जानिए, छ: मुखी रुद्राक्ष धारण करने के मंत्र

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 छ: मुखी रुद्राक्ष के तीन दानों को लाल रंग के धागे में पिरोकर सोमवार के दिन शिवलिंग से स्पर्श कराकर ऊॅँ नम: शिवाय कार्तिकेय नम:…………… और निम्नलिखित बताए गए मंत्रों में से किसी एक मंत्र से अभिमंत्रित करते हुए गले में धारण करना चाहिए।। यह शक्तिशाली होता है। इसके धारण करने से मनुष्य बुद्धिमान व शारीरिक रूप से स्वस्थ्य होता है और इन्हें कोई दिगामी परेशानी नहीं होती है।

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किसी भी प्रकार की व्याधि जैसे रक्तचाप, हृदय रोग, यक्ष्मा, दमा, खांसी, उदर रोग आदि जटिल बीमारियों को ठीक करता है। आप जानते ही होंगे कि छ: मुखी यानी षट्मुखी रुद्राक्ष के देवता कार्तिकेय है। इसे धारण करने वाला प्राणी शुभ लक्षणों से युक्त, सदगुणी और ध्ौर्यवान होता है। धारक पर विश्ोष रूप से माता पार्वती की कृपा बनी रहती है। छ: मुखी या षष्टमुखी रुद्राक्ष छह मुखी रुद्राक्ष के बारे में यह भी कहा जाता है कि यह छह प्रकार की ऊर्मि- काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद व मत्सर को नष्ट करने वाला है। इसे धारण करने वाला व्यक्ति कार्तिकेय के सानिध्य को प्राप्त करता है। छह मुखी रुद्राक्ष से मनुष्य की सोयी हुई शक्तियां जागृत होती हैं। स्मरण शक्ति प्रबल और बुद्धि तीव्र होती है। इसका धारक आत्म शक्ति, संकल्प् शक्ति व ज्ञान शक्ति प्रदान करता है। वैसे छ: मुखी रुद्राक्ष को दाहिने हाथ या गले में धारण करना श्रेयस्कर माना जाता है। 

पद्म पुराण के अनुसार छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने के लिए अभिमंत्रित निम्न मंत्र से करना चाहिए।
मंत्र है- ऊॅँ हूॅँ नम:
स्कन्द पुराण के अनुसार छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने के लिए अभिमंत्रित निम्न मंत्र से करना चाहिए।
मंत्र है- ऊॅँ ह्रीं नम:
महाशिवपुराण के अनुसार छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने के लिए अभिमंत्रित निम्न मंत्र से करना चाहिए।
मंत्र है- ओं ह्रीं हूॅँ नम:
योगसार नामक गं्रथ के अनुसार छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने के लिए अभिमंत्रित निम्न मंत्र से करना चाहिए।
मंत्र है- ऊॅँ हूॅँ नम:
छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने के लिए अन्य मंत्र निम्न उल्लेखित है।
मंत्र है- ऊॅँ ह्रीं श्रीं क्लीं सौं एें

विधि- सर्व प्रथम रुद्राक्ष को पंचामृत, पंचगव्य आदि से स्नान आदि कराकर पुष्प गंध, दीप से पूजा करकर अभिमंत्रित करना चाहिये। पूजन पूर्ण श्रद्धा भाव से करना चाहिए।

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