कलियुग में एक मात्र हनुमान जी ही जीवित देवता, पूरी करते हैं हर इच्छा

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भगवान श्री राम के परमभक्त हनुमान जी उस पर अत्यंत प्रसन्न रहते हैं, जो भगवान है राम का ध्यान, अर्चन व पूजन करता है। राम की शरणागति को प्राप्त हुए जीवन पर हनुमान जी की कृपा सहज भाव से होती है। माना जाता है कि जिस स्थान पर राम कथा को पढ़ा जाता है वहां पर हनुमान जी अवश्य आते हैं।

कलियुग में हनुमान जी जीवित देवता, पूरी करते हैं हर इच्छा

ऐसे श्री राम भक्त हनुमान जी का स्मरण कैसे करें? जो हनुमान जी को प्रसन्न करना चाहते हैं। उन्हें हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए। हनुमान चालीसा के पाठ से श्री राम भक्त हनुमान निश्चित रूप से प्रसन्न होते हैं और जीव की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। हनुमान चालीसा का पाठ से नकारात्मक प्रभाव जीवन से समाप्त हो जाता है।
आर्थिक संकटों से जूझ रहे भक्तों के संकट दूर होते हैं। आयु व यश की प्राप्ति होती है। श्री राम भक्त हनुमान का पूजन अर्चन करने से भक्तों को भूत प्रेत का भय नहीं रहता। हनुमान जी का पूजन करने मात्र से भूत प्रेत का भय समाप्त हो जाता है। हनुमान जी का ध्यान करने वाले भक्तों पर हनुमान जी तो पसंद होते ही हैं, भूत प्रेत भी हनुमान जी का ध्यान करने वाले भक्तों से दूर ही भागते हैं।
हनुमान चालीसा तुलसीदास की एक काव्यात्मक कृति
हनुमान चालीसा तुलसीदास की एक काव्यात्मक कृति है, जिसमें प्रभु राम के महान भक्त हनुमान के गुणों एवं कार्यों का चालीस चौपाइयों में वर्णन है, यह अत्यन्त लघु रचना है, जिसमें पवनपुत्र श्री हनुमान जी की सुन्दर स्तुति की गई है, इसमें बजरंग बली‍ की भावपूर्ण वंदना तो है ही, श्रीराम का व्यक्तित्व भी सरल शब्दों में उकेरा गया है।
वैसे तो पूरे विश्व में हनुमान चालीसा लोकप्रिय है, किन्तु विशेष रूप से पूरे भारत में यह बहुत प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय है, लगभग सभी हिन्दुओं को यह कंठस्थ होती है, कहा जाता है कि इसके पाठ से भय दूर होता है, क्लेष मिटते हैं, इसके गंभीर भावों पर विचार करने से मन में श्रेष्ठ ज्ञान के साथ भक्तिभाव जाग्रत होता है।

श्रीगुरु चरण सरोज रज, निज मनु मुकुर सुधारि…..

