सुंदरकांड से जुड़ी बातें…

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सुंदरकांड का पाठ परम सुखदाई है। श्री राम भक्त हनुमान की महिमा का गान सुंदरकांड में किया गया है लेकिन आप जानते हैं रामचरितमानस के इस अध्याय का नाम सुंदरकांड क्यों रखा गया। उसकी महिमा इतनी अधिक क्यों है। अगर आप यह बातें नहीं जानते हैं तो ये लेख पढ़कर आपको इस बात की जानकारी अवश्य हो जाएगी। कहा जाता है कि भगवान श्री राम के भक्त हनुमान जी उस पर अवश्य प्रसन्न होते हैं रोशनी राम के नाम के प्रति भक्ति भावना रखता है। हनुमानजी, सीताजी की खोज में लंका गए थे और लंका त्रिकुटाचल पर्वत पर बसी हुई थी। त्रिकुटाचल पर्वत यानी यहां 3 पर्वत थे पहला सुबैल पर्वत, जहां के मैदान में युद्ध हुआ था। दूसरा नील पर्वत, जहां राक्षसों के महल बसे हुए थे और तीसरे पर्वत का नाम है सुंदर पर्वत, जहां अशोक वाटिका थी। इसी वाटिका में हनुमानजी और सीताजी की भेंट हुई थी। इस कांड की यही सबसे प्रमुख घटना थी, इसलिए इसका नाम सुंदरकांड रखा गया है !
किसी व्यक्ति के जीवन में ज्यादा परेशानियां हो, कोई काम नहीं बन पा रहा है, आत्मविश्वास की कमी हो या कोई और समस्या हो, सुंदरकांड के पाठ से शुभ फल प्राप्त होने लग जाते हैं, कई ज्योतिषी या संत भी विपरित परिस्थितियों में सुंदरकांड करने की सलाह देते हैं। शुभ अवसरों पर गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड का पाठ किया जाता है। शुभ कार्यों की शुरूआत से पहले सुंदरकांड का पाठ करने का विशेष महत्व माना गया है।

सुंदरकांड का पाठ विशेष रूप से क्यों …

माना जाता है कि सुंदरकांड के पाठ से हनुमानजी प्रसन्न होते हैं। सुंदरकांड के पाठ में बजरंगबली की कृपा बहुत ही जल्द प्राप्त हो जाती है। जो लोग नियमित रूप से सुंदरकांड का पाठ करते हैं, उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं, इसमें हनुमानजी नें अपनी बुद्धि और बल से सीता की खोज की है। इसी कारण से सुंदरकांड को हनुमानजी की सफलता के लिए स्मरण किया जाता है।
वास्तव में श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड की कथा सबसे अलग हैं। संपूर्ण श्रीरामचरितमानस भगवान श्रीराम कें गुणों और उनके पुरुषार्थ को दर्शाती हैं, सुंदरकांड एकमात्र ऐसा अध्याय है जो श्रीराम के भक्त हनुमान की विजय का है, मनोवैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो यह आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति बढ़ाने वाला कांड हैं, सुंदरकांड के पाठ से व्यक्ति को मानसिक शक्ति प्राप्त होती हैं, किसी भी कार्य को पूर्ण करने के लिए आत्मविश्वास मिलता है।
.सुंदरकांड से मिलता है धार्मिक लाभ…….
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सुंदरकांड से मिलता है धार्मिक लाभ, हनुमानजी की पूजा सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली मानी गई है। बजरंगबली बहुत जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता हैं, शास्त्रों में इनकी कृपा पाने के कई उपाय बताए गए हैं। सुंदरकांड से मिलता है धार्मिक लाभ.का पाठ करना है। सुंदरकांड के पाठ से हनुमानजी के साथ ही श्रीराम की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है। . श्री राम के चरणों में असीम भक्ति भावना रखने वाला हनुमत कृपा को अवश्य प्राप्त कर लेता है।
भगवान शिव के  अंश अवतार हनुमान जी ने सुंदरकांड में राम की महिमा का बखान रावण के सम्मुख किया और उसे समझाने के तमाम प्रयास किए थे। समुंद्र लांघा था और विभीषण से मुलाकात भी की थी। माता सीता से मिलकर उन्हें इस बात का भरोसा दिलाया था कि श्री रामचंद्र जी जल्द आएंगे और उन्हें मुक्त कराएंगे। सुंदरकांड में ही हनुमान जी ने अपने भीम और लघु रूप का दर्शन भी कराया था। लंका दहन भी उन्होंने इस कांड में ही की थी।
रामचरितमानस एक ऐसा ग्रंथ है, जितनी बार पढ़ा जाए या यूं कहें जितनी बार श्रद्धा से पढ़ा जाए उतने ही भाव हमारे ह्रदय में आते जाते हैं। वह भाव हमें नई नई अनुभूतियां करवाते हैं, जोकि रामचरितमानस की पावन गहराई में ले जाते हैं। जब उस पावन गहराई में डूब राम भक्ति में सराबोर हो जाता है तो उसे कण-कण में राम की अनुभूति होने लग जाती है। राम की अनुभूति होने लग जाती है उसे हनुमान की कृपा सहज ही प्राप्त हो जाती है। वैसे तो रामचरितमानस का हर कांड अत्यंत ही मन को भाने वाला है लेकिन सुंदरकांड की महिमा विशेष तौर पर उल्लेखित की गई है। सुंदरकांड जीव को शांति सुख और सौभाग्य प्रदान करने वाला है। जो व्यक्ति सुंदरकांड का पाठ नियमित रूप से करता है उसे सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिल जाती है।
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