परमात्मा जगत में पृथिवी आदि लोकों को गतिशील रखकर घुमाता है। ऐसा लगता है कि सभी भ्रमणशील लोक-लोकांतर नृत्य कर रहे हैं। परमात्मा सर्व प्रसिद्ध एवं सब प्राणियों का हितकर है। वह जगत में सर्वश्रेष्ठ है तथा अनादि है। वह धर्म का पालन करने वालें मनुष्यों का प्रशंसक है।
परमात्मा सूर्य के द्वारा अंतरिक्ष में स्थित जल को वर्षा द्वारा भूमि पर गिराता है। ईश्वर हमारे भौतिक व मानसिक अंधकार को सूर्य के प्रकाश, वेदज्ञान व अंतः प्रेरणा द्वारा दूर करते हैं।
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हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि अनंत प्रज्ञा और अनंत कर्मों वाले वह जगदीश्वर हमें बल तथा प्राण को प्राप्त कराएं जिससे हमारी सभी उचित इच्छाएं सिद्ध व पूर्ण हो सकें।
-प्रस्तुतकर्ता मनमोहन आर्य।
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