श्रीगुरु चरण सरोज रज, निज मनु मुकुर सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।
बुद्धिवान तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार।।
ऐसी मान्यता है कि, कलियुग में एक मात्र हनुमान जी ही जीवित देवता हैं। यह अपने भक्तों और आराधकों पर सदैव कृपालु रहते हैं और उनकी हर इच्छा पूरी करते हैं, हनुमानजी की कृपा से ही तुलसीदास जी को भगवान रामजी के दर्शन हुए थे, शिवाजी महाराज के गुरू समर्थ रामदासजी के बारे में भी कहा जाता है, कि उन्हें हनुमान जी ने दर्शन दिए थे।
जहां कहीं भी रामकथा होती है, हनुमान जी वहां किसी न किसी रूप में जरूर मौजूद रहते हैं
हनुमान जी के बारे में यह भी कहा जाता है कि जहां कहीं भी रामकथा होती है, हनुमान जी वहां किसी न किसी रूप में जरूर मौजूद रहते हैं, हनुमान जी की महिमा और भक्तहितकारी स्वभाव को देखते हुए तुलसीदास जी ने हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए हनुमान चालीसा लिखा है।
नियमित रूप से हनुमान चालीसा के पाठ से हर मनोकामना पूरी
इस चालीसा का नियमित पाठ बहुत ही सरल और आसान है, लेकिन इसके लाभ बहुत ही चमत्कारी है, आर्थिक परेशानी में करें हनुमान चालीसा का पाठ, हनुमान चालीसा में हनुमानजी को अष्टसिद्घि और नवनिधि के दाता कहा गया, जो व्यक्ति नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करता है, उसकी हर मनोकामना हनुमानजी पूरी करते हैं, चाहे वह धन संबंधी इच्छा ही क्यों न हो।
आर्थिक संकट का सामना करना पड़े तो करें हनुमान चालीसा का पाठ
जब कभी भी आपको आर्थिक संकट का सामना करना पड़े मन में हनुमानजी का ध्यान करके हनुमान चालीसा का पाठ करना शुरू कर दीजिये, कुछ ही हफ्तों में आपको समस्या का समाधान मिल जाएगा और आर्थिक चिंताएं दूर हो जाएगी, इस बात का ध्यान रखें कि पाठ किसी दिन छोड़ें नहीं, अगर यह क्रम मंगलवार से शुरू करें तो बेहतर रहेगा।
नकारात्मक शक्तियां नहीं आती
हनुमान चालीसा का एक दोहा है- “भूत पिशाच निकट नहीं आवे, महावीर जब नाम सुनावे” इस दोहे से बताया गया है कि जो व्यक्ति नियमित हनुमान चालीसा का पाठ करता है, उसके आस-पास भूत-पिशाच और दूसरी नकारात्मक शक्तियां नहीं आती हैं, हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करने वाले व्यक्ति का मनोबल बढ़ जाता है, और उसे किसी भी तरह का भय नहीं रहता है।
रामायण के अनुसार हनुमानजी माता जानकीजी के अत्यधिक प्रिय हैं, इस धरा पर जिन सात मनीषियों को अमरत्व का वरदान प्राप्त है, उनमें बजरंगबली भी हैं, हनुमानजी का अवतार भगवान राम की सहायता के लिये हुआ, हनुमानजी के पराक्रम की असंख्य गाथाएं प्रचलित हैं।
इन्होंने जिस तरह से राम के साथ सुग्रीव की मैत्री कराई और फिर वानरों की मदद से राक्षसों का मर्दन किया, वह अत्यन्त प्रसिद्ध है, हनुमान की जन्म कथा इस प्रकार हैं- समुद्रमंथन के पश्चात शिव जी ने भगवान विष्णु का मोहिनी रुप देखने की इच्छा प्रकट की, जो उन्होनेँ देवताओँ और असुरोँ को दिखाया था।
उनका वह आकर्षक रुप देखकर शिवजी कामातुर हो गये, और उनहोने अपना वीर्यपात कर दिया, वायुदेव ने शिव जी के बीज को वानर राजा केसरी की पत्नी अंजना के गर्भ मेँ प्रविष्ट करा दिया, और इस तरह अंजना के गर्भ से वानर रुप हनुमान का जन्म हूआ, इनके जन्म के पश्चात् एक दिन इनकी माता फल लाने के लिये इन्हें आश्रम में छोड़कर चली गईं।
जब शिशु हनुमान को भूख लगी तो वे उगते हुये सूर्य को फल समझकर उसे पकड़ने आकाश में उड़ने लगे, उनकी सहायता के लिये पवन भी बहुत तेजी से चला, उधर भगवान सूर्य ने उन्हें अबोध शिशु समझकर अपने तेज से नहीं जलने दिया, जिस समय हनुमान सूर्य को पकड़ने के लिये लपके, उसी समय राहु सूर्य पर ग्रहण लगाना चाहता था।
हनुमानजी ने सूर्य के ऊपरी भाग में जब राहु का स्पर्श किया तो वह भयभीत होकर वहाँ से भाग गया, उसने इन्द्र के पास जाकर शिकायत की देवराज! आपने मुझे अपनी क्षुधा शान्त करने के साधन के रूप में सूर्य और चन्द्र दिये थे, आज अमावस्या के दिन जब मैं सूर्य को ग्रस्त करने गया तब देखा कि दूसरा राहु सूर्य को पकड़ने जा रहा है।
राहु की बात सुनकर इन्द्र घबरा गये और उसे साथ लेकर सूर्य की ओर चल पड़े, राहु को देखकर हनुमानजी सूर्य को छोड़ राहु पर झपटे, राहु ने इन्द्र को रक्षा के लिये पुकारा तो उन्होंने हनुमानजी पर वज्रायुध से प्रहार किया, जिससे वे एक पर्वत पर गिरे और उनकी बायीं ठुड्डी टूट गई, हनुमान की यह दशा देखकर वायुदेव को क्रोध आया। उन्होंने उसी क्षण अपनी गति रोक दिया।

