लखनऊ, 1 अप्रैल, 2021। लखनऊ में इस वर्ष पुनः एक अनूठे आयोजन ने धूम मचाई, जो अपनी विलक्षणताओं के कारण पिछले 60 वर्षो से एक खास आकर्षण का रूप धारण कर चुका है और लोग वर्ष भर इस आयोजन की प्रतीक्षा करते हैं। यह अनूठा आयोजन है अखिल भारतीय सांस्कृतिक, साहित्यिक एवं समाजसेवी संस्था ‘रंगभारती’ का ‘घोंघाबसन्त सम्मेलन’, जो प्रति वर्ष एक अप्रैल को ‘मूर्ख दिवस’ के अवसर पर रवीन्द्रालय, लखनऊ में हास्य-उत्सव के रूप में सम्पन्न होता है।
‘घोंघाबसन्त सम्मेलन’ इस वर्ष भी पूरे उत्साह के साथ सम्पन्न हुआ। हंसी के विस्फोटक धमाकों के रूप में लोगों ने हास्य-उत्सव का जमकर आनन्द लिया। ‘रंगभारती’ की स्थापना 1961 में हुई थी तथा उसी वर्ष ‘रंगभारती’ ने देश का पहला हास्य कविसम्मेलन इलाहाबाद(अब प्रयागराज) के परी भवन में आयोजित किया था।
तब से देश के विभिन्न नगरों में ‘रंगभारती’ हास्य-उत्सवों के आयोजन करती आ रही है, जिसके अन्तर्गत बड़े-बड़े हास्य कविसम्मेलन सम्पन्न होते हैं, जिनका उद्देश्य होता है- ‘आज की तनावभरी जिन्दगी में हंसना-हंसाना।’ भाग लेने वाले रचनाकार ‘घोंघाबसन्त सम्मेलन’ में इन सुविख्यात हास्य-कवियों ने अपनी कविताओं से लगातार हंसा-हंसाकर लोटपोट कर दिया:- नरकंकाल (रायबरेली, अषोक बेषर्म (प्रयागराज), जमुना प्रसाद उपाध्याय (अयोध्या), कमलेष द्विवेदी (कानपुर), विकास बौखल (बाराबंकी), राजेंद्र पंडित (लखनऊ)्र, समीर षुक्ल (फतेहपुर), अमित अनपढ़ (लखनऊ), अमित ओमर (कानपुर), श्याम कुमार (लखनऊ) आदि। ‘बेढब बनारसी रंगभारती सम्मान’ ‘रंगभारती’ द्वारा इस अवसर पर देष के सर्वश्रेश्ठ हास्यकवि एवं हास्य गद्यकार राजेन्द्र पंडित को हास्य में उनके अतिश्रेष्ठ योगदान पर इस वर्ष का ‘बेढब बनारसी रंगभारती हास्य-व्यंग्य षिखर सम्मान’ प्रदान किया गया।
‘रंगभारती’ के दिवंगत सदस्य बेढब बनारसी की स्मृति में प्रति वर्ष यह सम्मान दिया जाता है। पूर्व में बेधड़क, सुंड़, शैल चतुर्वेदी, रफीक शादानी, ओम प्रकाश आदित्य, सम्पत सरल, अषोक सुन्दरानी, प्रताप फौजदार, शम्भू शिखर आदि सम्मानित किए जा चुके हैं। विशिष्ट उपहार घोंघाबसंत सम्मेलन में पधारे कवियों को ये उपहार प्रदान किए गए:- प्रदेश के पूर्व-राज्यपाल राम नाईक की ओर से पत्तलों का जयमाल, राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र की ओर से राजमुकुट तथा पप्पू की ओर से झाड़़ू। मूर्खिस्तान के प्रधानमन्त्री समारोह का उद्घाटन ‘मूर्खिस्तान’ के प्रधानमन्त्री ने किया। यह विशिष्ट अतिथि महोदय सचमुच के गधा थे।
