जानिए, तीनमुखी रुद्राक्ष धारण करने के मंत्र

1
4401

रुद्राक्ष का महत्व सनातन काल से रहा है, यह अर्थ,धर्म, काम व मोक्ष को प्रदान करता है। तीनमुखी रुद्राक्ष को लाल धागे में पिरोकर रविवार के दिन प्रात: सूर्योदय से नहाकर ब्रह्मा, विष्णु देवाय नम:………………………. या अन्य निम्न लिखित मंत्रों का जप करते हुए गले में धारण करना चाहिए। इससे ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों देव खुश होकर सुख की प्राप्ति करते हैं। त्रिमुखी रुद्राक्ष साक्षात् अग्नि स्वरूप है। इसको धारण करने से अग्नि की तृप्ति होती है। स्त्री हत्या के पाप से मुक्ति, विद्या प्राप्ति, शत्रु का नाश,पेट की व्याधि और अशुभ घटनाओं से रक्षा होती है।


पद्म पुराण के अनुसार तीनमुखी रुद्राक्ष निम्न मंत्र से अभिमंत्रित करके प्रतिष्ठित करना चाहिए।
मंत्र है- ऊॅँ ऊॅँ नम:
स्कन्द पुराण के अनुसार तीनमुखी रुद्राक्ष निम्न मंत्र से अभिमंत्रित करके प्रतिष्ठित करना चाहिए।
मंत्र है- ऊॅँ ध्रुं ध्रूं नम:
महाशिव पुराण के अनुसार तीनमुखी रुद्राक्ष निम्न मंत्र से अभिमंत्रित करके प्रतिष्ठित करना चाहिए।
मंत्र है- क्लीं नम:
योगसार नामक ग्रंथ के अनुसार तीन मुखी रुद्राक्ष निम्न मंत्र से अभिमंत्रित करके प्रतिष्ठित करना चाहिए।
मंत्र है- ऊॅँ ऊॅँ नम:

Advertisment

रुद्राक्ष धारण करने का अन्य पावन मंत्र
तीनमुखी रुद्राक्ष- ऊॅँ रं इं ह्रीं हृूँ ऊॅँ

विधि- सर्व प्रथम रुद्राक्ष को पंचामृत, पंचगव्य आदि से स्नान आदि कराकर पुष्प गंध, दीप से पूजा करकर अभिमंत्रित करना चाहिये।

सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें। सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here