वेदोपदेश एवं वेदाचारण

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वेदों में परमात्मा का उपदेश है कि परब्रह्म परमेश्वर सकल ब्रह्माण्ड का, अखंड जीवात्मा सकल शरीर का और प्रजाओं से निर्वाचित राजा सकल राष्ट्र का सम्राट है।

परमात्मा सभी दोषों से सर्वथा रहित और सभी गुणों से पूर्णतया युक्त है। हमें ईश्वर की सभी गुणों को धारण करने का प्रयत्न करना है।

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मनुष्यों एवं प्रजा द्वारा निर्वाचित राजाओं में अनेक गुणों के साथ कुछ अवगुण भी देखने को मिलते हैं। हमें इनके सद्गुणों का ही सेवन करना होता है।

हमें प्रत्येक दिवस अपने जीवन पर दृष्टि डालनी चाहिए और सभी अवगुणों व दोषों को दूर करना चाहिए। ऐसा करने से ही हमारा मनुष्य जन्म लेना सार्थक होगा।

– मनमोहन आर्य

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