‘मूर्खिस्तान’ के प्रधानमन्त्री ने अपने भाषण में कहा कि आज अपनी इतनी बड़ी बिरादरी में आकर उन्हें बड़ी प्रसन्नता हो रही है तथा उन्हें गर्व है कि लखनऊ में उनके इतने रिष्तेदार मौजूद हैं। उन्होंने मांग की कि ‘चींपों’ भाशा को सरकारी कामकाज में मान्यता मिलनी चाहिये। श्याम कुमार मंच पर ‘रंगभारती’ के अध्यक्ष श्याम कुमार रोचक वेशभूषा में मंच पर आए।
उन्हें जूतों से बनी सुगन्धित माला पहनाकर अभिनन्दित किया गया। ‘मूर्खरत्न’ का राष्ट्रीय शिखर सम्मान ‘घोंघाबसन्त सम्मेलन’ में विश्व की इन सात छंटी हुई विभूतियों के लिए ‘मूर्ख रत्न’ का ‘राष्ट्रीय शिखर सम्मान’ घोषित किया गया:- 1- अमरीका के पूर्व-राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प 2-महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख 3-महाराष्ट्र के सहायक पुलिस इंस्पेक्टर सचिन वाजे 4-शरद पवार 5-उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत 6-पूर्व उपराश्ट्रपति हामिद अनसारी 7- राहुल गांधी। इस वर्ष का ‘ढंेचू’ सम्मान ममता बनर्जी को दिया गया। यह सम्मान पूरे वर्ष निरर्थक एवं अनर्गल बातें बोलने पर दिया जाता है। पूर्व में राहुल गांधी, दिग्विजय सिंह, आजम खां, मणिषंकर अय्यर आदि को इस विषिश्ट सम्मान से विभूशित किया जा चुका है।
गन्धर्व-विवाह विगत वर्षों की भांति ‘घोंघाबसन्त सम्मेलन’ में इन पांच विभूतियों का ‘गन्धर्व विवाह’ सम्पन्न हुआः- अखिलेष यादव का उमा भारती के साथ, उद्धव ठाकरे का अभिनेत्री कंगना के साथ, हास्यकवि कमलेष द्विवेदी का मायावती के साथ, हास्य रचनाकार राजेंद्र पंडित का कैटरीना कैफ के साथ एवं रंगभारती के अध्यक्ष ष्याम कुमार का डायमंडडेरी काॅलोनी की जमादारिन के साथ। किन्नर अखाड़े के महामंडलेष्वर द्वारा नेग किन्नर अखाड़े के महामंडलेष्वर ने प्रत्येक जोड़े की वधू को ‘सदा सुहागिन रहो’ आषीर्वाद के साथ ग्यारह-ग्यारह रुपये का नेग प्रदान किया है। टेण्डर आयोजकों ने बताया कि उपर्युक्त विभूतियों के ‘गन्धर्व विवाह’ के लिए टेण्डर मांगे गए थे और जिनके साथ उनका ‘गन्धर्व विवाह’ सम्पन्न हुआ, उनके टेण्डर सबसे ऊंचे पाए गए।
बताया गया कि इन नवविवाहित जोड़ों के ‘हनीमून’ के लिए लखनऊ के पांच-सितारा होटल ‘क्लार्क अवध’ में पांच कक्ष आरक्षित करा दिए गए हैं। आरम्भ में दीप-प्रज्ज्वलन के बाद मशहूर रंगकर्मी विजय वास्तव ने ‘रंगभारती’ का परिचय दिया तथा हास्य-आइटमों से कार्यक्रम की शुरुआत की। वरिष्ठ शास्त्रीय गायिका पद्मा गिडवानी ने सरस्वती-वन्दना प्रस्तुत की। समारोह के अन्त में ‘रंगभारती’ के अध्यक्ष श्याम कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
