हिंदू धर्म के प्रचार-प्रसार में आदि शंकराचार्य का महान योगदान है- डा. प्रवीण

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जगदगुरु श्री आदि शंकराचार्य जी व संत श्री सूरदास जी की जयंती मनी

लखनऊ। सनातन महासभा व सनातन ब्राह्मण महासभा की ओर से सनातन धर्म के विस्तार करने वाले मार्गदर्शक पूज्य जगदगुरु श्री आदि शंकराचार्य जी व संत श्री सूरदास जी के पावन जयंती जानकीपुरम कार्यालय पर सोमवार को कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए आनलाइन मनाई गई। इस मौके पर अध्यक्ष डा. प्रवीण ने कहा कि शंकराचार्य हिन्दू धर्म में सर्वोच्च धर्म गुरु का पद है जो इस पद की परम्परा आदि गुरु शंकराचार्य ने आरम्भ की। उन्होंने सनातन धर्म की प्रतिष्ठा हेतु भारत के चार क्षेत्रों में चार मठ स्थापित किये तथा शंकराचार्य पद की स्थापना करके उन पर अपने चार प्रमुख शिष्यों को आसीन किया। तबसे इन चारों मठों में शंकराचार्य पद की परम्परा चली आ रही है। यह पद अत्यंत गौरवमयी माना जाता है। उनहोंने कहा कि हिंदू धर्म के प्रचार-प्रसार में आदि शंकराचार्य का महान योगदान है। उन्होंने भारतीय सनातन परम्परा को पूरे देश रोशन किया।
संस्था से जुडे लोगों ने अपने अपने घरों में जगद गुरु जी के पावन जयंती के अवसर पर शंखनाद करके पांच पांच दीपक घरों के बाहर जलाये और गरीब लोगों को भोजन दान किया।
इस कार्यक्रम में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से आनंद नारायण जी महाराज, अरुण द्विवेदी, नवीन द्विवेदी, संजय चैबे, स्नेहलता मिश्रा, राजीव शुक्ला, अमरनाथ मिश्र, हेमलता त्रिपाठी, मनीष अवस्थी, राजा पाठक, गोपाल कृष्ण पाठक, कमल आदि उपस्थित हुए।

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