चंद्रमा अंतरिक्ष में और सूर्य द्युलोक में चारों ओर दौड़ रहा है। चंद्रमा अपनी धुरी पर घूमने सहित पृथिवी और सूर्य के चारों ओर भी घूम रहा है। सूर्य केवल अपनी धुरी पर ही घूमता है। इन बातों को सब ज्ञानी लोग जानते हैं। किंतु हे स्वर्णिम चक्रों वाले विद्योतमान चंद्र, सूर्य, विद्युत आदियों! तुम्हारे गतिप्रदाता को कोई भी नहीं जानते हैं। ईश्वर वेद में कहते हैं कि हे स्त्री-पुरुषों वा राजा प्रजाओं! तुम इस बात व रहस्य को समझो। अभिप्राय यह है कि तुम उस इंद्र परमात्मा का साक्षात्कार करने का प्रयत्न करो जिसके द्वारा प्रदान की गई गति से यह सब जगत गतिमान बना है।
मनुष्यों को जानना चाहिए कि एक सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही इन सब पदार्थों को पैदा करने वाला, इन्हें गति, प्रकाश आदि प्रदान करने वाला और इनकी व्यवस्था करने वाला है। हम उपासना द्वारा उसी का साक्षात्कार करने का प्रयत्न करें।