कुछ कवियों की हास्य-व्यंग्य पंक्तियां इस प्रकार हैं:- राजेंद्र पंडित (लखनऊ) महंगा हुआ पेट्रोल तो थोड़ा खरीदिए, अच्छा विकल्प है, अगर घोड़ा खरीदिए। ट्रैवलिंग के साथ राइडिंग का भी लुत्फ लीजिए और पांच किलो लीद मुफ्त लीजिए। ’ विकास बौखल (बाराबंकी) हिन्द वाले षेर पाक जाके जो दहाड़ देंगे, गीदड़ तुम्हारे ये बेचारे मर जाएंगे। दल एंटी-रोमियो का भेज देंगे योगी जी तो सानिया के देवर कुंवारे मर जाएंगे। राधेमां जो लेकर त्रिषूल सीमा पार गईं, गोदी में उठा-उठाके सारे मर जाएंगे। पाक जाके राहुल ने आंख मार दी अगर, इमरान मियां बिना मारे मर जाएंगे। ’ अषोक बेषर्म (प्रयागराज) भीख मांगे जो अदाकारी से, बच के रहना तुम उस भिखारी से। आंख में गर बसा सोने का हिरण, फिर तो धोखा है ब्रम्हचारी से। ’
कमलेश द्विवेदी (कानपुर) पत्नी बोली-अर्धांगिनी हूं तो इंसाफ करो ना, सारा काम कराते मुझसे तुम भी हाफ करो ना। पहले तुम बाहर रहते थे कोई बात नहीं थी, अब घर में रहते हो तो फिर बर्तन साफ करो ना। ’ समीर षुक्ल (फतेहपुर) मोटरगाड़ी, टीवी, मोबाइल, गैसचूल्हा, बिन दहेज ब्याहे में नेग पाए दूल्हा। दुलहिन के आगे है फेल कैटरीना, हमार गांव मुंदरी में जैसे नगीना। अमित अनपढ़ (लखनऊ) अपने पिता औ भाई को ही मानती है तोप, देषी कट्टे-जैसा पति को समझती है ये। षादी के ही साल बस आलिया-सी लगती है, उम्र भर बुआ जी की भांति लड़ती है ये। ’ जमुना प्रसाद उपाध्याय (अयोध्या) जीवनभर सच्चाई मेरे साथ रही, दुनिया की रुसवाई मेरे साथ रही। जहां-जहां मैं लेकर अपना दर्द गया, वहां-वहां पुरवाई मेरे साथ रही। कष्ती साहिल तक तो ले आए, लेकिन लहरों की अंगड़ाई मेरे साथ रही।
’ नरकंकाल़ (रायबरेली) ये नजरे मिलाने के लायक नहीं हो,, ये सर भी उठाने के लायक नहीं हो। लगा मास्क चेहरे पर जब से तुम्हारे, ये मुंह भी दिखाने के लायक नहीं हो। ’ ष्याम कुमार (लखनऊ) मतलब निकल गया तो हमें जानते नहीं, श्रीमान जी अब तो हमें पहचानते नहीं। कोरोना से बचने का फारमूला है उनका, पीजाते हैं वो चाय, कभी छानते नहीं। पप्पू ये समझता है, सबसे योग्य वही है, ये बात और है कि लोग मानते नहीं। गाली के सिवा कुछ नहीं मम्मी ने सिखाया, ये उसका गुप्त राज लोग जानते नहीं। होली पे जो लिपटा था मेरे जिस्म से आकर, आते हैं उसके ही खयाल, मानते नहीं। कुछ रंग का कमाल है, कुछ भंग का कमाल, चुम्बन लिया जिसका, उसे पहचानते नहीं। क्या कर रहे हो ‘ष्याम’, जरा सब्र करो तुम, बरसात में पतंग कभी तानते नहीं। ’ रपट लिखवाके हम आए हैं उनके नाम होली में, वो छुप-छुप देखते हैं क्यों हमारा बाम होली में तुम्हारे नाम का जीना, तुम्हारे नाम का मरना, नहीं है आशिकों को और कोई काम होली में। ये लगता है, पकी है उस तरफ भी प्यार की खिचड़ी, सुनाई दे रहा है कुछ मधुर पैगाम होली में। खबर है आज वो बाहर निकलकर रंग खेलेंगे, हुआ है आशिकों से खूब ट्रैफिक जाम होली में। नहीं इजहार करते हैं कभी अपनी मुहब्बत का, छिपाके दिल में रखते हैं, ये दौलत ‘श्याम’ होली में।