वाह रे किसान हितैषी, सस्ती बीयर महंगा देसी!

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यूपी में बीयर होगी सस्ती

मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। यूपी में एक अप्रैल से बीयर सस्ती होने वाली है। बोतल और केन दोनों के दाम घट जाएंगे। बीयर के दामों में प्रति केन या बोतल करीब 20 रूपये की कमी आएगी। प्रदेश में आगामी पहली अप्रैल से नया वित्तीय वर्ष शुरू होने के साथ नया आबकारी सत्र भी शुरू होगा। इस नए आबकारी सत्र में राज्य में बीयर, देसी व अंग्रेजी शराब के नए दाम भी लागू होंगे।

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आबकारी विभाग से मिली जानकारी के अनुसार पहली अप्रैल से प्रदेश में बीयर सस्ती हो जाएगी जबकि देसी व अंग्रेजी शराब के दामों में थोड़ी बढ़ोत्तरी होगी।

अजय कुमार

शराब विक्रेता वेलफेयर एसोसिएशन के महामंत्री कन्हैया लाल मौर्य ने बताया कि बीयर का एक केन या बोतल इस वक्त औसतन 130 रूपये की है जो कि पहली अप्रैल से 110 रूपये की हो जाएगी। इस तरह से बीयर के दामों में प्रति केन या बोतल करीब 20 रूपये की कमी आएगी। मौर्य के अनुसार देसी शराब का 200 मिलीलीटर का 42 डिग्री तीव्रता वाला पउवा 80 रूपये के बजाए 85 रूपये में मिलेगा। जबकि अंग्रेजी शराब के अलग-अलग ब्राण्ड के क्वाटर में 15 से 20 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होगी।
उन्होंने बताया कि देसी व अंग्रेजी शराब के दामों में पहली अप्रैल से होने वाली इस बढ़ोत्तरी के पीछे लाइसेंस फीस में साढ़े सात प्रतिशत की वृद्धि मुख्य कारण है। हालांकि बीयर की एक्साईज ड्यूटी व लाइसेंस शुल्क में कोई कमी या बढ़ोत्तरी नहीं हुई मगर राज्य में बीयर की खपत बढ़ाने के लिए इसके दाम कम किये जा रहे हैं।

 

इस संदर्भ में समाजिक कार्यकर्ता व अजेय फाऊंडेशन के अध्यक्ष अजय कुमार ने कहा कि यह सरकार देशी शराब का दाम बढ़ाने का निर्णय लेकर अवैध शराब के निर्माण और तस्करी को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने कहा कि हम लोग समाज में नशा मुक्ति के लिए अनेक तरह का कार्यकम करते हैं। बहुत बार देशी शराब बनाने वाले यह कहते हैं कि सरकारी शराब बहुत मंहगी है, जिसे खरीदना तो हम चाहते हैं लेकिन ज्यादा दाम होने के कारण हम खरीद नहीं सकते। ऐसे में वह स्थानीय प्रशासन से साठ गांठ करके देशी शराब बनाते हैं। जिसकी सही जानकारी न होने के कारण कई बार गरीबों को जान देकर चुकानी पढ़ती है। सरकार को शराब पर पूर्ण प्रतिवंध लगाना चाहिए।बीयर सस्ता होने से युवाओं में तेजी से नशा फैलने का खतरा बढ़ जायेगा। किसान और गरिब वर्ग के लोग बीयर और अंग्रेजी दोनों नहीं पीते है। लेकिन सरकार तो यही कहती है कि वह किसान हितैषी है।

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