं, उनकी माया को न कोई अब तक जान सका है, न ही भविष्य में कोई जान सकेगा। वह इच्छा मात्र से सृष्टि का संचालन कर रही है। उनकी माया अनंत है, अनंत कथाएं है, अनंत नाम है और अनंत स्वरूप है।
वह भगवती दुर्गा पुण्यात्माओं के घर में देवी स्वयं लक्ष्मी रूप, पापियों के घर में दरिद्रता रूप से, शुद्ध अंत:करण वाले पुरुषों के के हृदय में बुद्धि रूप से, सत्पुरुषों में श्रद्धा रूप और कुलीन मनुष्यों में लज्जा रूप में निवास करती हैं, जो श्रद्धाभाव से उनकी अर्चना करता है, वह उस भक्त का सदा ही कल्याण करती हैं, उसके कष्टों को हरती हैं। उसे अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष प्रदान करती हैं। ऐसी जगदम्बा का पूजन अगर नवरात्रि के समय में किया जाए तो भक्त पर वह सहज ही प्रसन्न हो जाती है।
पूजन में बरते ये सावधानियां
1. एक व्यक्ति कई प्रयोग कर सकता है, लेकिन एक प्रयोग करने के बाद दूसरा प्रयोग करने से पूर्व हाथ मंंह पैर आदि को धोना आवश्यक है, यदि संभव हो तो स्नान करें।
2. साधना प्रयोग करने से पूर्व प्रत्येक बार (एक साधना प्रयोग पूरा करने के बाद जब दूसरा प्रयोग आरम्भ करें) हाथ मे जल लेकर अपना नाम, पिता का नाम, गोत्र, शहर, देश का नाम आदि उच्चारण करें। तत्पश्चात जल अपने ऊपर छिड़कें।
3. प्रयोग करने से पूर्व आवश्यक सामग्री एकत्रित कर लें।
4. साधना प्रयोग के लिए कंबल अथवा कुशासन का उपयोग करें।
5. साधना काल में पवित्रता एवम ब्रह्मïचर्य का पालन करें।
6. नवरात्रि काल में बाल न कटवायें।
उक्त सावधानियों का पालन करते हुए साधना करने से सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। कार्य सिद्घि के लिए नवरात्रि में किये जाने वाले ये सिद्घ प्रयोग जो प्राणियों की अभिलाषा पूर्ण कर परम सुख प्रदान करते है।
1- काम शक्ति वर्धक प्रयोग
स्थापना के दिन एक थाली में अष्टï गंध से अपना नाम, पिता का नाम गोत्र आदि लिखकर रक्तवर्ण पुष्प का आसन लगाकर 10 दिन तक माला जपें-
ऊँ श्रीं अनंगाय ह्री नम:।।
पाठ पूर्ण होने के पश्चात स्थापित किये गये काम यंत्र को जमीन में दबा दें।
2- यौवन प्रदायक साधना
पूर्ण स्वस्थ एवम सौन्दर्य प्राप्ति के लिए काम यंत्र स्थापित करके 108 दिन तक जाप करें।
अशुद्धि होने पर पांच दिन तक यंत्र पूजा एवं पाठ न करें-
ऊँ श्री अनंगाय ह्रीं नम:।।
पाठ पूर्ण करके यंत्र को मिट्टी में दबा दें।
3- धन वृद्धि प्रयोग
तीन मोती शंख, 4 गोमती चक्र, 3 हकीक पत्थर एवम एक तांबे के सिक्के को विधिवत पूजन करके स्थापित करके मंत्र पाठ करें-
नमो देवि भगवते त्रिलोचनं त्रिपुरं देवि।
अंजलीम में कल्याणं कुरु कुरु स्वाहा।।
निरंतर नवरात्र में नौ दिन तक पाठ करें तत्पश्चात दशमी के दिन समस्त वस्तुएं लाल रंग के वस्त्र में बांधकर संदूक में रख दें।
4- दुर्घटना रक्षक प्रयोग
दुर्घटना नाशक यंत्र का नवरात्र में धूप, दीप अक्षत (चावल) पुष्प आदि से पूजन करें। पूजन के समय सियार सिंगी स्थापित करें। पूजन समाप्त होने पर सियार सिंगी सदैव अपने पास रखें या काले धागे में पिरोकर गले या दाहिनी भुजा में धारण करें।
5- ग्रह दोष निवारण के लिये
ग्रहों की चाल पर मानव जीवन निर्भर करती हैं। ग्रह शुभ स्थिति में तो शुभ फल, अशुभ स्थिति में हो तो अशुभ फल प्राप्त होता हैं। ग्रहों की शान्ति के लिए नवरात्र में स्थापना के दिन एक थाली में केशर से स्वास्तिक बनाकर उसके चारों ओर एक रुपए आठ सिक्के रखें और सिक्कों पर कुमकुम की बिंदी लगायें तथा नीचे लिखे मंत्र का नौ दिनों तक पाठ करें।
ऊँ ब्रह्मामुरारी त्रिपुरान्तकारी भानु: राशि भूमि सुतो बुधश्च।
गुरुश्च शुक्र: शनि राहु केतव: सर्वेग्रहा: शान्ति करा: भवन्तु।।