वायुदेव ने अपनी गति का संचार करके सभी प्राणियों की पीड़ा दूर की

इससे संसार की कोई भी प्राणी साँस न ले सके और सब पीड़ा से तड़पने लगे, तब सारे सुर, असुर, यक्ष, किन्नर आदि ब्रह्माजी की शरण में गये, ब्रह्माजी उन सबको लेकर वायुदेव के पास गये, वे मूर्छित हनुमान को गोद में लिये उदास बैठे थे, जब ब्रह्माजी ने उन्हें जीवित किया तो वायुदेव ने अपनी गति का संचार करके सभी प्राणियों की पीड़ा दूर की।
फिर ब्रह्माजी ने कहा कि कोई भी शस्त्र इसके अंग को हानि नहीं कर सकता, इन्द्र ने कहा कि इसका शरीर वज्र से भी कठोर होगा, सूर्यदेव ने कहा कि वे उसे अपने तेज का शतांश प्रदान करेंगे तथा शास्त्र मर्मज्ञ होने का भी आशीर्वाद दिया, वरुणदेव ने कहा मेरे पाश, और जल से यह बालक सदा सुरक्षित रहेगा।
प्रसिद्ध है नाम- बजरंग बली, मारुति, अंजनि सुत, पवनपुत्र, संकटमोचन, केसरीनन्दन, महावीर, कपीश, शंकर सुवन
यमदेव ने अवध्य और नीरोग रहने का आशीर्वाद दिया, यक्षराज कुबेर, विश्वकर्मा आदि देवों ने भी अमोघ वरदान दिये, इन्द्र के वज्र से हनुमानजी की ठुड्डी (संस्कृत मे हनु) टूट गई थी, इसलिये उनको हनुमान का नाम दिया गया, इसके अलावा ये अनेक नामों से प्रसिद्ध है- जैसे बजरंग बली, मारुति, अंजनि सुत, पवनपुत्र, संकटमोचन, केसरीनन्दन, महावीर, कपीश, शंकर सुवन।
हनुमान जी का मुख्य अस्त्र गदा
रामायण के अनुसार- हनुमान जी को वानर के मुख वाले अत्यंत बलिष्ठ पुरुष के रुप मेँ दिखाया जाता है, इनका शरीर अत्यंत बलशाली है, उनके दाएँ कंधे पर जनेउ धारण कर रखा है, हनुमानजी को मात्र एक लंगोट पहने, मस्तक पर स्वर्ण मुकुट एवम् शरीर पर स्वर्ण आभुषण पहने हुए रहते है, उनका मुख्य अस्त्र गदा है।
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥
सिया वर रामचन्द्रजी की जय! 
हनुमानजी महाराज की जय!
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